सिक्किम के दो भाई अभिमन्यु और अभिनन्दन ढकाल ने एक लुप्त होती फसल को बचाकर न सिर्फ अपने लिए एक अनोखा बिज़नेस खोजा, बल्कि 500 किसानों को आठ गुना मुनाफा कमाने का मौका भी दिया है।
सिगरेट बट दिखने में जितने छोटे होते हैं, पर्यावरण के लिए उतना ही बड़ा खतरा हैं। इसी खतरे को समझा नमन गुप्ता ने और खोज निकाला इसका बेहतरीन समाधान। जानिए कैसे किया उन्होंने 200 करोड़ सिगरेट बट को रीसायकल।
गाजियाबाद में, NTPC की रिटायर अधिकारी नीरजा सक्सेना पिछले दो सालों से जरूरतमंद बच्चों के लिए फुटपाथ स्कूल चला रही हैं जहाँ पढ़ने की फीस है प्लास्टिक वेस्ट।
चेन्नई के दीपक राजमोहन और विजय आनंद की कंपनी ग्रीनपॉड लैब्स का आविष्कार, महंगे कोल्ड स्टोरेज सिस्टम का बनाया सस्ता विकल्प, जो फल सब्जियों को रखता है ताज़ा।
ओडिशा के प्रदीप कुमार रथ ने रिटायर होने के बाद अपना पूरा जीवन पर्यावरण को समर्पित करने का फैसला किया है। 'परिवेश सुरक्षा अभियान' के ज़रिए उन्होंने गांवों की महिलाओं और बच्चों की मदद से 60,000 से अधिक पौधे लगाए हैं।
अहमदाबाद की नेहा भट्ट ने एक हादसे में अपने दोनों पैर खो दिए लेकिन हार मानने के बजाय उन्होंने अपने आप को नई पहचान दिलाने का फैसला किया। जानिए कैसे आज वह आत्मनिर्भर बनकर पूरे शहर में मशहूर हो गई हैं।
हैदराबाद की 93 वर्षीया मधुकान्ता भट्ट ने न सिर्फ़ बेकार कपड़ों से 35000 थैलियां बनाईं बल्कि लोगों में उन्हें मुफ्त बांटा ताकि प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से पर्यावरण को बचाया जा सके।
बेंगलुरु के मयंक नागौरी अपने भाई भुवन के साथ मिलकर, गुड-गम नाम का स्टार्टअप चला रहे हैं। इसके ज़रिए वे प्लास्टिक फ्री हेल्दी च्युइंग गम बनाकर पर्यावरण और सेहत दोनों को बचा रहे हैं।