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शहर से दूर, पहाड़ों में बनाया ड्रीमहाउस, पर्यटकों को आ रहा खूब पसंद

The Doi Homestay in Uttarakhand started by Sambit and Disha

संबित दत्ताचौधरी और दिशा कपकोटी ने अपने शहर को छोड़ उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के पहाड़ी गाँव में दोई नाम से होमस्टे शुरु किया है। चारों ओर फलों के बागान के बीच बना यह होमस्टे, शहर की हलचल से ब्रेक चाहने वालों के लिए एकदम पर्फेक्ट जगह है।

खूबसूरत नजारों और घने देवदार के जंगलों, फलों के बगान और विशाल हिमालय की चोटियों से घिरा हुआ है उत्तराखंड में होमस्टे, ‘दोई’। उत्तराखंड के नथुआ खान नाम के गांव में बना यह होमस्टे, प्रकृति प्रेमियों और उन लोगों के लिए एकदम सही जगह है, जो शहरी जिंदगी से ब्रेक लेकर शांति का मज़ा लेना चाहते हैं।

यह होमस्टे आने वाले मेहमानों को प्रकृति से जुड़ने का भरपूर मौका देता है और साथ ही अपने घर जैसी सारी सुविधाएं भी। इस होमस्टे को संबित दत्ताचौधरी और दिशा कपकोटी चलाते हैं। दोई होमस्टे, इन दोनों पति-पत्नी के लिए एक पैशन प्रोजेक्ट रहा है।

संबित एक फ्रीलांस फिल्ममेकर और फोटोग्राफर हैं। वह बताते हैं कि उनकी मुलाकात दिशा से पांच साल पहले एक दोस्त के माध्यम से हुई थी। तब दिशा को नौकरी छोड़े कुछ ही समय हुआ था। इससे पहले वह ट्रैवल राइटर थीं।  

वह कहते हैं, “हम दोनों एक-दूसरे के जीवन में आसानी से फिट हो गए, क्योंकि हमारी पसंद काफी हद तक एक जैसी है। हम दोनों को ही यात्रा करना, खाना, नई जगहें तलाशना और नए लोगों से मिलना पसंद है।” हालांकि वह कहते हैं कि उत्तराखंड में एक अच्छा होमस्टे बनाना दिशा का ही आईडिया था।

उत्तराखंड में होमस्टे बनाने के लिए एक-एक कर बढ़ाया कदम

A room at Doi homestay
A room at the homestay

दिशा बताती हैं कि उनका काम ऐसा था, जिसमें काफी ज्यादा ट्रैवल करने की ज़रूरत थी। वह अलग-अलग जगहों पर जाकर रहती थीं और उसके रिव्यूज़ लिखती थीं। वह कहती हैं, “इससे मुझे ट्रैवल इंडस्ट्री को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली और इस ओर मेरी दिलचस्पी और अधिक बढ़ी। इसके अलावा, मैं उत्तराखंड से हूं और यह मेरे लिए एक स्वभाविक विकल्प भी था और सबसे अच्छी बात यह थी कि संबित की भी यही इच्छा थी।”

संबित और दिशा, दोनों का ही सपना था कि वे पड़ाडियों के बीच जिम्मेदारी के साथ चलने वाला एक होमस्टे शुरू करें। 2017 में, उन्होंने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का फैसला किया। लेकिन उन्होंने यह भी महसूस किया कि यह काम एक दिन में नहीं हो सकता।

इसलिए, अपने सपने को पूरा करने की दिशा में, पहले कदम के रूप में उन्होंने सबसे पहले एक ट्रैवल कंपनी खोली। इस कंपनी का नाम था, ‘द दोई होस्ट’। यह कंपनी सस्टेनेबल रोड ट्रिप्स को बढ़ावा देते हुए पर्यटकों को यात्रा का अनोखा अनुभव प्रदान करती थी।

संबित कहते हैं कि उन्हें अच्छी तरह पता था कि वे क्या बनाना चाहते थे, लेकिन उसके लिए काफी सारे पैसों की ज़रूरत थी। उन्होंने कहा, “इसलिए, हमने दोई होस्ट लॉन्च किया, जहां हम दोनों ट्रैवल गाइड बन गए और लोगों को सिक्किम, मेघालय, हिमाचल, कश्मीर सहित हिमालय में दूर-दराज़ स्थित जगहों की यात्राओं पर ले जाने का काम करने लगे।”

कैसे हुई दोई होमस्टे की शुरुआत?

