उड़ीसा में लोग बरसों से अपनी नानी-दादी से सुनते आ रहे थे कि हर घर में खाया जाने वाला पखाला भात यानी खमीरी चावल का माड़, स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा होता है। आज एम्स के प्रोफेसर ने अपने एक शोध के जरिए वैज्ञानिक रूप से इसे सही साबित कर दिया है।
IIT के कुछ छात्रों और AIIMS के डॉक्टरों ने मिलकर COPAL 19 प्लेटफार्म तैयार किया है ताकि समय रहते ज़रूरतमंद कोविड-19 के मरीज़ों को प्लाज्मा डोनर्स से जोड़ा जा सके!
डॉक्टरों को भले ही भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। दिल्ली स्थित एम्स में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रसून चटर्जी अपने पेशे के साथ-साथ सामाजिक कर्तव्य का निर्वहन करते हए ओल्ड एज होम में रहनेवाले इन बुजुर्गों के स्वास्थ्य की देखभाल कर रहे हैं।
“मैं इस महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले लोगों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहूंगा। वे परिवार से दूर अपने कर्तव्य के प्रति अटूट भावना के साथ काम कर रहें हैं।”