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विदेश की नौकरी ठुकरा, गोबर से बनाये प्रोडक्ट्स, गांववालों को दिया रोज़गार

By प्रीति टौंक

गुजरात के गोधरा से 40 किमी दूर देवगढ़ बारिया गांव के राहुल धरिया यूं तो पेशे से एक डॉक्टर हैं, लेकिन गौ सेवा में अपनी विशेष रुचि के कारण वह पिछले पांच सालों से देसी गाय के गोबर पर रिसर्च कर रहे हैं और खुद ही गाय के गोबर से घड़ी, मोबाइल स्टैंड, मूर्तियां सहित कई चीजें बना रहे हैं।

सिर्फ रु.500 में बनाया बिना सीमेंट का तालाब, हंसों को दिया नया घर

हैदराबाद के रहनेवाले धर्मेंद्र दादा बीते साल अप्रैल में, अपने दोस्त से मिलने के लिए बिहार के गया जिले के चौपारी गांव गए थे। इस दौरान, उन्होंने गांव में कुछ हंसों की दशा देख, उन्हें बेहतर आसरा देने के लिए चूना और सुरखी का इस्तेमाल कर एक तालाब बना दिया।

UAE छोड़ गांव लौटा यह इंजीनियर जोड़ा, सुपारी के पत्तों से खड़ा किया लाखों का कारोबर

केरल के कासरगोड के रहनेवाले देवकुमार नारायणन और उनकी पत्नी UAE में एक इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे। लेकिन, 2018 में उन्होंने नौकरी छोड़ अपने गांव में ‘पपला’ कंपनी की शुरुआत की, जिसके तहत वह सुपारी के पत्तों से कई इको-फ्रेंडली सामान बना रहे हैं।

गन्ने की खोई से कप-प्लेट बनाते हैं आयोध्या के कृष्ण, 300 करोड़ का है बिजनेस

आयोध्या के रहनेवाले वेद कृष्ण ने अपने पिता के गुजर जाने के बाद ‘यश पक्का’ की बागडोर संभाली। उन्होंने गन्ने की खोई से कप-प्लेट बनाकर किसानों और पर्यावरण, दोनों को फायदा पहुँचाया है।

पिता-भाई की मौत ने झकझोरा, वकालत छोड़ शुरु की नैचुरल फार्मिंग, बने रोल मॉडल

पंजाब के फिरोजपुर के रहने वाले कमलजीत सिंह हेयर के परिवार में हुई कुछ घटनाओं ने उन्हें बैचेन कर दिया। इससे उन्हें वकालत छोड़, प्राकृतिक खेती अपनाने की प्रेरणा मिली। आज उन्होंने अपने 20 एकड़ जमीन को खेती के एक ऐसे मॉडल के रूप में विकसित किया है, जो हर किसान के लिए आदर्श है।

हर दिन 13 लाख LPG Cylinder बचा सकता है IIT Guwahati का यह स्टोव, जानिए कैसे

मौजूदा कूकिंग स्टोव की स्थिति को देखते हुए IIT Guwahati के प्रोफेसर, पी मुथुकुमार की अगुवाई में एक ऐसे स्टोव को डिजाइन किया गया है, जिससे न सिर्फ 50% तक ईंधन की बचत हो सकती है, बल्कि इससे 30 फीसदी समय भी बचता है।

गाँव का इको फ्रेंडली स्टार्टअप, पातालकोट के सुकनसी से खरीदिए पत्तों से बनी कटोरियाँ

By प्रीति टौंक

छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) के पातालकोट निवासी, सुकनसी भारती ने अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने और पर्यावरण को बचाने के उदेश्य से, पत्तों से कटोरी (दौना) बनाना सीखा। आज वह, आस-पास के गावों और होटलों में अपने दौने बेच रहे हैं।

एक घर ऐसा भी: न कोई केमिकल घर आता है, न कोई कचरा बाहर जाता है

By निशा डागर

देहरादून, उत्तराखंड की रहनेवाली, 47 वर्षीया अनीशा मदान पिछले 12-13 सालों से स्वस्थ और इको-फ्रेंडली जीवन जी रही हैं। जानिए कैसे आया यह बदलाव।

पुणे के इस अस्पताल में नहीं पड़ती AC की ज़रूरत, वजह है एक पारंपरिक तकनीक

By प्रीति टौंक

देश की कई जानी-मानी इमारतें डिज़ाइन कर चुके मुंबई के 'IMK आर्किटेक्ट्स फर्म' ने हाल ही में पुणे में एक अस्पताल बनाया है, जिसे लंदन, Surface Design Awards की ओर से सर्वश्रेष्ठ डिज़ाइन का अवॉर्ड मिला है।

टूथपेस्ट, शैम्पू से लेकर क्लीनर तक, सबकुछ बनाती हैं घर पर

By निशा डागर

लुधियाना, पंजाब की रहने वाली ज्योत्सना जैन पिछले दो सालों से इको फ्रेंडली लाइफस्टाइल फॉलो कर रही हैं।