Trails around the homestay
Trails around the homestay

संबित कहते हैं कि उन्होंने 2017 से 2020 तक लोगों को घुमाने का काम किया। करीब तीन साल तक एक साथ यात्रा करने के बाद, उन्होंने महसूस किया कि उन्होंने साथ मिलकर अच्छी तरह से काम किया। संबित ने बताया, “दोई होस्ट के ज़रिए जब भी हम मेहमानों को घुमाने ले जाते, तो हमारी सात से आठ दिनों की यात्राओं के दौरान, हम ज्यादातर स्थानीय होमस्टे में रहते थे। इससे हमारे मेहमानों को स्थानीय संस्कृति और जीवन के तरीके का अनुभव करने में मदद मिलती और हमें बिजनेस को बेहतर ढंग से समझने में।”

वह आगे कहते हैं, “उस काम के साथ-साथ, हम उत्तराखंड में होमस्टे बनाने के लिए एक अच्छी जगह भी ढूंढते रहे और नवंबर 2019 में हमें एक अच्छी जगह मिली।” फिर दोनों ने नथुआ खान में लीज़ पर लिए गए एक पुराने घर को होमस्टे में तब्दील करने का काम शुरू किया। हालांकि, महामारी के बीच इसे शुरू करना आसान नहीं था। लेकिन कोविड नियमों का सख्ती से पालन करते हुए जुलाई में इसे खोलने में वे कामयाब रहे।

शुरुआत में उन्होंने केवल लॉन्ग टर्म स्टे की पेशकश की थी। लेकिन अब वे देश भर के मेहमानों की मेज़बानी तो कर ही रहे हैं साथ ही, कम समय के लिए रहनेवाले पर्यटकों के लिए भी अपने होमस्टे के दरवाजे़ खोल दिए हैं। 

‘दोई’ का क्या अर्थ है, उत्तराखंड में होमस्टे का यह नाम क्यों चुना?

View from the Doi Homestay
View from the Doi Homestay

‘दोई’ नाम के बारे में पूछे जाने पर, दिशा कहती है, “यह एक कुमाऊनी शब्द है, जिसका अर्थ है ‘एक ऐसा व्यक्ति, जो घर वापस नहीं जाना चाहता’। यह शब्द मेरे साथ लंबे समय से है, क्योंकि बहुत सारे लोग मुझे ‘दोई’ कहते थे।”

30 साल की दिशा, कुमाऊं क्षेत्र के हल्दवानी की रहनेवाली हैं। दोई शब्द के बारे में बात करते हुए वह आगे कहती हैं, “कुमाऊनी भाषा विलुप्त हो रही भाषाओं में से एक है। इसलिए, मैंने सोचा कि अगर हम भाषा से एक शब्द का उपयोग करते हैं, तो यह इस भाषा के बारे में और अधिक बातचीत शुरू करने का आधार हो सकता है।”

कुमाऊं क्षेत्र के नथुआ खान में बहुत कम होमस्टे हैं। यहां बना दोई होमस्टे समुद्र तल से लगभग 2000 मीटर ऊपर है। गाँव से थोड़ी दूर, ओक-पाइन के जंगलों में, फल के बागों और चाय के बागानों से घिरा हुआ यह होमस्टे कई कारणों से अलग और अनोखा है।

