‘ऑपरेशन कवच’ नाम की यह पहल लगभग 175 गाँव की महिलाओं को सशक्त बना रही है। सिर्फ यही नहीं भारतीय सेना पहले ही अपने अस्पतालों के लिए बड़ी तादाद में पीपीई किट के लिए इन्हें ऑर्डर दे चुकी है।
अस्पतालों में मरीजों तक दवा और भोजन पहुंचाने वाले रिमोट कंट्रोल रोबोट से लेकर 30 सेंकेंड में व्यक्ति को डिसइंफेक्ट करने वाले चैंबर तक, जानिए झारखंड के इस आईएएस अफसर ने कोविड-19 से लड़ने के लिए क्या-क्या किया है।
आईएएस अधिकारी स्वप्निल टेम्बे कहते हैं, "लॉकडाउन से निपटने के लिए न तो उनके पास उचित काम है और न ही संसाधन।" लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार झेलने वाले समाज के जरूरतमंद तबके की मदद के लिए आगे आए स्वपनिल टेम्बे जैसे सिविल सेवा के अधिकारियों से जुड़ने के लिए द बेटर इंडिया की इस पहल में योगदान करिए।
यूपीएससी परीक्षा के अपने पहले प्रयास में उनकी रैंक 99 थी और उन्हें आईपीएस की पोस्ट मिली। लेकिन उन्होंने 2018 में फिर से एक बार परीक्षा दी और इस बार उनकी ऑल इंडिया रैंक 12 थी!
स्थानीय नेताओं को स्वच्छता के काम में लगाने के लिए देवसेना ने पूरे क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा का माहौल बना दिया ताकि सभी लोग अपने क्षेत्र को बेहतर बनाने के प्रयासों में जुट जाएं।
"ब्रेक टाइम में मुझे कार में ही आईवी ड्रिप दी गयी," यह कहना है सौम्या शर्मा का। सुनने की क्षमता न होते हुए भी उन्होंने परीक्षा में किसी तरह का आरक्षण नहीं लिया!