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कभी खुद जीना भूल चुके विवेक ने सिखाया 800 लोगों को फिर से जीना

By प्रीति टौंक

अपने इकलौते बेटे को खोने के बाद कभी खुद जीने की चाह खो चुके विवेक शर्मा आज अपने प्रयासों से 800 से ज़्यादा लोगों को जिन्दा रहना और जिंदगी से प्यार करना सीखा चुके हैं।

कभी खुद पीड़िता रह चुकी शाहीन, संवार चुकी हैं 50 एसिड अटैक सर्वाइवर्स की जिंदगी

By प्रीति टौंक

दिल्ली की शाहीन मालिक की संस्था एसिड अटैक सर्वाइवर्स का 'अपना घर' है। यह पीड़ित महिलाओं को मानसिक, क़ानूनी और सामाजिक लड़ाई लड़ने में मदद भी कर रहा हैं।

'नशा करने से भूख नहीं लगती' नशे के चंगुल से निकालकर संवार रही हैं बचपन

By प्रीति टौंक

कोलकाता की मोइत्री बनर्जी पिछले चार सालों से सड़क पर नशा करने वाले बच्चों के जीवन में बदलाव लाने का काम कर रही हैं।

गाँव में अस्पताल बनाकर बेटे ने किया सब्जी-बेचनेवाली माँ का सपना पूरा

By प्रीति टौंक

1971 में डॉ. अजय मिस्त्री महज चार साल के थे, जब उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में अपने पिता को खो दिया था। तब से उनकी माँ ने बस एक ही सपना देखा कि गांव में एक अस्पताल बने ताकि हर किसी का समय पर इलाज हो पाए। उनकी माँ सुभासिनी मिश्रा ने सब्जियां बेचकर न सिर्फ अपने बेटे को डॉक्टर बनाया बल्कि अपने सपने को पूरा करके कईयों की मदद का जरिया भी बनीं।

1000+ बेसहारा बीमार लोगों का इलाज करके अपनों से मिलवा चुकी हैं, राजस्थान की यह नर्स

By प्रीति टौंक

राजस्थान की सुमन मैडल मेहरा की शादी महज 14 साल की उम्र में हो गई थी। परिवार में आर्थिक किल्लत थी, लेकिन सुमन इन तमाम मुश्किलों के बीच भीपढ़ाई करके नर्स बनीं, ताकि आत्मनिर्भर हो सकें और आज नर्स बनकर सुमन न सिर्फ आत्मनिर्भर बनीं हैं, बल्कि समाज के बेसहारा बीमार लोगों को मदद पहुंचाने के लिए मुहिम भी चला रही हैं।

इस स्कूल की फीस है प्लास्टिक की बेकार बोतलें

By प्रीति टौंक

गाजियाबाद में, NTPC की रिटायर अधिकारी नीरजा सक्सेना पिछले दो सालों से जरूरतमंद बच्चों के लिए फुटपाथ स्कूल चला रही हैं जहाँ पढ़ने की फीस है प्लास्टिक वेस्ट।

93 साल की दादी ने कतरन से 35000 थैलियां बनाकर मुफ्त में बाँट दी

By प्रीति टौंक

हैदराबाद की 93 वर्षीया मधुकान्ता भट्ट ने न सिर्फ़ बेकार कपड़ों से 35000 थैलियां बनाईं बल्कि लोगों में उन्हें मुफ्त बांटा ताकि प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से पर्यावरण को बचाया जा सके।

मरीज़ों को खाना, एम्बुलेंस व ब्लड बैंक सेवा, सब मुफ्त में देता है शिमला का 'वेला बॉबी'

By प्रीति टौंक

डॉक्टर्स ही नहीं, शिमला के सरबजीत सिंह भी हैं मरीज़ों और ज़रूरतमंदों के मसीहा। वह सालों से शवों के लिए वाहन, पेशेंट्स के लिए एम्बुलेंस सुविधा सहित ब्लड कैंप और मुफ्त में खाना खिलाने जैसी सुविधाएं ज़रूरतमंदों तक पंहुचा रहे हैं।