रमाबाई भीमराव आम्बेडकर बाबा साहेब की पत्नी थीं। आज भी लोग उन्हें 'मातोश्री' रमाबाई के नाम से जानते हैं। उन्होंने ताउम्र बाबा साहेब का साथ दिया। बाबा साहेब ने भी अपने जीवन में रमाबाई के योगदान को बहुत महत्वपूर्ण माना है।
'भारत रत्न' की स्थापना साल 2 जनवरी 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गयी थी। यह सम्मान कला, साहित्य, विज्ञान, सामाजिक सेवा के के साथ-साथ किसी भी क्षेत्र के व्यक्ति को उसके अभूतपूर्व युगदान और उपलब्धियों के लिए दिया जा सकता है।
आईआरएस अफसर वी. साई वमसी के लिए सिविल सेवा परीक्षा पास करना देश की सेवा करने का एक तरीका है। साल 2016 में उन्होंने 220वीं रैंक के साथ परीक्षा पास की। हाल ही में, उन्होंने आकांक्षा नाम के एक एनजीओ को अपनी शादी में मिले लगभग 1.25 लाख रूपये के तोहफ़े दान कर दिए।
उत्तर-प्रदेश के वाराणसी में युवाओं का एक संगठन ईंट के भट्ठों पर मजदूरी करने वाले बच्चों के जीवन को सँवारने की मुहीम चला रहा है। संगठन का नाम है 'मानव संसाधन एवं महिला विकास संगठन' और इसकी शुरुआत की है डॉ. भानुजा शरण लाल ने। इनके प्रयासों से आज लगभग 1000 बच्चों का स्कूल में दाखिला हो चूका है।
कैप्टेन इंद्राणी सिंह ने साल 1996 में हरियाणा के गुडगांव में लिटरेसी इंडिया एनजीओ शुरू किया। लिटरेसी इंडिया का मुख्य केंद्र आज गुरुग्राम के बजघेड़ा गाँव में है। इस एनजीओ का उद्देश्य गरीब बच्चों की शिक्षा की दिशा में काम करना था। इसके लिए उन्होंने ज्ञानतंत्र डिजिटल दोस्त उद्भव सोफ्टवेयर बनवाया है।
"मुझे अपने पढ़े-लिखे होने की खुशी उस वक्त सबसे ज्यादा हुई जब मैंने लोगों को चिट्ठियां पढ़कर सुनाईं। कई लोग खासकर बुजुर्ग पढ़ नहीं पाते थे। जब मैं उनकी चिट्ठी पढ़ती तो वो खुश होकर मुझे आशीर्वाद देते।"
बिहार के अदम्य अदिति गुरुकुल के हजारों छात्रों के लिए, जो सब इंस्पेक्टर, आईएएस, आईपीएस, आईआरएस और सीटीओ अधिकारी बन गए हैं, गुरु रहमान वह शिक्षक जिसने उनकी दुनिया बदल दी। डॉ मोतीर रहमान खान ने 1994 में कोचिंग कक्षाएं शुरू की, क्योंकि उन्हें प्यार हो गया था।
कर्नाटक के कलबुर्गी के मकतमपुरा में स्थित एमपीएचएस सरकारी हाई स्कूल के क्लर्क बसवराज आज बहुत सी लड़कियों के लिए मसीहा बन गए हैं। वह गरीब लड़कियों को शिक्षा के लिए लिए साधन प्रदान कर उनका जीवन संवार रहे हैं। बसवराज की मदद से 45 लड़कियां शिक्षा प्राप्त कर पा रही हैं।
उदयपुर के एमएलए फूल सिंह मीणा ने लगभग 40 वर्ष बाद फिर से अपनी पढ़ाई शुरू की है। 17 जुलाई को उन्होंने अपने बी. ए प्रथम वर्ष की परीक्षा दी। उनके शिक्षक संजय लुनावत हैं। उन्होंने यह कदम अपनी बेटियों के प्रोत्साहन से उठाया है।
ग्राउंड फ्लोर के साथ साथ तीन मंजिला नालंदा परिसर में युथ टावर की सुविधा, ई लाइब्रेरी , रीडिंग ज़ोन, मल्टीमीडिया, किताब घर के साथ साथ वाद-विवाद शाखा भी है ।