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वीकेंड पर लेती हैं खाने के ऑर्डर, उन पैसों से खिलाती हैं बेसहारा जानवरों को खाना

By निशा डागर

लुधियाना में रहने वाली रूह चौधरी, पिछले कई सालों से इको-फ्रेंडली तरीकों से अपना जीवन जी रही हैं और साथ ही, वह हर दिन लगभग 75 बेसहारा जानवरों को खाना खिलाती हैं।

E-Waste to Eco-Art: बेकार पड़े गैजेट्स से बना दी पेंटिंग, ज्वेलरी, घड़ी जैसी चीजें

By निशा डागर

बेंगलुरु में रहने वाले 58 वर्षीय विश्वनाथ मल्लाबादी एक इको-आर्टिस्ट हैं, जो पिछले आठ सालों से इलेक्ट्रॉनिक कचरे को अपसायकल करके ज्वेलरी, पेंटिंग, मिनी बिल्डिंग, डमी रोबोट आदि बना रहे हैं।

Video: मिलिए बेंगलुरु की एक ऐसी जोड़ी से, जिनके घर में न पंखा है, न बल्ब!

बेंगलुरू के रहने वाले रंजन और रेवा मलिक का घर पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। यही कारण है कि ग्रिड पावर पर उनकी निर्भरता काफी कम हो गई है।

मिट्टी से घर बनाना, पिछड़ेपन का प्रतीक है?” ऐसे कई मुद्दों को सुलझा रहे यह आर्किटेक्ट

बेंगलुरु के रहने वाले सत्य प्रकाश वाराणशी अपनी फर्म सत्य कंसल्टेंट्स के तहत, पिछले करीब 28 वर्षों से आर्किटेक्चर के क्षेत्र में इको-फ्रेंडली संरचनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं। इस दौरान उन्होंने 500 से अधिक परियोजनाओं को अंजाम दिया है।

परंपरागत “जाली” तकनीक का इस्तेमाल कर बनाया ईको-फ्रेंडली हॉस्टल, करीब आधी हुई AC की जरुरत

दिल्ली स्थित जेडईडी लैब के निदेशक सचिन रस्तोगी का मानना है सचिन के विचारों में, जीवन की गुणवत्ता में तभी सुधार होता है, जब सभी हितधारकों के साथ-साथ पर्यावरण को भी लाभ हो। उनका यह विचार, उनके आवासीय परियोजनाओं से लेकर व्यावसायिक परियोजनाओं में दिख जाता है।

मिलिए 26 की उम्र में 40 हजार पौधे लगाने वाले उत्तराखंड के इस युवा से

उत्तराखंड के नैनीताल जिला के नाई गाँव के रहने वाले चंदन सिंह नयाल की उम्र कम है, लेकिन उनके इरादे बेहद ऊंचे। चंदन ने जब देखा कि चीड़ और बुरांश के जंगलों में आग लग रही है और जमीन सूख रही है तो उन्होंने अपनी लगन से चामा तोक इलाके में बांज का जंगल तैयार कर दिया।

UP: SDM ने 43 हेक्टेयर के झील को दिया नया जीवन, कोई सरकारी पैसा नहीं हुआ खर्च, जानिए कैसे!

उत्तर प्रदेश के रामस्नेही घाट में 43 हेक्टेयर के विशाल क्षेत्र में सराही झील है। कभी यह झील कई पक्षियों का बसेरा हुआ करता था, लेकिन पिछले कुछ समय से रखरखाव के अभाव में इसकी स्थिति काफी बदहाल थी। लेकिन, फरवरी, 2019 में यहाँ के नए एसडीएम के तौर पर राजीव शुक्ला की तैनाती हुई और कुछ ही महीने में उन्होंने इसका कायापलट कर दिया।

लकड़ी से बनी सीढ़ियां और सिलाई मशीन से वॉश बेसिन, यह कपल जीता है पूरी तरह सस्टेनेबल लाइफ!

By निशा डागर

"बहुत-सी चीजें हैं जिनके बिना हम जी सकते हैं और लॉकडाउन ने हमें यह सिखा भी दिया है।"