पक्षी का लिए घोंसला लगाकर हम उनका घर नहीं बना रहे बल्कि बस उन्हें घर बनाने की जगह दे रहे हैं। जो हमने अपना घर बनाने के चक्कर में छीन ली थी। अपनी कोशिश से पंजाब के संदीप धौला लोगों को यही बात समझाने में लगें हैं।
मिलिए, गुजरात के शंखेश्वर इलाके के धनोरा गांव में रहनेवाले बुजुर्ग दम्पति दिनेश चंद्र और देविंद्रा ठाकर से, जिन्होंने अपने रिटायरमेंट होम को बनाया कुदरत का घर।
दिल्ली के रहनेवाले 65 वर्षीय जवाहर लाल लगातार 45 सालों से बिना रुके, बिना थके पक्षियों की निःस्वार्थ सेवा कर रहे हैं। चाहे सर्दी हो, गर्मी हो या फिर आंधी-तूफ़ान ही क्यों न आए दिल्ली के आर्कियोलॉजिकल पार्क में वह पक्षियों को रोज़ाना सुबह दाना-पानी देते हैं। इसीलिए आज सब उन्हें बर्डमैन के नाम से जानते हैं।
मिलिए पिछले सात सालों से पुणे में रह रहीं राधिका सोनवणे से, जिनके घर की छोटी सी बालकनी में पिछले तीन सालों में ढेरों तोते और पक्षी आने लगे। जानें ऐसा क्या करती हैं वह इन पक्षियों के लिए?
जोधपुर में रहनेवाली सना फिरदौस का प्रकृति और पक्षी प्रेम देखकर आप भी खुश हो जाएंगे। घर की बेकार चीजों का उपयोग करके, उन्होंने घर पर ही एक बेहद सुंदर पक्षी अभ्यारण्य बनाया है।
सीहोर (गुजरात) के रामटेकरी इलाके में सीताराम नाम से मशहूर रिटायर टीचर रामजीभाई मकवाना पिछले 40 सालों से अपनी पत्नी के साथ मिलकर पक्षियों की सेवा कर रहे हैं। उनका बनाया पक्षी तीर्थ किसी अभ्यारण्य से कम नहीं।