केरल के शंकरन मूसाद वज़क्कड़ पंचायत में रहते हैं। वे 56 साल के हैं। शंकरन मूसाद एक रिटायर्ड क्लर्क हैं। वह भारत सरकार द्वारा एकल उपयोग में आने वाली प्लास्टिक के वस्तुओं को खत्म करने को लेकर चलाए जा रहे अभियान में अपना योगदान दे रहे हैं।
छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) के पातालकोट निवासी, सुकनसी भारती ने अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने और पर्यावरण को बचाने के उदेश्य से, पत्तों से कटोरी (दौना) बनाना सीखा। आज वह, आस-पास के गावों और होटलों में अपने दौने बेच रहे हैं।
वाराणसी के संदीप सरन, 'काठ कागज' नामक होम-स्टूडियो चलाते हैं, जहाँ बेकार पड़ी लकड़ियों का इस्तेमाल कर, वह अपने ग्राहकों की जरूरतों के मुताबिक़ Sustainable Furniture बनाकर देते हैं।