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24 घंटे मरीज़ों के लिए खुला रहता है यह क्लिनिक, डॉक्टर की फीस मात्र 10 रुपये

By निशा डागर

ध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में 28 वर्षीया डॉ. नूरी परवीन, जरूरतमंद और गरीब लोगों के लिए क्लिनिक चला रही हैं, जहाँ वह मात्र 10 रुपये में मरीज़ों का इलाज करती हैं।

लोगों को खुद अपना खाना उगाना सिखा रहा है यह एमबीए ग्रैजुएट!

By निशा डागर

नंदा कुमार ने अपने गाँव में चार डंपिंग यार्ड और दो प्राइमरी स्कूलों की खाली जगहों को मिनी फार्म में बदला है। यहाँ पर उगने वाली सब्ज़ियां गाँव के लोगों द्वारा और मिड डे मील के लिए इस्तेमाल किया जाता है!

ग़रीब महिलाओं के मुफ़्त इलाज के लिए इस डॉक्टर ने अपनी जेब से खर्च किये 10 लाख रुपये!

By निशा डागर

निजी अस्पतालों में इस सर्जरी का खर्च डेढ़ से तीन लाख रुपये तक आता है और यहाँ डॉ. उदय न सिर्फ़ यह सर्जरी मुफ़्त में कर रहे हैं बल्कि सर्जरी के लिए मशीन भी उन्होंने खुद खरीदी है।

न बिजली, न पानी, न सड़कें- और फिर एक मेडिकल छात्र के संघर्ष ने बदल दी गाँव की किस्मत!

By निशा डागर

उन्होंने गाँव के विकास को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्र लिखे। पर कोई कार्यवाही न होने पर, उन्होंने हाई कोर्ट में गाँव के हालातों को सुधरवाने के लिए याचिका डाली।

कैंसर से मरते एक बच्चे को देख इस डेंटिस्ट ने शुरू की जंग, 30, 000+ तंबाकू एडिक्ट्स को सुधारा!

डॉ. सुमेधा कुशवाहा जो पेशे से एक दंत चिकित्सक हैं, नशे की लत में पड़े लोगों के लिए काम कर रही हैं और उन्हें इससे छुटकारा दिलाने में मदद कर रही हैं। इसके साथ ही वे नशे के दुष्प्रभाव से लोगों को अवगत करा कर उन्हें जागरूक भी कर रही हैं।

महाराष्ट्र: 7 किमी के घने जंगल को पैदल पार कर स्कूल जाने वाली निकिता को मिली इलेक्ट्रिक-साइकिल!

By निशा डागर

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में रहने वाली एक नौवीं कक्षा की छात्रा, निकिता कृष्णा मोरे को अपने स्कूल जाने के लिए हर रोज़ 7 किलोमीटर लम्बा जंगल पार करना पड़ता है। उनकी इस परेशानी के बारे में पढ़कर पुणे के एक बिज़नेसमैन ने उन्हें साइकिल गिफ्ट की है। अब निकिता सुरक्षित और जल्दी स्कूल जा सकती हैं।

#अनुभव : 'भविष्य के लिए बचत करने से बेहतर है कि किसी के आज को संवारा जाए'!

By निशा डागर

बिहार के इस प्राथमिक टीचर ने अपने एक गरीब छात्र की स्कूल पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया। आज उनका वह छात्र एक डॉक्टर है और आज भी वह अपनी व्यस्त ज़िंदगी में से वक़्त निकाल कर अपने गुरु से मिलने गाँव जरुर आता है।