Powered by

Latest Stories

HomeTags List दिल्ली

दिल्ली

500 रुपए से भी कम में, घर से शुरू कर सकते हैं ‘हैंडमेड ज्वेलरी’ बिजनेस, जानिए कैसे

By निशा डागर

दिल्ली की गरिमा बंसल अपने घर से अपना हैंडमेड ज्वेलरी का बिजनेस चला रही हैं तथा उनकी बनाई ज्वेलरी आज अमेरिका और कनाडा तक पहुँच रही है।

#हमराही: कैंसर मरीज़ों के लिए बनाये कई सोशल ग्रुप, मृत्यु के बाद पत्नी ने संभाली डोर!

By निशा डागर

राहुल ने अपने इलाज के दौरान 'योद्धाज़' की नींव रखी ताकि देश भर में कैंसर से जूझ रहे लोग आपस में बात कर सकें, अपना दर्द बाँट सकें और एक-दूसरे की ताकत बन सकें!

5000 किमी का सफ़र तय किया बाइक से, रास्ते में नज़र आ रहे कूड़े-कचरे को भी लगातीं हैं ठिकाने!

By तोषिनी राठौड़

दिल्ली की सोनिया जैन 100 से भी ज़्यादा विंटेज और मॉर्डन बाइक्स चलाकर लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुकी हैं!

जैविक खेती से 40 हज़ार रुपये प्रति दिन कमा रहा है दिल्ली का यह इंजीनियर!

By निशा डागर

उनके घरवालों ने उन्हें रोका और पड़ोसियों ने मजाक बनाया, फिर भी इस 28 वर्षीय इंजीनियर ने जैविक खेती में अपना हाथ आज़माने के लिए अपने ही परिवार से ज़मीन लीज पर ली। उनकी सफलता आज के युवाओं के लिए प्रेरणा है!

'गीली मिट्टी' के ज़रिए भूकंप और फ्लड-प्रूफ घर बना रही है यह युवती!

By निशा डागर

'पक्के घर' का कांसेप्ट हमारे यहां सिर्फ ईंट और सीमेंट से बने घरों तक ही सीमित है जबकि पक्के घर का अभिप्राय ऐसे घर से होना चाहिए, जो कि पर्यावरण के अनुकूल हो और जिसमें प्राकृतिक आपदाओं को झेलने की ताकत हो जैसे कि बाढ़, भूकंप आदि। नेपाल में आये भूकंप के दौरान सिर्फ़ इस तकनीक से बने घर ही थे जो गिरे नहीं!

फ्लाईओवर के नीचे हर दिन 200 से भी ज़्यादा बच्चों को मुफ़्त में पढ़ाता है यह छात्र!

By निशा डागर

23 वर्षीय सत्येन्द्र पाल बीएससी फाइनल ईयर में है और अपनी पढ़ाई के साथ-साथ वे यहाँ पहली से लेकर दसवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाते हैं।

दुनिया के सबसे बड़े हीरों में गिना जाने वाला 'जैकब हीरा' देखना हो, तो यहाँ आयें!

By द बेटर इंडिया

कभी निज़ामों के परिवार की निजी संपत्ति रहे इन आभूषणों की रिज़र्व बैंक के तहखानों तक पहुंचने की कहानी भी बड़ी दिलचस्‍प है।

खुद किताबों के अभाव में बड़ा हुआ यह पत्रकार अब आपकी रद्दी को बना रहा है ग्रामीण बच्चों का साहित्य!

By निशा डागर

बिहार में गोपालगंज जिले के लुहसी गाँव से ताल्लुक रखने वाले जय प्रकाश मिश्र, 'फाउंडेशन ज़िंदगी' के संस्थापक हैं। इस फाउंडेशन के बैनर तले, साल 2014 से वे कबाड़ और अन्य लोगों से किताबें इकट्ठा करके, बिहार के गांवों में सामुदायिक लाइब्रेरी खोल रहे हैं। उनका उद्देश्य ज़रुरतमंदों तक किताबें पहुँचाना है।