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केमिस्ट्री प्रोफेसर की #DIY तकनीक, 500 रुपये में लगाएँ 20 लीटर यूनिट का आर्सेनिक फिल्टर

By निशा डागर

पानी में अगर आर्सेनिक की मात्रा अधिक हो और अगर लोग लगातार यह पानी पीते रहें तो उन्हें स्किन एलर्जी से लेकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं!

'बांस एक, उपयोग अनेक:' बांस उगाइये, बांस से बनाइए, बांस में पकाइए और बांस को भी खाइए

By निशा डागर

'हरा सोना' कहे जाने वाले बांस की भारत में 100 से भी ज्यादा प्रजातियाँ हैं। कुछ का उपयोग घर, फर्नीचर, बर्तन और हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स बनाने के लिए होता है तो कुछ का उपयोग खाने के लिए भी किया जाता है!

असम: 21 वर्षीया छात्रा ने स्टोर को बनाया स्कूल, स्लम के बच्चों को मुफ्त में देती हैं शिक्षा!

By निशा डागर

जूली ने अपने घर में काम करने वाली दीदी के बेटे को पढ़ाना शुरू किया था, जब उन्हें महसूस हुआ कि स्लम में और भी बहुत बच्चे हैं, जिन्हें शिक्षा से जोड़ना ज़रूरी है!

ड्राइवर से लेकर उद्यमी बनने तक, इस महिला ने 10,000 से अधिक महिलाओं को बनाया सशक्त!

“यह दोष देने या खुद पर तरस खाने का समय नहीं था। मुझे उन हालातों का सामना करना था और उन्हें हर हाल में बेहतर बनाना था।“ - मंदिरा बरूआ

असम की बीज लाइब्रेरी, 12 साल में किसान ने सहेजी 270+ चावल की किस्में!

By निशा डागर

मोहान बोरा की 'अन्नपूर्णा लाइब्रेरी' का सिद्धांत है कि बीज बोइए, कुछ फसल में जाने दीजिए और कुछ को सहेजिए ताकि दूसरों को उगाने के लिए दिया जा सके। फिर अन्य किसान चाहें तो कुछ आपको वापस कर सकते हैं और कुछ आगे दूसरे किसानों को दें!

मुंबई: 10,000 किसानों के 300 से ज्यादा जैविक उत्पाद सीधे बाज़ार तक पहुंचा रही है यह युवती

By पूजा दास

मुंबई की उद्यमी कहती है, “मेरा अंतिम लक्ष्य छोटे पैमाने के किसान समुदायों को सशक्त बनाना है। मैं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद करना चाहती हूं।'' #FarmersFirst #WomenEntrepreneurs

#BetterTogether: जरूरतमंदों की मदद के लिए जुड़िए IAS और IRS अफसरों से!

By निशा डागर

#BetterTogether द बेटर इंडिया की एक पहल है जिसके ज़रिए हम प्रशासनिक अधिकारियों का साथ देना चाहते हैं ताकि दिहाड़ी मजदूरों, सबसे आगे खड़े स्वास्थ्य कर्मचारियों और ज़रूरतमंदों को इस मुश्किल समय में मदद मिलती रहे!

मुफ्त में सिखाते हैं बांस के कूड़ेदान और बर्तन बनाना, ताकि प्रकृति रहे सुरक्षित

दीपेन का मानना है कि यदि लोग यह काम सीखते हैं और शिल्प को आगे ले जाते हैं तो वही सबसे अच्छा शुल्क होगा। वह अपने छात्रों को हर दिन मुफ्त भोजन भी प्रदान करते है।

एक महिला सेनानी का विरोध-प्रदर्शन बन गया था ब्रिटिश सरकार का सिरदर्द!

By निशा डागर

अंग्रेजों द्वारा शराब की दुकान खोलने और अफीम उगाने के विरोध में बसंतलता और उनकी महिला साथियों ने मोर्चा खोला था। ये 'स्वदेशी आंदोलन' इस कदर बढ़ा कि अंग्रेजों को इसे रोकने के लिए सर्कुलर निकालना पड़ा!