पुणे: बस में चोरी हुआ युवक का बटुआ, फ़ूड डिलीवरी बॉय ने की मदद!

मुंबई-निवासी पुरुषोत्तम का बटुआ किसी ने पुणे जाते समय बस में चोरी कर लिया था। ऐसे में वे अपने गन्तव्य स्थान जाने के लिए 12 किलोमीटर पैदल चलने के लिए मजबूर थे। पर इस मुश्किल वक़्त में उनकी मदद की उबर ईट्स के साथ खाना डिलीवर करने वाले युवक, ज्ञानेश्वर बोम्बड़े ने।

शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018 को मुंबई के रहने वाले पुरुषोत्तम डी एक बस में पुणे जा रहे थे। रात के लगभग 10 बजे जब वे अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचे तो उन्हें अहसास हुआ कि किसी ने उनका बटुआ चोरी कर लिया है।

अब पुरुषोत्तम के पास ना तो पैसे थे और ना ही कोई पहचान पत्र। सब कुछ उनके बटुए के साथ चोरी हो चूका था। पुणे में इस स्टॉप से उनके अलगे पड़ाव, पारवती की दुरी लगभग 12 किलोमीटर थी। उनके पास जब कोई विकल्प नहीं बचा तो उन्होंने चलकर जाने का फैसला किया।

लगभग एक घंटे तक चलने के बाद, पुरुषोत्तम बिल्कुल थक गये और लंगड़ा कर चलने लगे। लेकिन पुरुषोत्तम को ऐसे लंगड़ाता हुआ चलते देखकर ज्ञानेश्वर बोम्बड़े खुद को उनकी मदद करने से रोक नहीं पाए। ज्ञानेश्वर, उबर इट्स के लिए खाने की डिलीवरी करने का काम करते हैं। उन्होंने जब पुरुषोत्तम को देखा तो वे तुरंत उनकी मदद के लिए आगे आये।

पुणे मिरर से बात करते हुए, पुरुषोत्तम ने कहा, “यह अनुभव बहुत बुरा था। मेरे पैसे, आईडी, सब चोरी हो गया था और इसलिए मैं पैदल ही अपने पड़ाव की ओर बढ़ने लगा जो कि 12 किलोमीटर दूर था…..”

स्त्रोत: विकिपीडिया

और फिर, लगभग 11:15 बजे, ज्ञानेश्वर उनके पास आये और उनकी मदद की।

“मैंने ज्ञानेश्वर के साथ लगभग 8 किलोमीटर तक सफर किया। उसने मुझे बहुत सांत्वना दी और अच्छा महसूस करवाया और वह भी बिना किसी स्वार्थ के।”

ज्ञानेश्वर, पुरुषोत्तम को उस हालत में देख नहीं पाए क्योंकि वे लगातार लंगड़ाते हुए जा रहे थे। इसीलिए, ज्ञानेश्वर ने उनकी मदद करने का फैसला किया। लेकिन, उसे उस ग्राहक के बारे में भी सोचना था जो अपने घर पर खाने की डिलीवरी का इंतजार कर रहा था।

ज्ञानेश्वर ने बताया कि जब वह पासन सर्कल से गुज़र रहा था तो उसने देखा कि एक आदमी पैर में चोट की वजह से ठीक से चल नहीं पा रहा है। ऐसे में वह उसके पास गया और पूछा कि अगर वह उनकी कोई मदद कर सकता है तो। पुरुषोत्तम ने उससे कहा कि वह उन्हें यूनिवर्सिटी रोड पर कहीं छोड़ दे। लेकिन फिर ज्ञानेश्वर ने जोर देकर कहा कि वह उन्हें उनके ठहरने के स्थान के आस-पास कहीं छोड़ देगा क्योंकि फिर उसे दो जगह खाने की डिलीवरी के लिए जाना है।

ज्ञानेश्वर, महाराष्ट्र के लातूर से ताल्लुक रखते हैं और फ़िलहाल एम.ए. में पढ़ रहे हैं। शहर में अपना खर्च चलाने के लिए वे रात को डिलीवरी बॉय का काम करते हैं।

“मुझे बुरा लग रहा था कि उन्हें पूरी रात मेरे साथ घूमना पड़ेगा, इसलिए मैंने उस ग्राहक को फ़ोन करके बताया कि उन्हें 15-20 मिनट अधिक इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि उनका खाना डिलीवर करने में थोड़ा समय लग जाएगा और वे मान गये। यह कोई बड़ी बात नहीं है बस इंसानियत के लिए मैंने एक छोटा-सा काम किया है। मैं कोशिश करता हूँ कि लोगों की मदद आकर पाऊं,” ज्ञानेश्वर ने कहा

अगर ज्ञानेश्वर उस दिन पुरुषोत्तम की मदद के लिए न आते तो शायद उन्हें घंटों चलना पड़ता। इसी तरह के छोटे-छोटे वाकया, आपका विश्वास इंसानियत में बनाये रखते हैं।

मूल लेख: तन्वी पटेल

कवर फोटो


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X