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वफ़ादारी की मिसाल : 16 साल पहले बचाए गए कुत्ते ने बचाई इस डॉक्टर की जान!

महाराष्ट्र में पुणे-निवासी डॉक्टर रमेश संचेती को 23 जनवरी 2019 को अचानक दिल का दौरा पड़ा और इस नाजुक स्थिति में उनकी पालतू, ब्राउनी ने उनकी जान बचायी। लगभग दो साल पहले, डॉ. संचेती ने ब्राउनी की जान बचायी थी और आज ब्राउनी ने उनकी जान बचाकर अपना कर्तव्य निभाया।

हते है ‘कुत्ता इंसान का सबसे वफ़ादार साथी होता है’! हाल ही में पुणे में हुई एक घटना ने इस कहावत को सच साबित कर दिखाया है।

महाराष्ट्र में पुणे-निवासी डॉक्टर रमेश संचेती को 23 जनवरी 2019 को अचानक दिल का दौरा पड़ा और इस नाजुक स्थिति में उनकी पालतू, ब्राउनी ने उनकी जान बचायी।

लगभग 16 साल पहले डॉ. संचेती को उनकी हाउसिंग सोसाइटी में एक छोटा-सा, बेघर कुत्ते का बच्चा मिला था। उसे वे अपने घर ले आये। डॉ. संचेती अपने एक और पड़ोसी व दोस्त, अमित शाह के साथ मिलकर बचपन से लेकर अब तक ‘ब्राउनी’ का ख्याल रखते आ रहे हैं। इन दोनों ने ही उसे ‘ब्राउनी’ नाम दिया।

आज ब्राउनी भले ही बूढ़ी और कमजोर हो गयी है, पर उसकी इन्द्रियाँ अभी भी तेज़ हैं।

बीते बुधवार, जब 65 वर्षीय डॉ. संचेती को छोटा-सा दिल का दौरा पड़ा और साथ ही लकवा का दौरा भी आया, तब ब्राउनी की वजह से ही उनकी जान बच पाई।

डॉ. संचेती के दोस्त अमित शाह हर दिन लगभग 12:30 बजे ब्राउनी को खाना खिलाते हैं। पर बीते बुधवार, जब शाह उसे खाना खिलाने आये, तो वह बहुत ही बैचेन थी और रो रही थी। उसने खाना भी नहीं खाया, जबकि वह कभी खाना खाने से माना नहीं करती।

Stray Dog Rescue Doctor
ब्राउनी के साथ अमित शाह

शाह ने बताया कि वह बार-बार डॉ. संचेती के कमरे की तरफ़ देख रही थी। इसलिए उन्होंने भी खिड़की से कमरे में देखा और पाया कि डॉ. संचेती ज़मीन पर बेसुध पड़े हैं। शाह ने तुरंत मदद के लिए आवाज़ लगायी और कमरे का दरवाज़ा तोड़कर डॉ. संचेती को बाहर निकाला गया।

डॉ. संचेती फ़िलहाल अस्पताल में हैं और खतरे से बाहर हैं। शाह ने कहा, “ब्राउनी ने डॉ. संचेती की भारी सांसों को महसूस कर लिया था और उसने उनके गिरने की आवाज़ भी सुनी होगी, इसलिए उसे समझ में आ गया कि कुछ गलत है। सारा श्रेय उसकी वफादारी को जाता है।”

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डॉ. रमेश संचेती

डॉ. संचेती के परिवार से कोई भी उस समय घर पर नहीं था। उनका बेटा नौकरी के चलते उनके निवास-स्थान से 10 किलोमीटर दूर रहता है और उनकी पत्नी भी शहर से बाहर गयी हुई थी।

शाह नेत्रहीनों और विशेष रूप से दिव्यांग कुत्तों के लिए एक एनजीओ चलाते हैं। उन्होंने बताया कि डॉ. संचेती ने ब्राउनी को एक भयानक बीमारी से बचाया था, तब वह 14 साल की थी। “लगभग दो साल पहले, ब्राउनी को किडनी फेलियर हो गया था और ऐसे में डॉ. संचेती की वजह से ही उसकी जान बच पाई थी,” शाह ने कहा।

बेशक, इस घटना ने इंसानों और जानवरों के बीच के अनमोल रिश्ते के प्रति एक मिसाल कायम की है। हम उम्मीद करते हैं कि डॉ. संचेती जल्द से जल्द स्वस्थ हो जायेंगें।

मूल लेख: तन्वी पटेल


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