वारंगल जिले में गोपालपुरम गाँव के रहने वाले राजू मुप्परापु ने एक सामान्य साइकिल में बदलाव करके इसे सौर ऊर्जा से चलने वाली साइकिल में तब्दील कर दिया है। इससे पहले भी वह कई आविष्कार कर चुके हैं।
असम के धेमाजी में रहने वाले नबजीत भराली ने जरूरतमंदों व दिव्यांगजनों के लिए कई ज़रूरी आविष्कार किए हैं, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।
डिब्रूगढ़, असम के रहने वाले 56 वर्षीय चाय किसान, दुर्लभ गोगोई ने 15 से ज्यादा फूड प्रोसेसिंग मशीनें बनाई हैं। जिनमें चाय, धान, हल्दी, अगर और अदरक जैसी फसलों को प्रोसेस करने वाली मशीनें शामिल हैं।
लातूर, महाराष्ट्र के किसान मकबूल शेख ने पुरानी बुलेट मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करके 10 एचपी बुलेट ट्रैक्टर का आविष्कार किया है और अब तक 140 किसान उनसे यह ट्रैक्टर खरीद चुके हैं।
ओडिशा के रेसिंगा गाँव के रहने वाले दिलीप बराल पहले पराली को खेतों में ही जला देते थे, लेकिन अब वह इससे आलू की खेती कर, बड़े पैमाने पर पानी और पैसों की बचत कर रहे हैं।
मुंबई में रहने वाले शिव कंपानी ने आगजनी की घटनाओं को देखते हुए, ‘Sensafe’ नाम की एक ऐसी मशीन बनाई है, जिससे आगजनी के किसी भी खतरे से पहले ही लोगों को अलर्ट किया जा सकता है।
ओडिशा के कालाहांडी में रहने वाले बिभू साहू राइस मिल के मालिक हैं। यहाँ धान की भूसी को जलाने के बाद लोगों को साँस लेने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इसी को देखते हुए, उन्होंने कुछ अभिनव करने का प्रयास किया।
ओडिशा के रेसिंगा गाँव के रहने वाले दिलीप बरल 1997 से फसलों से बीज तैयार करने के बिजनेस में हैं। इस दौरान उन्हें हाथों से बीज निकालने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने कुछ अलग करने का प्रयास किया, ताकि कम समय में अधिक से अधिक बीज निकाला जा सके।
ओडिशा में बराल गाँव के 24 वर्षीय अनिल प्रधान ने गाँव के बच्चों के लिए ‘इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल फॉर रूरल इनोवेशन’ खोला है जहाँ बच्चों को तकनीक और इनोवेशन का पाठ पढ़ाया जाता है!