उत्तराखंड के छोटे से गांव करौली के रहनेवाले नीरज जोशी के पिता ITBP में नौकरी के साथ-साथ खेती भी किया करते थे और उन्हीं से नीरज को भी खेती और पेड़-पौधों से बहुत कम उम्र से ही लगाव हो गया था। इसीलिए नीरज ने फ्रांस की नौकरी ठुकराकर, गांव आकर खेती करने का फैसला किया।