होमस्टे के बारे में बताते हुए संबित कहते हैं, “होमस्टे के एक तरफ, हमारे पास खुबानी, आड़ू, आलुबुखारा, सेब, नाशपाती आदि के बाग हैं। इसके अलावा, होमस्टे के पिछले आंगन में चाय का एक छोटा बगीचा भी है। हम कई सब्जियां, हर्ब, दाल आदि खुद उगाते हैं, क्योंकि हमारा लक्ष्य आत्मनिर्भर और सस्टेनेबल बनना है।”

वे होमस्टे के आसपास कई किस्म के टमाटर, मूली, स्ट्रॉबेरी, कैमोमाइल्स आदि भी उगाते हैं। संबित मुस्कुराते हुए बताते हैं, “हम दोनों कई बार खाना बनाते हैं और हमें इटालियन और मिडिल-ईस्ट भोजन काफी पसंद हैं।” 

यहां रुकने के लिए कितने पैसे करने होंगे खर्च?

Food at Doi Homestay
Food at Doi Homestay

दिशा और संबित दोनों को ही खाने से बेहद प्यार है। अच्छा खाना खाने के लिए वे हमेशा तैयार रहते हैं। इसलिए, वे ख्याल रखते हैं कि होमस्टे में आने वाले मेहमानों को स्वादिष्ट और घर का पका हुआ खाना ही परोसा जाए। 

संबित बताते हैं, “हमारे पास एक इन-हाउस शेफ है, जो स्थानीय भोजन और सभी प्रकार के भारतीय व्यंजन पकाता है। इसके अलावा, हमारे पास कॉन्टिनेंटल मेन्यू भी है, जिसमें हम केवल उन चीज़ों का उपयोग करते हैं, जो हमारे होमस्टे के आस-पास उगाए जाते हैं। इसलिए, हम सामग्री की उपलब्धता के अनुसार मेन्यू सेट करते हैं।”

उत्तराखंड में होमस्टे के बारे में विस्तार से बात करते हुए संबित कहते हैं, “यह जगह एक रीट्रीट की तरह है, क्योंकि यह गाँव में बना हुआ है, जहां आसपास बहुत सारी चीजें नहीं हैं। यह काफी दूर बसा हुआ गाँव है, जहां आसपास कोई कैफे या रेस्तरां नहीं है। रेस्तरां के लिए आपको मुक़्तेश्वर जाना पड़ेगा, जो कम से कम 15 किमी दूर है। इसलिए हमारे सभी पैकेज में दिन के तीनों समय के भोजन शामिल हैं।”

होमस्टे में एक व्यक्ति के लिए लॉन्ग स्टे (30 दिनों का) का पैकेज 33,000 रुपये से लेकर 39,000 रुपये के बीच है। जबकि दो व्यक्तियों के लिए यह पैकेज 39,000 रुपये से 51,000 रुपये तक है। इसके अलावा, कम समय के लिए भी पर्यटक यहां आ सकते हैं। एक व्यक्ति के लिए यहां एक दिन रहने की लागत 2,100 रुपये और दो लोगों के लिए 3,000 रुपये है।

बेहतरीन नज़ारों के सामने खुलती हैं आंखें

The Doi Homestay View (Left) & Sambit and Disha (Right)
The Doi Homestay View (Left) & Sambit and Disha (Right)

कई ऐसे मेहमान हैं, जो दोई होमस्टे में बार-बार आते हैं। ऐसी ही एक मेहमान हैं रियांका रॉय। गुरुग्राम की रहनेवाली रियांका कहती हैं, “होमस्टे की मेरी पहली यात्रा अक्टूबर 2020 में थी, जो लॉकडाउन के बाद ही था और मुझे लगता है कि उस साल मेरे साथ हुई ये सबसे अच्छी चीज़ थी। होमस्टे में नाश्ते से लेकर रात के खाने तक, बेहद स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं। संबित खुद खाना भी पका लेते हैं और लजीज़ बेकिंग भी करते हैं। उन्होंने हमें पास्ता, पिज्जा, सैंडविच और स्वादिष्ट डेसर्ट बनाकर खिलाए।”

