हरियाणा के डाबला गांव के रहनेवाले नीरज शर्मा पेशे से तो इंजीनियर हैं, लेकिन जब उन्हें मिट्टी के बर्तनों का महत्त्व पता चला, तो उन्होंने केमिकल-मुक्त मिट्टी के बर्तन बनाने और बेचने के साथ-साथ लोगों को भी इसके गुणों से जोड़ना चाहा और इस तरह शुरुआत हुई ‘मिट्टी रसोई’ की!
2001 में, गुजरात के भुज में आए भूकंप के दौरान सीमेंट से बने घर तो टूट गए थे, लेकिन ‘भूंगा’ शैली से मिट्टी से बने घरों को ज़रा सा भी नुकसान नहीं पहुंचा था।
1975 के बाद से आंध्र प्रदेश ने 1977 के चक्रवात सहित 60 से अधिक चक्रवातों का सामना किया है इस दौरान तटीय क्षेत्रो के लोगों ने इस तरह के घर बनाकर खुद का बचाव किया!