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पॉजिटिव ख़बरें

कानपुर का हीरो चायवाला: कमाई का 80% हिस्सा देते हैं गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए

By प्रीति टौंक

कभी आर्थिक तंगी के कारण अपनी खुद की पढ़ाई पूरी न कर पाने वाले कानपुर के महबूब मलिक, पिछले 8 सालों से गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे हैं।

दो भाइयों का कमाल, 'Yacon' की खेती से सिक्किम के 500 किसान हो रहे मालामाल

By प्रीति टौंक

सिक्किम के दो भाई अभिमन्यु और अभिनन्दन ढकाल ने एक लुप्त होती फसल को बचाकर न सिर्फ अपने लिए एक अनोखा बिज़नेस खोजा, बल्कि 500 किसानों को आठ गुना मुनाफा कमाने का मौका भी दिया है।

200 करोड़ सिगरेट बट रीसायकल करके इन्होंने बनाए खिलौने और पेपर

By प्रीति टौंक

सिगरेट बट दिखने में जितने छोटे होते हैं, पर्यावरण के लिए उतना ही बड़ा खतरा हैं। इसी खतरे को समझा नमन गुप्ता ने और खोज निकाला इसका बेहतरीन समाधान। जानिए कैसे किया उन्होंने 200 करोड़ सिगरेट बट को रीसायकल।

इस स्कूल की फीस है प्लास्टिक की बेकार बोतलें

By प्रीति टौंक

गाजियाबाद में, NTPC की रिटायर अधिकारी नीरजा सक्सेना पिछले दो सालों से जरूरतमंद बच्चों के लिए फुटपाथ स्कूल चला रही हैं जहाँ पढ़ने की फीस है प्लास्टिक वेस्ट।

इंजीनियर का आविष्कार! फल-सब्जियों को बिना फ्रिज़ के ताज़ा रखेगी यह छोटी सी पुड़िया

By प्रीति टौंक

चेन्नई के दीपक राजमोहन और विजय आनंद की कंपनी ग्रीनपॉड लैब्स का आविष्कार, महंगे कोल्ड स्टोरेज सिस्टम का बनाया सस्ता विकल्प, जो फल सब्जियों को रखता है ताज़ा।

बिहार्ट- अपने स्टार्टअप के ज़रिए बिहार की बेटी बचा रही यहां की विलुप्त कलाएं

By प्रीति टौंक

मधुबनी के अलावा भी बहुत सी कलाएं हैं बिहार के पास। इन्हें संजोने और संवारने का काम कर रही हैं सुमति और उनका स्टार्टअप Bihart।

हरियाली का अनोखा मिशन चला रहे हैं प्रदीप, रिटायरमेंट के बाद लगाए 60 हजार पौधे

By प्रीति टौंक

ओडिशा के प्रदीप कुमार रथ ने रिटायर होने के बाद अपना पूरा जीवन पर्यावरण को समर्पित करने का फैसला किया है। 'परिवेश सुरक्षा अभियान' के ज़रिए उन्होंने गांवों की महिलाओं और बच्चों की मदद से 60,000 से अधिक पौधे लगाए हैं।

पैर खोया मगर हौसला नहीं! चाय बिज़नेस से नेहा ने बनाई अपनी पहचान

By प्रीति टौंक

अहमदाबाद की नेहा भट्ट ने एक हादसे में अपने दोनों पैर खो दिए लेकिन हार मानने के बजाय उन्होंने अपने आप को नई पहचान दिलाने का फैसला किया। जानिए कैसे आज वह आत्मनिर्भर बनकर पूरे शहर में मशहूर हो गई हैं।

93 साल की दादी ने कतरन से 35000 थैलियां बनाकर मुफ्त में बाँट दी

By प्रीति टौंक

हैदराबाद की 93 वर्षीया मधुकान्ता भट्ट ने न सिर्फ़ बेकार कपड़ों से 35000 थैलियां बनाईं बल्कि लोगों में उन्हें मुफ्त बांटा ताकि प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से पर्यावरण को बचाया जा सके।

देश की पहली प्लास्टिक फ्री च्युइंग गम बनाकर इन्होंने 700 किलो प्लास्टिक को लैंडफिल में जाने से बचाया

By प्रीति टौंक

बेंगलुरु के मयंक नागौरी अपने भाई भुवन के साथ मिलकर, गुड-गम नाम का स्टार्टअप चला रहे हैं। इसके ज़रिए वे प्लास्टिक फ्री हेल्दी च्युइंग गम बनाकर पर्यावरण और सेहत दोनों को बचा रहे हैं।