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अनुभव : दूसरों के व्यवहार से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि अच्छाई तुमसे शुरू होती है!

By निशा डागर

अनुभव में पढ़िए मुंबई के एक ऑटो ड्राईवर की कहानी। humans of Bombay को उन्होंने बताया कि कैसे एक बुजूर्ग अंकल की बात ने उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ा और अब जब भी उसे लगता है कि लोग अच्छाई भूल रहे हैं तो वह उन्हें याद करता है।

'स्पर्शज्ञान': नेत्रहीनों के लिए देश का पहला ब्रेल अख़बार!

By निशा डागर

महाराष्ट्र के स्वागत थोराट, फरवरी 2008 से भारत का पहला ब्रेल अख़बार 'स्पर्शज्ञान' चला रहे हैं। मराठी भाषा में प्रकाशित हों वाला 50 पन्नों का यह अख़बार, हर महीने की 1 तारीख़ और 15 तारीख़ को प्रकाशित होता है। स्वागत थोराट पेशे से स्वतंत्र पत्रकार और थियेटर निर्देशक रहे हैं।

रमाकांत आचरेकर : जिनके एक थप्पड़ ने बनाया दिया सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का 'मास्टर ब्लास्टर'!

By निशा डागर

भारतीय क्रिकेट कोच, रमाकांत आचरेकर का 2 जनवरी 2019 को निधन हो गया। मुंबई निवासी आचरेकर को ज्यादातर दादर के शिवाजी पार्क में युवा खिलाड़ियों को क्रिकेट सिखाने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा वे मुंबई क्रिकेट टीम के लिए चयनकर्ता भी रहे। लोग उन्हें सचिन तेंदुलकर के कोच के तौर पर भी जानते हैं।

पुणे: बस में चोरी हुआ युवक का बटुआ, फ़ूड डिलीवरी बॉय ने की मदद!

By निशा डागर

मुंबई-निवासी पुरुषोत्तम का बटुआ किसी ने पुणे जाते समय बस में चोरी कर लिया था। ऐसे में वे अपने गन्तव्य स्थान जाने के लिए 12 किलोमीटर पैदल चलने के लिए मजबूर थे। पर इस मुश्किल वक़्त में उनकी मदद की उबर इट्स के साथ खाना डिलीवर करने वाले युवक, ज्ञानेश्वर बोम्बड़े ने।

ठाणे नहीं, रुड़की-पिरान कलियर के बीच चली थी देश की पहली ट्रेन!

By निशा डागर

इतिहास के मुताबिक, भारत में सबसे पहली ट्रेन साल 1853 में मुंबई(तब बॉम्बे) से ठाणे के बीच चलाई गयी थी। लेकिन इतिहास के इस दावे को IIT रुड़की ने चुनौती दी। संस्थान में रखी हुई एक किताब के मुताबिक साल 1851 में चलने वाली पहली रेल एक मालगाड़ी थी जो रुड़की-पिरान कलियर के बीच चली।

मुंबई: दृष्टिहीन लड़की की बहादुरी, लोकल ट्रेन में छेड़खानी कर रहे युवक को सिखाया सबक!

By निशा डागर

मुंबई में एक 15-वर्षीय दृष्टिहीन लड़की अपने पिता के साथ कल्याण से दादर के लिए लोकल ट्रेन में सफ़र कर रही थी। तभी विशाल बलिराम सिंह नाम का एक लड़का उसे गलत तरीके से छूने लगा। पर इस बहादुर लड़की ने घबराने की बजाय आरोपी को अच्छा सबक सिखाया और पुलिस के हवाले कर दिया।

"बड़े 'परफेक्ट' घर को छोटे-से कमरे के लिए छोड़ा... पर अब मैं आज़ाद हूँ!"

By निशा डागर

मुंबई निवासी एक महिला ने ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे को बताया कि कैसे उसने अपने पति की नजरंदाजी के चलते घुटन भरे घर को छोड़ अपनी ज़िन्दगी नए सिरे से शुरू की है। वे अब एक छोटा सा स्टॉल चलाती हैं और एक छोटे से कमरे में किराये पर रहती हैं। पर वे अब खुश हैं।

बेज़ुबान और बेसहारा जानवरों के दर्द को समझकर उन्हें नयी ज़िन्दगी दे रही हैं डॉ. दीपा कात्याल!

By निशा डागर

डॉ दीपा कात्याल को जानवरों के प्रति उनके प्यार और सद्भावना ने उन्हें जानवरों का डॉक्टर बना दिया। एक अच्छी-खासी बिज़नेस फैमिली से ताल्लुक रखने वाली दीपा ने अपने परिवार के मना करने के बावजूद इस प्रोफेशन को चुना ताकि वे जरुरतमन्द जानवरों की देखभाल कर सकें।

"अपने काम के साथ अपनी राह बनाते रहो और इस राह में दूसरों की मदद करना मत भूलो!"

By निशा डागर

मुंबई की सना शेख़ ने कॉर्पोरेट हॉस्पिटल की नौकरी छोड़ एड्स पीड़ितों के लिए काम करना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने पुरे भारत में प्रोग्राम किया और यूनिसेफ के साथ भी जुड़ी रहीं। आज वे एमबीए की डिग्री पूरी कर कंपनी में मार्केटिंग की एसोसिएट डायरेक्टर हैं और साथ ही सोशल वर्क भी कर रही हैं।