चाँद जैसी दिखती है वह, टेस्ट है उसका लाजवाब! होली की है शान, बोलो क्या है उसका नाम? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं मिठास से भरी गुजिया की! इसे करंजी बुलाएं या घुघरा, गरिजालू कहें या पेड़किया.. अलग-अलग नामों वाली इस गुजिया के बिना रंगों वाली होली भी फ़ीकी हो जाती है। लेकिन क्या इसकी कहानी पता है आपको? कैसे एक मिठाई बन गई होली की शान!
तमिलनाडु के तंजावुर में साल 1949 में बनी ‘बॉम्बे स्वीट्स’ नामक दुकान में, रोजाना लगभग चार हजार ग्राहक आते हैं। यहां 200 प्रकार की मिठाइयां और सात तरह के स्वादिष्ट स्नैक्स मिलते हैं।
मुंबई के कांदिवली ईस्ट में रिवियेरा टावर्स में रहने वाले लोगों ने, सोसाइटी के सभी घरों तथा मंदिरों से फूल-पत्तियां एकत्र कर, कुछ बेहद आसन तरीकों से ऑर्गेनिक रंग बनाये हैं। आप जानना चाहेंगे कैसे? तो पढ़िए ये लेख।
इधर पूस का पहला इतवार आता है... और उधर कुमाऊं के आंगनों में होली की सुगबुगाहट होने लगती है। हैरान हैं न आप, कि ऐन सर्दी में कैसी होली? चलो चलते हैं आज उत्तराखंड के पहाड़ों की तरफ़, जहां होली एक या दो रोज़ नहीं बल्कि पूरे ढाई—तीन महीने चलने वाला त्यौहार है।