होमस्टे का एक और मुख्य आकर्षण हिमालय की रेंज का शानदार दृश्य है। यहां आने वाले किसी भी व्यक्ति की आंखें त्रिशुल, नंदा घंटी, चौखम्बा और नीलकंठ जैसी बर्फ से ढकी चोटियों के दृश्य के साथ खुलती हैं।

होमस्टे के चारों ओर कई खूबसूरत ट्रेल्स हैं, जहां कोई भी ओक के जंगलों में घूम सकता है या गांव की सैर कर सकता है या फिर वॉटरफॉल्स तक टहल सकता है।

यहां आ चुकीं एक और मेहमान हैं, कनक सिंह। अलीगढ़ की रहनेवाली कनक सिंह कहती हैं, “मैं यहां दो बार आई हूं। पहली बार मैं फरवरी 2022 में आई थी और एक महीने से अधिक समय तक यहां रही। बाद में, मैं जून में एक सप्ताह से अधिक समय के लिए आई। यह एक सुंदर होमस्टे है, जो आपको सुरक्षित और घर जैसा महसूस कराता है। दिशा और संबित बेहतरीन होस्ट हैं।”

वह कहती हैं, “मैं होमस्टे के पास सोलो हाइक के लिए जाती थी, इसके चारों ओर बहुत सारे सुंदर ट्रेल्स हैं। मैंने गाँव में एक दोस्त भी बनाया, एक 14 साल की लड़की, जो कभी-कभी मेरे साथ हाइक के लिए जाती थी। हम अभी भी संपर्क में हैं।”

फलों के नाम पर रखे उत्तराखंड में होमस्टे के कमरों के नाम

Apricots and plums from their fruit orchard
Apricots and plums from their fruit orchard

दिशा बताती हैं, “कुल मिलाकर यहां पाँच कमरे हैं, जिनके नाम बाग में उपलब्ध विभिन्न फलों के नाम पर हैं – माल्टा, कीवी, प्लम, एप्पल, एप्रिकोट।” कमरों में एक से दो लोग आराम से रह सकते हैं। होमस्टे के लॉन्च के बाद से दिशा और संबित जिन प्रमुख चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनमें से एक है प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट।

दिशा बताती हैं, “चूंकि यह एक गाँव है, तो यहां प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करने की कोई सुविधा नहीं है। इसलिए, हमने अपने होमस्टे में प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करने और हल्दवानी में एक प्लांट में अपसाइक्लिंग के लिए भेजने का फैसला किया।” वे चाहते थे कि यह होमस्टे जहां तक हो सके इको-फ्रेंड्ली हो। हालांकि, अब तक यह पूरी तरह से नहीं हुआ है, लेकिन वे इसे पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल बनाने की प्रक्रिया में हैं। 

अब तक के सफर के बारे में दिशा कहती हैं, “यह बहुत बड़ा काम था और यहां तक पहुंचने में बहुत समय लगा। लेकिन जिस तरह से चीजें होती गईं, उसके लिए हम आभारी हैं। हमने जैसा सोचा था, उसी तरह से यह काम हुआ।” अंत में वह कहती हैं कि “यह टीम वर्क था, जहां हम दोनों ने जिम्मेदारियां लीं और एक साथ आगे बढ़े।”

दिशा और संबित अब होमस्टे से लगभग 7 किमी दूर सीतला में पिज़्ज़ेरिया और बेकरी शुरू करने के काम में व्यस्त हैं।

इस होमस्टे में बुकिंग और अधिक जानकारी के लिए, आप उनकी वेबसाइट पर जा सकते हैं या +91-9871083849 / +91-9654485394 पर संपर्क कर सकते हैं।

मूल लेखः अंजली कृष्णन

संपादनः अर्चना दुबे

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