गुजरात के वन विभाग में काम करने वाले कनुभाई करकर, बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। अपने दिमाग का सुन्दर इस्तेमाल करके, उन्होंने घर बैठे कई आविष्कार किए हैं। हाल में, उन्होंने एक फोल्डिंग खटिया बनाई है, जो आपकी जरूरत के अनुसार आराम से बड़ी और छोटी बन सकती है।
दिल्ली में रहने वाले कैफ अली को अपने 'स्पेस इरा प्रोजेक्ट' के लिए डायना अवॉर्ड, अर्न्स्ट एंड यंग अवॉर्ड, कॉमनवेल्थ मिशन द्वारा सस्टेनेबल डेवलपमेंट अवार्ड जैसे कई पुरस्कार मिल चुके हैं। जानिए क्या है यह प्रोजेक्ट।
सुल्तानपुर के आनंद पांडेय एक इंजीनियर, आविष्कारक और उद्यमी है। उन्होंने ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन मॉडल, बैग कम चेयर और लड्डू बनाने वाली मशीन जैसे कई आविष्कार किए हैं।
‘नोबल कॉज’, एक कार्ट के आकार का इको-फ्रेंडली शवदाह गृह है, जिसमें पहिए लगे हैं। इसे जरूरत के हिसाब से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इस सिस्टम को ‘चीमा बॉयलर्स लिमिटेड’ के चेयरमैन, हरजिंदर सिंह चीमा ने IIT रोपड़ की मदद से बनाया है।
IIT खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करनेवाले अजित कुमार और सागर कुमार, कहलगाँव में 'Stepupify Labs' के नाम से अपना एक स्टार्टअप चला रहे हैं और इसके तहत उन्होंने किसानों की मदद के लिए 'Farm Surveillance-Cum-Animal Scare' डिवाइस बनाया है।
राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले के रहने वाले 62 वर्षीय गुरमैल सिंह धौंसी, एक फैब्रीकेटर, मैकेनिक और आविष्कारक हैं। उन्होंने कम्पोस्ट मेकर, ट्री प्रूनर जैसी 20 से ज्यादा मशीनें बनाई हैं।
ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में तलिता गाँव के रहने वाले, 74 वर्षीय गुरुचरण प्रधान एक रिटायर्ड शिक्षक और किसान हैं। उन्होंने 'कृषक साथी' नाम से एक कृषि यंत्र बनाया है, जो अकेला ही 10 यंत्रों का काम कर सकता है।
इम्फाल, मणिपुर में रहने वाले एम. मनिहर शर्मा मात्र दसवीं पास हैं। लेकिन, उन्होंने कई आविष्कार किये हैं, जैसे 'ऑटोमैटिक पंप ऑपरेटिंग सिस्टम', 'इनोवेटिव ड्रायर', 'इन्सेंसे स्टिक मेकिंग मशीन', 'सोलर सिल्क रीलिंग कम स्पिनिंग मशीन' इत्यादि।