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5वीं पास सरपंच ने जला दी शिक्षा की लौ, 50 बेटियों को स्कूल जाने के लिए किया प्रेरित

बुरहानपुर के आदिवासी बाहुल्य झांझर गांव में करीब दस साल पहले तक रूढ़िवादी सोच के चलते बेटियां पांचवीं क्लास से आगे नहीं पढ़ पाती थीं। लेकिन एक महिला ने अकेले दम पर इस आदिवासी समाज में शिक्षा की लौ जला दी है। कमलाबाई ने इन हालातों को बदलने का बीड़ा उठाया और आज गांव की 50 से ज़्यादा बेटियां स्कूल और कॉलेज तक में पढ़ाई कर रही हैं।

कौन हैं गौरी सावंत? ट्रांस राइट्स एक्टिविस्ट के जीवन से प्रेरित है सुष्मिता सेन की सीरीज़

गौरी सावंत, जो सिर्फ़ 17 साल की उम्र में अपना घर छोड़ने पर मजबूर हो गईं, क्योंकि उनके व्यक्तित्व को समाज ही नहीं, बल्कि उनके खुद के पिता ने भी नहीं समझा। अनगिनत मुश्किलों के बावजूद, आज उन्होंने अपनी एक पहचान बनाई है। सुष्मिता सेन की आने वाली वेब सीरीज़, दुनिया को दिखाएगी उनके संघर्षपूर्ण जीवन की कहानी।

जिन बच्चियों को माता-पिता ने नहीं अपनाया, उन बेटियों के पिता बने बिहार के हरे राम पाण्डेय

By प्रीति टौंक

देवघर (झारखण्ड) में रहनेवाले हरे राम पाण्डेय, 9 दिसम्बर 2004 से उन सभी बेटियों के पिता बनकर सेवा कर रहे हैं, जिन्हें उनके खुद के माता-पिता ने लावारिस छोड़ दिया था।

विदेश से भारत लौटी यह माँ, केवल वेदा को गोद लेने, जिसके पास है 'एक एक्स्ट्रा क्रोमोज़ोम'!

By निशा डागर

कविता बलूनी और उनके पति हिमांशु शायद भारत के पहले दंपत्ति हैं, जिन्होंने Down Syndrome से ग्रसित एक बच्ची को गोद लिया है। अमेरिका में रहते हुए उन्हें ऐसे बहुत बच्चों से मिलने का मौका मिला और फिर उन्होंने तय किया कि ऐसी ही कोई बच्ची गोद लेंगें।

पुणे: दिल की बिमारी से ग्रस्त बच्ची को गोद लेकर इस कुंवारी माँ ने कराया इलाज!

By निशा डागर

Maharashtra में पुणे की रहने वाली 42 वर्षीय अमिता मराठे ने साल 2013 में एक बच्ची गोद ली है। उन्होंने शादी नहीं की, लेकिन वे बच्चा गोद लेना चाहती थीं। उनके इस फ़ैसले में उनके परिवार ने उनका पूरा योगदान दिया।

24 साल पहले हुई कन्या भ्रूण हत्या ने बदली ज़िंदगी; अब तक 415 बच्चियों का जीवन संवार चुकी हैं यह डॉक्टर!

Punjab की 52 वर्षीय डॉ. हरशिंदर कौर पिछले 24 सालों से Punjab-Haryana में 'कन्या भ्रूण हत्या' जैसी कुरूति के खिलाफ़ लड़ रही हैं। उनके प्रयासों को न केवल भारत से बल्कि कनाडा, युएसए, मलेशिया, जैसे देशों में भी समर्थन मिला है। डॉ. कौर की वजह से ही दोनों राज्यों के ग्रामीण इलाकों में जागरूकता आई है।