राजकोट के 30 वर्षीय रसिक नकुम ने साल 2013 में टीचर की नौकरी के साथ-साथ हाइड्रोपोनिक तरीके से सब्जियां उगाना शुरू किया था। वहीं, पिछले चार सालों से वह नौकरी छोड़कर एक कृषि एक्सपर्ट के तौर पर काम कर रहे हैं। पढ़ें, कैसे हुआ यह सब मुमकिन।
जयपुर, राजस्थान के रहने वाले 25 वर्षीय अनिल थडानी ने कृषि विषय में पढ़ाई की है और उन्होंने अपने घर की छत से नर्सरी का काम शुरू किया, जिसके तहत आज वह 20 से ज्यादा लोगों के घरों में हाइड्रोपोनिक, वर्टिकल और टेरेस गार्डन लगा चुके हैं और लगभग ढाई हजार किसानों को जैविक खेती की ट्रेनिंग दे रहे हैं।
हैदराबाद के सचिन दरबरवार ने अपनी पत्नी श्वेता दरबरवार के साथ मिलकर ‘सिंपली फ्रेश’ की स्थापना की है, जहाँ QR कोड प्रणाली से ग्राहक हर बार उपज खरीदने से पहले इसकी जांच कर सकता है।
लुधियाना, पंजाब के रहने वाले 39 वर्षीय बैंक क्लर्क अंकित गुप्ता ने यूट्यूब से हाइड्रोपोनिक्स विधि सीखकर, अपने घर की छत पर यह सेटअप लगाया और आज वह हर महीने 40 हजार रुपए से ज्यादा की सब्जियां ग्राहकों तक पहुँचा रहे हैं।
पुणे के रहने वाले इंजीनियर और अब एक ‘अर्बन किसान’ समीर, पिछले 5 सालों से अपनी छत पर ‘एक्वापोनिक्स’ तरीके से 63 किस्म की सब्ज़ियां उगा रहे हैं। जिनमें टमाटर, पालक, पुदीना, खीरा, मक्का, स्टीविया और कद्दू शामिल हैं।
तमिलनाडु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर जेगन विंसेंट, अपने 'फ्रेशरी फार्म्स' में 'एक्वापोनिक्स' तकनीक से खेती कर रहे हैं। जिससे उन्हें सालाना 45 टन मछलियों और हर महीने 4 टन सब्ज़ियों का उत्पादन मिलता है।