मुंबई में रहने वाले धर्मेंद्र कर, एक पर्यावरण संरक्षक हैं। उन्होंने ओडिशा और मुंबई में, अब तक 8000 से ज्यादा पेड़-पौधे लगवाए हैं और मुंबई की खारघर झील को साफ करके संरक्षित किया है। इसके लिए, उन्हें 'वाटर हीरो 2020' पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
जैसे इंसानों और जानवरों के लिए डॉक्टर और अस्पताल होते हैं ठीक उसी तरह अमृतसर, पंजाब में IRS ऑफिसर रोहित मेहरा ने पेड़-पौधों के लिए ट्री एम्बुलेंस और अस्पताल की शुरुआत की है।
बिहार के भागलपुर स्थित मंदार नेचर क्लब के संस्थापक अरविंद मिश्रा 2006 से क्षेत्र में बड़े गरूड़ों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए संघर्षरत हैं। उनके प्रयासों से यहाँ इस संकटग्रस्त प्रजाति की संख्या 78 से 600 तक पहुँच गई है।
ऐतिहासिक सेव साइलेंट वैली आंदोलन के दौरान मराठिनु स्तुति (Ode to a Tree) नाम की एक कविता इस आंदोलन की पहचान बन गई। इस कविता को आवाज सुगत कुमारी ने दी थी, जो इस आंदोलन का नेतृत्व भी कर रही थीं।
एक वक़्त था जब ताड़ के पेड़ से सैकड़ों प्राकृतिक चीजें बनती थीं, जैसे इसके फल से मिठाई, पत्तों से टोकरी जैसे उत्पाद और तो और पहले ताड़ के पेड़ से ही चीनी बनाई जाती थी जो काफी पोषक हुआ करती थी! सतीश की इस कोशिश से जल्द ही वो दिन लौट आएंगे!