कोलकाता में रहने वाले 70 वर्षीय अरूप सेनगुप्ता पिछले 4 सालो से 'नोतून जीबोन' नाम से अपना संगठन चला रहे हैं। इसके ज़रिए वह सेक्स वर्कर्स के बच्चों और घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए काम कर रहे हैं!
कोरोना महामारी के दौरान प्रवासी मज़दूरों ने विषम परिस्थितियों में भी जिस तरह हिम्मत दिखाई, उसे सलाम करते हुए कोलकाता के बारिशा क्लब दुर्गा पूजा समिति ने इस बार माँ दुर्गा की मूर्ती को एक प्रवासी मज़दूर माँ का रूप दिया है।
अंग्रेजी सेना में नौकरी करने वाले सुशीला दीदी के पिता ने उन्हें रोकना चाहा था लेकिन उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि घर छूटे तो छूटे लेकिन देश को आज़ादी दिलाए बिना उनके कदम नहीं रुकेंगे!
आमतौर पर शहरों में रहते हुए बच्चे ज़मीन और खेतों से दूर हो जाते हैं। बच्चों को यह कोई नहीं बताता है कि आखिर उनके डाइनिंग टेबल पर भोजन कैसे पहुंचता है। खेत और फसल की बातें करने वाला कोई नहीं है। ऐसे में कोलकाता की एक सोसाइटी ने ‘लिटिल फार्मर’ नाम का एक प्रॉजेक्ट शुरू किया है, जहां बच्चों को मज़ेदार तरीके से खेती के गुर सिखाए जाते हैं।
'मिट्टी कैफ़े' की सबसे पहली स्टाफ कीर्ति ने जॉब के पहले दिन ही ग्राहक को चाय सर्व करने से पहले दो बार कप गिराया था। लेकिन आज कीर्ति यहाँ पर 4-5 स्टाफ को मैनेज करती हैं!
“मैंने पढ़ा कि कैसे कोविड-19 से संक्रमित लोगों का इलाज करने वाली स्वास्थ्य कर्मचारियों को उनके मकान-मालिक घर से निकाल रहे थे। यह बहुत दुखद था। मैं उनकी मदद करना चाहती थी।”
फोर्थ पार्टनर एनर्जी कंपनी द्वारा शुरू पावर@1 पहल के जरिए हर साल स्कूलों में हज़ारों रुपयों की बचत हो रही है। कंपनी का उद्देश्य उन लोगों तक इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल सौर ऊर्जा पहुँचाना हैं, जहां इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत है।
जीजा को जन्म से ही सेरिब्रल पाल्सी है और इस वजह से लोग अक्सर बप्पादित्य से पूछते हैं कि उन्होंने उनसे शादी क्यों की? इसके जवाब में वह केवल एक ही शब्द कहते हैं - 'प्यार'!