केरल के कोल्लम जिले में कोट्टाराकरा के रहने वाले 41 वर्षीय डॉ. हरि मुरलीधरन, पिछले 10 सालों से अपने खेत में लगभग 800 विदेशी प्रजातियों के फलों के पेड़-पौधे उगा रहे हैं। जिनमें सॉनकोय, अलामा, यूगु, बिगनेय आदि शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिला के बवाइन गाँव के रहने वाले रविंद्र प्रताप सिंह ने 2006 में शिक्षक की नौकरी शुरू की थी लेकिन 2017 में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और बागवानी की शुरुआत कर दी।
संदीप के पास 250+ पेड़-पौधे हैं। अपने बच्चे को प्रकृति के करीब रखने के लिए उन्होंने टेरेस गार्डन को प्ले गार्डन बना दिया है, जहाँ स्विमिंग पूल से लेकर स्लाइडर तक है।
आमतौर पर कीनू की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी परेशानी उनके उत्पादन का 40% हिस्सा बर्बाद हो जाना है, इसकी वजह है फलों का पकने से पहले प्राकृतिक रूप से गिर जाना। विपेश गर्ग के इस समाधान ने किसानों को होने वाले नुकसान से तो बचाया ही साथ ही अब किसानों की अतिरिक्त आय भी हो रही है।