आर्थिक मज़बूरी में हिम्मत करके बढ़ाया एक कदम, आज उत्तराखंड की रामा बिष्ट के लिए सफलता की सीढ़ी बन चुका है। जिसके दम पर वह अपने तीनों बच्चों को अच्छा भविष्य देने के साथ-साथ कई और महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं।
पहलगाम (कश्मीर) के एक गांव हसन नूर के 28 वर्षीय जासीफ़ अहमद डार किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। पिछले साल लॉकडाउन के कारण, जब उनके कई किलो अखरोट नहीं बिके, तो उन्होंने एक नई तरकीब निकाली और इसके प्रोडक्ट्स बनाकर ऑनलाइन बेचना शुरू कर दिया।
पंजाब के बटाला में रहने वाले जगमोहन सिंह नागी, इंग्लैंड से पढ़ाई करने के बाद वापस भारत आ गए और अपना एग्री बिजनेस शुरू किया। आज वह न सिर्फ करोड़ों की कमाई कर रहे हैं, बल्कि उसका लाभ सैकड़ों किसानों को भी पहुंचा रहे हैं। पढ़ें यह प्रेरक कहानी।
राजस्थान में कोटा की रहने वाली सुमन शर्मा के पति जहाँ खेती के साथ-साथ फोटोग्राफी का काम करते हैं। वहीं, सुमन फ़ूड प्रोसेसिंग का साइड बिज़नेस चला रही हैं।
त्रिशूर, केरल की फ़्रेंसी जोशीमोन ने Minnus Fresh Foods नामक फ़ूड स्टार्टअप शुरू किया हैं, जहाँ वह कटहल से बनाए ऐसे कई उत्पाद बेच रही हैं, जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ, डायबिटीज के मरीज़ों के लिए काफी फायदेमंद भी हैं।
डिब्रूगढ़, असम के रहने वाले 56 वर्षीय चाय किसान, दुर्लभ गोगोई ने 15 से ज्यादा फूड प्रोसेसिंग मशीनें बनाई हैं। जिनमें चाय, धान, हल्दी, अगर और अदरक जैसी फसलों को प्रोसेस करने वाली मशीनें शामिल हैं।
आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा अवैध गांजे की खेती के लिए बदनाम है। लेकिन, मूल रूप से एक एडवेंचर स्पोर्ट्स टीचर जस्टिन स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट, पैशनफ्रूट और ब्लैकबेरी जैसे फलों की खेती और उससे केक, वाइन जैसे कई उत्पादों को बनाकर यहाँ विकास की एक नई इबादत गढ़ रहे हैं।
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में दिव्या और उनकी माँ इंदिरा जंगल पद्धिति से फल, हर्ब्स और सब्जियां उगातीं हैं और इस उपज को प्रोसेस करके 'हिमालयन हाट' के ज़रिए बाज़ार तक पहुंचा रही हैं!
बिहार के औरंगाबाद जिला के नवीनगर में रहने वाले राजेश सिंह ने कृषि आधारित उद्योग में करीब 14 वर्षों तक काम करने के बाद उन्होंने तय किया कि क्यों न खुद का कुछ शुरू किया जाए और इसी सोच के साथ उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी, तब उनका वेतन प्रति माह 1 लाख रुपए से भी अधिक था।