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पुराने अखबारों से बैग बना खड़ा किया व्यवसाय, विदेशों में जाते हैं उत्पाद

By निशा डागर

कोचीन, केरल में रहने वाली दीविया थॉमस ने साल 2008 में पुराने अखबारों से बैग बना कर अपने काम की शुरुआत की थी और आज वह इको-फ्रेंडली बैग के साथ-साथ डिब्बे, कार्ड, पेपर-पेन जैसे उत्पाद भी बना रहीं हैं।

Video: मिलिए बेंगलुरु की एक ऐसी जोड़ी से, जिनके घर में न पंखा है, न बल्ब!

बेंगलुरू के रहने वाले रंजन और रेवा मलिक का घर पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। यही कारण है कि ग्रिड पावर पर उनकी निर्भरता काफी कम हो गई है।

धूप, पानी और हवा का अध्ययन कर, बनातीं हैं सस्टेनेबल भवन, जानिए कैसे

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, आर्किटेक्ट अनघा जोशी और मधुरा जोशी ने आम लोगों की आर्किटेक्चर से संबंधित परेशानियों को हल करने के लिए, अपनी कंपनी Lab A+U की शुरुआत की। जिसके तहत वे अभी तक करीब 60 परियोजनाओं पर काम कर चुके हैं।

लुप्त हो रहीं पेड़-पौधों की 400 प्रजातियों को सहेज, शहरों में लगा दिए 25 घने जंगल

By निशा डागर

नासिक, महाराष्ट्र के रहने वाले मोहम्मद दिलावर ने पेड़-पौधों की 400 देसी प्रजातियों को सहेजकर, मुंबई, पुणे, पालघर और नासिक में 25 घने जंगल उगाए हैं।

शाकाहारी चिकन नगेट: न बर्ड फ्लू की चिंता, न स्वाद से समझौता

संदीप सिंह द्वारा ब्लू ट्राइब फूड की शुरुआत नवंबर 2020 में की गई। इसके द्वारा फिलहाल, इकोफ्रेंडली Plant-Based Chicken Nuggets को पेश किया जा रहा है। वे जल्द ही ‘प्लांट बेस्ड चिकन कीमा’ को पेश करेंगे।

लाखों की नौकरी छोड़, किया सैनिटरी पैड बनाने का काम, आदिवासी महिलाओं को दिया सम्मानित जीवन

रांची के रहने वाले वन्या वत्सल और गुंजन गौरव ने अपनी नौकरी छोड़, सेनेटरी पैड बनाने का बिजनेस शुरू किया। इसके तहत उनका उद्देश्य वंचित महिलाओं को एक सम्मानित जीवन और रोजगार का बेहतर साधन देना है।

आंध्र के युवक का अनोखा इडली स्टॉल: ज्वार, बाजरे की इडली को पैक करते हैं पत्तों में

By निशा डागर

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम स्थित एमवीपी कॉलोनी में रहने वाले चित्तम सुधीर सीधा किसानों से 8 तरह के अनाज खरीदकर अपने स्टॉल पर अलग-अलग तरह की इडली बनाते हैं!

मिलिए एक ऐसी जोड़ी से, जिनके घर में न पंखा है और न ही बल्ब!

बेंगलुरू के रहने वाले रंजन और रेवा मलिक के घर को माहिजा डिजाइन कंसल्टेंसी फर्म द्वारा बनाया गया है। इसकी पेरेंट कंपनी, मृणमयी है। इस कंपनी को 1988 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के छात्र रह चुके डॉ. योगानंद द्वारा शुरू किया गया था।

चार दोस्तों का कमाल, 5 लाख बेकार प्लास्टिक की बोतलों से अंडमान में बनाया रिसॉर्ट!

अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले जोरावर पुरोहित ने साल 2017 में, अपने तीन दोस्तों अखिल वर्मा, आदित्य वर्मा और रोहित पाठक के साथ मिलकर आउटबैक हैवलॉक को शुरू किया। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इस द्वीप पर बेकार पड़े 5 लाख बोतलों को रीसायकल कर बनाया गया है।

IIT Kharagpur के शोधकर्ताओं का कमाल, खीरे के छिलके से बनाया इको फ्रेंडली पैकेजिंग मैटेरियल

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर की शोधार्थी प्रोफेसर जयीता मित्रा और साई प्रसन्ना ने खीरे के छिलके से पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग मैटेरियल बना दिया, जो सौ फीसदी बॉयोडिग्रेडेबल है।