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IAS की पहल से झारखंड का कुपोषण वाला जिला बना देश का रागी कैपिटल

By प्रीति टौंक

कभी गुमनाम था झारखंड का गुमला जिला, लेकिन आज इसकी पहचान देश के रागी कैपिटल के तौर पर होती है, यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे सम्मानित किया है। रागी के उत्पादन से जहां एक तरफ महिलाएं आत्मनिर्भर हुई हैं, वहीं जिले का भी विकास हुआ है।

कभी कमज़ोर अंग्रेजी के चलते जिसका उड़ता था मज़ाक, छोटे से गाँव की वह लड़की बनी IAS टॉपर

IAS सुरभि गौतम का सफर एक मिसाल है, कि अगर खुद पर भरोसा हो तो किसी भी कमजोरी को हराकर बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है।

परीक्षा से पहले पिता व भाई को खोया, हिम्मत और लगन से हिमांशु नागपाल 22 की उम्र में बने IAS

हरियाणा के हिसार के रहने वाले हिमांशु नागपाल ने अपनी ज़िंदगी में कई दुख झेले, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत कर IAS अधिकारी बने। हिमांशु की कहानी काफी प्रेरणादायक है, जिन्होंने पिता और भाई की मौत के बाद खुद को संभालते हुए AIR 26 के साथ UPSC परीक्षा पास की।

माँ ने अकेले ही पत्तों की झोपड़ी में पाला, आज डॉक्टर व IAS बना यह आदिवासी बेटा

“बचपन से मैं एक डॉक्टर बनना चाहता था ताकि मैं दूसरों की मदद कर सकूँ। लेकिन बड़े होने के बाद मुझे लगा कि लोगों की मदद करने के लिए पहले मुझे उन्हें शिक्षित करके बेहतर अवसर प्रदान करना चाहिए। इसके लिए मैंने सिविल सर्विसेज को चुना।” - डॉ. राजेंद्र भरुद, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, नंदुरबार जिला, महाराष्ट्र।

लॉकडाउन में मसीहा बने यूपी के आईएएस, सूखी नदी को किया ज़िंदा, 800 लोगों को मिला रोज़गार!

By पूजा दास

देश और दुनिया में कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। मामलों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी जिसका असर सबसे ज़्यादा दिहाड़ी मज़दूरों पर पड़ा। मज़दूरों के लिए इस कठिन समय को एक आईएएस ऑफिसर ने वरदान में बदल दिया और साथ ही वह गाँव की दो प्रमुख समस्याओं का हल निकालने में कामयाब रहे।

UPSC Prelim: कोरोना के माहौल में कैसे करें परीक्षा की तैयारी, जानिए आईएएस अफसरों से!

By पूजा दास

“अभी बहुत ज़्यादा घटनाएँ नहीं हैं और ज़्यादातर खबरें कोविड-19 से ही जुड़ी हुई हैं। इसलिए वैकल्पिक विषय पर काम करना अच्छा होगा।” सुरभि गौतम ,आईएएस

एक अधिकारी ऐसी भी: महिला ऑफिसर के नाम पर लोगों ने रखा गाँव का नाम!

By पूजा दास

दिव्या ने प्रशासनिक कार्यालय तक आम लोगों की पहुँच आसान बनाने और खुद भाषा सीखने की पूरी कोशिश की और जल्द की वह "अधिकारी मैडम" से लोगों के परिवार का एक हिस्सा बन गईं।