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स्कूली छात्रों की पहल, घर-घर जाकर इकट्ठी करते हैं दवाइयां ताकि ज़रूरतमंदों तक पहुँचा सकें!

By निशा डागर

"हमारे आस-पास बहुत से लोग हैं जो मदद करना चाहते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि कैसे करें। वहीं दूसरी तरफ, बहुत से लोगों को मदद की ज़रूरत है। हम इन दोनों तबकों के बीच का सेतु बनाना चाहते हैं ताकि सही मदद सही लोगों तक पहुँच सके।"

बार-बार असफल होने के बावजूद किए प्रयास, आज कम जगह में भी उगा रही हैं अच्छी सब्ज़ियाँ!

By निशा डागर

एक बार लोकल ट्रेन से सफर करते वक़्त डॉ. विनी ने कुछ लोगों को रेलवे लाइन से पालक तोड़ते हुए देखा और बाद में, उन्हें पता चला कि यही पालक बाज़ार में आता है। इसके बाद उन्होंने खुद अपनी सब्ज़ियाँ उगाने की ठान ली!

'वह हम में से एक था,' इस गाँव में एक पूरा इलाका है इरफ़ान के नाम पर!

“उनके साथ हम काफी सहज थे और उन्होंने हमें कभी डर महसूस नहीं होने दिया। सच कहूं तो, उनका घर हम सभी के लिए खुला था। बच्चे हों या बड़े, वह हर किसी को अपने घर बुलाते थे। हमें नाश्ता कराते थे और साथ बैठकर कुछ देर बातचीत भी करते थे। ” #RealLifeHero #Tribute

कोविड-19 : रोगियों की सेवा के लिए अफ्रीका की आरामदायक ज़िंदगी छोड़ मुंबई लौटीं यह डॉक्टर!

By पूजा दास

डॉ. दिव्या सिंह कहती हैं, "संकट के समय अगर मैं अपने देश की मदद नहीं कर सकती हूं तो मेरे डॉक्टर होने का क्या मतलब है।" डॉ दिव्या लोगों की सेवा में दिन-रात लगी हुई हैं। वह पूरा दिन पीपीई किट पहनती हैं इसके लिए उन्होंने अपने बाल तक कटवा लिए हैं।

स्वदेशी तकनीक और स्थानीय मज़दूर, ये आर्किटेक्ट कर चुके हैं बेहतर कल की शुरुआत

कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए मिट्टी का उपयोग करना एक शानदार तरीका है। यह न केवल बायोडिग्रेडेबल है, बल्कि यह हर जगह आसानी से उपलब्ध है, इसलिए इसे आसानी से बिल्डिंग तकनीकों में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा मिट्टी का उपयोग करने से गर्मियों में अंदर का तापमान ठंडा होता है और सर्दियों में गर्म।

शौक को बनाया व्यवसाय, लोगों को स्वादिष्ट चटनियाँ खिला रहीं हैं 'चटनी चाची'!

By निशा डागर

“अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है कि जिस पल आपके दिल में व्यवसाय का ख्याल आए उसी पल से काम पर लग जाओ।"

गार्डनगिरी: बालकनी में 30 तरह की सब्ज़ियां उगा रही हैं मुंबई की दीप्ति!

By पूजा दास

इस लेख में दीप्ति हमें कई सारे दिलचस्प सुझाव दे रहीं हैं जिसकी मदद से आप घर में ही मौजूद चीज़ों से एडिबल गार्डन बना सकते हैं।

नौकरी छोड़ 10 हजार रुपये से शुरू किया व्यवसाय, आज कई बड़े-बड़े होटल हैं इनके ग्राहक!

नीता ने अपना सफ़र पार्लर में अपने प्रोडक्ट्स सप्लाई करने से शुरू किया था। लेकिन अज रॉयल आर्किड होटेल्स, द पार्क होटल और मणिपाल हॉस्पिटल जैसे बड़े नाम उनके ग्राहकों की लिस्ट में शामिल होते हैं!

गीले से लेकर सूखे कचरे के सही प्रबंधन तक, इस व्यक्ति का रहन-सहन है 'कचरा-फ्री'!

By निशा डागर

साल 1998 में कौस्तुभ ताम्हनकर ने 'गार्बेज फ्री लाइफस्टाइल' पर काम करना शुरू किया था। आज उनके यहाँ से किसी भी तरह का कोई कचरा डंपयार्ड या फिर लैंडफिल में नहीं जाता!