मिलिए देश के सबसे सफल दिव्यांग बिज़नेसमैन भावेश भाटिया से, जो खुद नेत्रहीन होने के बावजूद देशभर के 9000 दिव्यांगजनों को काम दे रहे हैं और अपने प्रोडक्ट्स देश की कई बड़ी कंपनियों के साथ दुनिया भर में पंहुचा रहे हैं।
बनारस के रहनेवाले 25 वर्षीय सत्यप्रकाश मालवीय नेत्रहीन होते हुए भी अपने घर से मसालों का बिज़नेस चलाते हैं। द बेटर इंडिया हिंदी पर उनकी कहानी पढ़ने के बाद, उन्हें देश भर से दिव्यांगजनों ने सम्पर्क किया और कई लोग उनसे जुड़कर काम भी करना चाहते हैं।
बाबू भाई परमार अहमदाबाद की सड़कों पर रहनेवाले बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि नौ साल की उम्र में उन्होंने अपने दोनों हाथ खो दिए थे, लेकिन पढ़ने के अपने शौक के कारण, उन्होंने अपने आप को तो शिक्षित किया ही अब दूसरों को भी पढ़ा रहे हैं।
ओडिशा के पंकज कुमार तरई, बीते 16 सालों से सड़क हादसे के शिकार लोगों को बचाने की मुहिम में लगे हैं। इसके लिए वह अपनी 30 फीसदी कमाई खर्च कर देते हैं। पढ़िए मानवता की यह प्रेरक कहानी!
डॉ. गुरुप्रसाद महापात्रा को सरकार ने मरणोपरांत पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। 1986 बैच के इस आईएएस अधिकारी को गुजरात में विकास को एक नई ऊंचाई देने के लिए जाना जाता है। जानिए उनके बारे में खास बातें!
मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले कुणाल वैद पहले टेक्सटाइल इंडस्ट्री में काम करते थे, लेकिन 2011 में झारखंड दौरे के दौरान महिला बुनकरों को हाथ से रेशम का धागा बनाते देख, उन्हें कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली।
मध्य प्रदेश के देवास में रहने वाले मनोज पटेल पेशे से एक किसान हैं। लेकिन उन्होंने लोगों की मदद करने का जो जिम्मा उठाया है, वह सराहनीय है। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!
विश्वनाथन आनंद की गिनती शतरंज के इतिहास के सबसे महान खिलाड़ियों में होती है। उन्होंने अपने जीवन में पांच बार वर्ल्ड चेस चैम्पियनशिप जीता है। आनंद की इस सफलता के पीछे उनकी माँ सुशीला आनंद का बड़ा हाथ है।
झूलन गोस्वामी ने अपने 19 वर्षों के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में 600 से अधिक विकेट लिए हैं। यह कारनामा करने वाली, वह दुनिया की पहली महिला गेंदबाज हैं। जानिए उनके ‘बॉल गर्ल’ से यहां तक पहुंचने की कहानी!