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पक्षियों के लिए लगाए 70,000 घोंसलें

By प्रीति टौंक

पक्षी का लिए घोंसला लगाकर हम उनका घर नहीं बना रहे बल्कि बस उन्हें घर बनाने की जगह दे रहे हैं। जो हमने अपना घर बनाने के चक्कर में छीन ली थी। अपनी कोशिश से पंजाब के संदीप धौला लोगों को यही बात समझाने में लगें हैं।

40 सालों से मोरों की जान बचा रहा एक किसान

मध्य प्रदेश के छोटे से गाँव में रहने वाले नारायण सिंह एक किसान हैं और मोर के प्रति उनका प्रेम व कार्य आस-पास के लोगों के लिए एक उदहारण बना हुआ है। घायल पंछियों के इलाज से लेकर, उनकी देखभाल और उन्हें आसरा देने का काम वह बारह साल की उम्र से कर रहे हैं। आइए जानते हैं उनकी यह अद्भुत कहानी..

बेसहारा विधवाओं को सहारा और सम्मान दे रहीं 'ऐंजल ऑफ़ वृन्दावन'

वृन्दावन की सड़कों पर बेसहारा वृद्ध महिलाओं को रेस्क्यू कर उन्हें रहने के लिए घर, पेट भरने के लिए खाना और जीवन यापन का सहारा देती हैं 60 वर्षीय लक्ष्मी गौतम। सड़क पर पड़े-पड़े ही अपने प्राण त्याग देने वालीं माताओं का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार भी वह खुद ही करती हैं।

मैं फ्री लाइब्रेरी चलाती हूँ ताकि बच्चों को किताबों और रोटी के बीच न चुनना पड़े 

By प्रीति टौंक

असम की ऋतूपूर्णा नेओग अपनी संस्था Akam Foundation के जरिए उन गांवों में फ्री लाइब्रेरी बना रही हैं, जहां के बच्चों को आज भी किताबों और रोटी के बीच में किसी एक चुनना पड़ रहा है।

बेस्ट ऑफ़ 2023: इंसानियत के 5 हीरोज़ 

By प्रीति टौंक

2023 के आखिरी पड़ाव पर द बेटर इंडिया आपको मिलवा रहा है ऐसे 5 नायकों से, जिनका काम बना इंसानियत की मिसाल और जिसे मिला आपका ढेर सारा प्यार।

खुद सातवीं के बाद नहीं जा पाए थे स्कूल, अब 6500 बच्चों को शिक्षित कर रहें मामून

By प्रीति टौंक

कभी खुद आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई छोड़ने वाले मामून, आज 6500 बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की लौ जला रहे हैं।

खुद के खर्च पर गौशाला बनाकर कर रहीं 55 घायल गोवंशों की सेवा

By प्रीति टौंक

दूध देने वाली गाय की सेवा तो सब करते हैं लेकिन 29 साल की जैसमीन मलिक खुद के खर्च पर बुढ़ी और घायल गायों और नंदी के लिए एक विशेष गौशाला चलाती हैं।

22 सालों से खुद के खर्च पर अर्पण कर रहे सैकड़ों बेसहारों की सेवा

By प्रीति टौंक

भागदौड़ से भरी जिंदगी में जहां लोग अपनों के लिए भी वक्त मुश्किल से निकाल पाते हैं। वहां पश्चिम बंगाल के अर्पण बनर्जी ने अपनी पूरी जिंदगी दुसरों के नाम कर दी है, वह पिछले 22 सालों से अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा बेसहारा लोगों की जिंदगी को बेहतर करने में और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने में लगा रहे हैं।

एक टिफिन से 150 ज़रूरतमंद बच्चों की जिम्मेदारी उठाने तक

By प्रीति टौंक

कोलकाता की गीता राउत TEARS (To Educate And Regain Smile) नाम से एक NGO चलाती हैं, जिसका मकसद उन बच्चों की रोशनी बनना है जिनके जीवन में न शिक्षा की लौ है, न परिवार का प्यार।