Placeholder canvas

नौकरी छोड़ बने किसान! बिना मिट्टी उगा रहे सब्जियां, लगा चुके हैं 1000 हाइड्रोपोनिक सेटअप

hydroponic farming

राजकोट के 30 वर्षीय रसिक नकुम ने साल 2013 में टीचर की नौकरी के साथ-साथ हाइड्रोपोनिक तरीके से सब्जियां उगाना शुरू किया था। वहीं, पिछले चार सालों से वह नौकरी छोड़कर एक कृषि एक्सपर्ट के तौर पर काम कर रहे हैं। पढ़ें, कैसे हुआ यह सब मुमकिन।

किसान का बेटा होने के नाते, राजकोट के रसिक नकुम को हमेशा से खेती में बेहद रुचि थी। वह हमेशा पारम्परिक खेती के अलावा, कुछ नए प्रयोग करने और इसके ज़रिए लोगों की मदद करना चाहते थे।  लेकिन उनके पिता चाहते थे कि नकुम पढ़ाई करके टीचर बनें और गांव के बच्चों को शिक्षित करने का काम करें। यही कारण है कि उन्होंने हमेशा से नकुम की पढ़ाई पर ज्यादा जोर दिया। बीएससी की पढ़ाई के बाद नकुम ने एक शिक्षक के तौर पर काम करना भी शुरू कर दिया, लेकिन उनका मन हमेशा से खेती में ही लगा रहा। वह चाहते थे कि कुछ ऐसा काम किया जाए, जिससे खेती में कुछ बदलाव लाया जा सके। जिस तरह से कीटनाशक के बढ़ते उपयोग से जमीन ख़राब हो रही है और पानी की समस्या से खेती मुश्किल बनती जा रही है,  ऐसे में आम इंसान के लिए ताज़ा सब्जियां मिलना भी मुश्किल हो गया है। तभी उन्हें हाइड्रोपोनिक सेटअप लगाने का ख्याल आया।

कैसे जुड़ें हाइड्रोपोनिक खेती से?

Rasik Nakum At A Training Program
Rasik Nakum At A Training Program

द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, “एक बार मैंने टीवी पर न्यूज़ देखी कि कैसे केमिकल वाला खाना कैंसर का कारण भी बन सकता है। तब से मैंने सोच लिया था कि मुझे वापस से खेती से ही जुड़ना है।” 

उस दौरान नकुम, नौकरी कर रहे थे इसलिए वह नौकरी छोड़कर खेती से नहीं जुड़ सकते थे। 

तभी उन्होंने पहली बार हाइड्रोपोनिक खेती के बारे में भी सुना। उन्हें यह विचार काफी अच्छा लगा। उन्हें लगा कि यह सेटअप तो घर पर भी आराम से लगाया जा सकता है और वह नौकरी के साथ भी इसे कर सकते हैं। 

लेकिन उनके पास इसका तकनीकि ज्ञान नहीं था। 

इसलिए वह जूनागढ़ कृषि यूनिवर्सिटी से हाइड्रोपोनिक की ट्रेनिंग लेने गए। नकुम कहते हैं, “जब मैं कृषि यूनिवर्सिटी गया था, तो वहां के वैज्ञानिकों ने मुझे हाइड्रोपोनिक के बारे में सिखाने से मना कर दिया और मुझे मेरी नौकरी पर ही ध्यान देने को कहा। उस समय यूनिवर्सिटी में किसी के पास इसका कोई प्रैक्टिकल ज्ञान भी नहीं था। लेकिन मैंने इसे सीखने का मन बना लिया था।”

नकुम ने घर आकर, छत पर ही एक छोटा सा सेटअप लगाकर खुद हाइड्रोपोनिक खेती शुरू कर दी। उनके पास ज्यादा जानकारी नहीं थी, इसलिए पहले एक साल उन्होंने इसपर रिसर्च की। उन्होंने पानी के PH लेवल और TDS आदि पर ध्यान देना शुरू किया और इंटरनेट पर पढ़कर इसपर काम करना जारी रखा। 

