कभी गुमनाम था झारखंड का गुमला जिला, लेकिन आज इसकी पहचान देश के रागी कैपिटल के तौर पर होती है, यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे सम्मानित किया है। रागी के उत्पादन से जहां एक तरफ महिलाएं आत्मनिर्भर हुई हैं, वहीं जिले का भी विकास हुआ है।
पिछले साल चंडीगढ़ के संजय राणा, कोरोना वैक्सीन लेनेवालों को मुफ्त में छोले भटूरे खिलाकर देशभर में मशहूर हो गए थे और इस साल भी बूस्टर डोज़ की धीमी गति को देखकर उन्होंने फिर से मुफ्त में खाना खिलाना शुरू कर दिया है।
बेंगलुरु के बेंजामिन और आइवी ने IT की नौकरी छोड़ एक मज़ेदार स्टार्टअप शुरू किया है, जिसमें उनका काम है सिर्फ घूमना और फ़िल्में देखना। ये दोनों फेसबुक, नेटफ्लिक्स, वायकॉम 18, कलर्स, एक्सेल एंटरटेनमेंट जैसी कंपनी की फिल्मों, विज्ञापनों और वेब सीरीज़ के लिए लोकेशन तलाशते हैं।
पालनपुर, गुजरात के 26 वर्षीय निरल पटेल ने लॉकडाउन के दौरान एक अनोखा बीज बैंक बनाया है। वह महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान तक पार्सल से विलुप्त होती वनस्पतियों और पेड़ों के बीज पहुंचाते हैं।
जयपुर की अनुपमा तिवाड़ी, पिछले 12 साल से पौधे लगा रही हैं। अब तक उन्होंने 15000 से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए हैं। उनके जीवन का लक्ष्य एक लाख पेड़-पौधे लगाना है।
मेरठ के एक 24 वर्षीय छात्र, करण गोयल ने, अपने पांच दोस्तों के साथ मिलकर, सिर्फ 2500 रूपये में एक ऐसा उपकरण तैयार किया है, जो लगभग 150 लीटर दूध बचाने में मदद करता है।
मुंबई में साल 1991 में एक ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत ‘श्रमिक महिला विकास संघ’ ने 300 से अधिक जरूरतमंद महिलाओं को सशक्त बनाया है। यह पहल, महिलाओं को एक ऐसा मंच प्रदान करती है, जिसमें वे अपनी पाक-कला का उपयोग कर अपनी आजीविका अच्छे से चलाने में सक्षम बन रही हैं।
भारत ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के तहत, लगभग 10 मिलियन टीकों को भेजने वाला है, जिनमें से लगभग 4.9 मिलियन टीके, पड़ोसी देशों जैसे, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, ब्राजील आदि को, एक उपहार के रूप में भेजे जा चुके हैं।