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होम स्टे के ज़रिये बचाया विलुप्त हो रहे हिम तेंदुओं को, दो लद्दाखियों की अद्भुत कहानी

By द बेटर इंडिया

दो लद्दाखी वन्य जीव संरक्षकों की बदौलत आज हिम तेंदुओं का अस्तित्व है। उन्होंने हिम तेंदुओं को होम स्टे के ज़रिये कैसे बचाया, यह उसकी रोचक कहानी है।

जानिये कैसे! ‘ऑल-विमन कैंटीन’ ने बढ़ाया 3 हजार रूपये के बिजनेस को 3 करोड़ रूपये/वर्ष तक

By प्रीति महावर

मुंबई में साल 1991 में एक ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत ‘श्रमिक महिला विकास संघ’ ने 300 से अधिक जरूरतमंद महिलाओं को सशक्त बनाया है। यह पहल, महिलाओं को एक ऐसा मंच प्रदान करती है, जिसमें वे अपनी पाक-कला का उपयोग कर अपनी आजीविका अच्छे से चलाने में सक्षम बन रही हैं।

पंजाब का ‘मशरूम किंग’, दो एकड़ ज़मीन से सालभर में कमाते हैं 1.25 करोड़ रुपये

By निशा डागर

दूरदर्शन के एक कार्यक्रम से प्रेरित होकर, संजीव सिंह ने 1992 में मशरूम उगाना शुरू किया था और आज वह सैकड़ों टन मशरूम उगा रहे हैं, जिसके लिए उन्हें ‘पंजाब का मशरूम किंग' का ख़िताब मिल चुका है।

दिल्ली टू लेह: जानिए, जमी हुई नदी पर पिकनिक मनाने के लिए कैसी होनी चाहिए तैयारी

By अलका कौशिक

चलिए दिल्ली से लेह तक के रोमांचक सफर में, अलका कौशिक के साथ। इस सफरनामे में, लेह-लद्दाख की ख़ूबसूरती बयान करते हुए, वह आपको वो सारे टिप्स भी देंगी, जो आपकी इस यात्रा के लिए ज़रूरी हैं।

500 रुपए से भी कम में, घर से शुरू कर सकते हैं ‘हैंडमेड ज्वेलरी’ बिजनेस, जानिए कैसे

By निशा डागर

दिल्ली की गरिमा बंसल अपने घर से अपना हैंडमेड ज्वेलरी का बिजनेस चला रही हैं तथा उनकी बनाई ज्वेलरी आज अमेरिका और कनाडा तक पहुँच रही है।

12वीं पास हैं भोपाल की अर्शी खान, पर खड़ा किया 75 लाख का बिज़नेस, जानिए कैसे

भोपाल स्थित ‘कॉलेज खबरी’ कंपनी की संस्थापिका अर्शी खान महज 12वीं पास हैं। लेकिन, उन्होंने अपने हुनर और समझ से देश के हजारों छात्रों के करियर को एक नई दिशा दी।

उत्तराखंड के इस किसान के नाम है विश्व का सबसे लम्बा धनिया का पौधा उगाने का रिकॉर्ड

By पूजा दास

उत्तराखंड के गोपाल दत्त उप्रेती के नाम विश्व का सबसे लम्बा धनिया का पौधा (tallest dhaniya plant) उगाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड है।

कैसे छत्तीसगढ़ का यह एक जिला बना रहा है 28 हज़ार महिलाओं और बच्चों को कुपोषण-मुक्त!

By निशा डागर

छत्तीसगढ़ धीरे-धीरे लेकिन स्थिरता से कुपोषण के मुद्दे को हल कर रहा है और झारखंड, राजस्थान, असम और ओडिशा जैसे अन्य राज्य, बेशक इससे सीख लेकर अपने यहाँ भी इस तरह की योजनायें और कार्यक्रम शुरू कर सकते हैं।