Hydroponic Setup
Hydroponic Setup

लोगों के तानों से आगे बढ़ बनाई अलग पहचान  

शुरुआत में नकुम को सब्जियां उगाने की कोशिश करता देख लोग उनका मजाक भी उड़ाते थे कि क्यों यह टीचर अपना समय बर्बाद कर रहा है। लेकिन आख़िरकार एक साल बाद उन्होंने हाइड्रोपोनिक के जरिए अपने परिवार के लिए सब्जियां उगाना शुरू कर दिया।  

वह इससे अपने परिवार के लिए तो जैविक सब्जियां उगा ही रहे हैं, साथ ही इन सब्जियों को बाजार में बेच भी रहे हैं।  इसके अलावा वह कृषि यूनिवर्सिटी के छात्रों को इसकी तालीम देने और गुजरात कृषि विभाग में  एग्रो एक्सपर्ट के रूप में भी काम कर रहे हैं। 

मात्र 30 साल की उम्र में वह देशभर में 1000 से ज्यादा हाइड्रोपोनिक सेटअप लगा चुके हैं। लेकिन एक समय पर इस तकनीक से जुड़ना और इसे सीखना उनके लिए बिल्कुल आसान नहीं था। उन्होंने इस काम के लिए कई लोगों के ताने भी सुने,  बावजूद इसके उन्हें हाइड्रोपोनिक पर पूरा भरोसा था और आज इसी ने उन्हें एक नई पहचान भी दिलाई है।   

हाइड्रोपोनिक खेती को आगे बढ़ाने के लिए छोड़ी नौकरी 

नकुम कहते हैं, “पिछले छह सालों से तो मैं हाइड्रोपोनिक के जरिए अपने परिवार के लिए घर पर ही तक़रीबन सारी सब्जियां उगा रहा हूं।” हाइड्रोपोनिक का सफल सेटअप तैयार करने के बाद,  नकुम कृषि यूनिवर्सिटी फिर से गए। 

शुरुआत में तो किसी ने उनपर विश्वास नहीं किया। नकुम कहते हैं, “वहां के एक्सपर्ट कहते थे कि जो काम हम नहीं करते, आपने कैसे कर लिया? लेकिन मैं सबको कहता अगर आपको मुझपर यकीन नहीं, तो आप मेरे घर आकर देख सकते हैं। इस तरह कई कृषि वैज्ञानिक मेरे घर हाइड्रोपोनिक सेटअप देखने आते थे। 

उन्होंने मुझे कृषि यूनिवर्सिटी में नौकरी करने का प्रस्ताव भी दिया। लेकिन मैं नौकरी से जुड़कर ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंच पाता, इसलिए मैंने वहां नौकरी करने से मना कर दिया।”

नकुम कृषि यूनिवर्सिटी में फुल टाइम जॉब भले न करते हों, लेकिन उनका घर यूनिवर्सिटी के बच्चों के लिए एक लैब ज़रूर बन गया है। उनके घर पर, यूनिवर्सिटी की ओर से बच्चों को हाइड्रोपोनिक मेथड सीखने भेजा  जाता है। कई लोग सोशल मीडिया के जरिए भी उनसे जुड़े हैं। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस तकनीक को पहुंचाने के लिए चार साल पहले अपनी टीचर की नौकरी भी छोड़ दी है। 

नकुम कहते हैं, “अगर घर पर थोड़ी भी जगह खाली है, तो आप हाइड्रोपोनिक तकनीक से अपने इस्तेमाल की 50 प्रतिशत सब्जियां आराम से घर पर उगा सकते हैं। वही कई अर्बन फार्मर इसके जरिए नया रोजगार भी शुरू कर सकते हैं।”

आप भी अगर हाइड्रोपोनिक के बारे में कुछ जानना चाहते हैं तो आप फेसबुक के जरिए उनसे जुड़ सकते हैं।  

संपादनः अर्चना दुबे

यह भी पढ़ेंः इंजीनियर से बने किसान! गांव में लेकर आए शिक्षा, स्वास्थ्य व खेती से जुड़ी तकनीकी सुविधाएं

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X