हरियाणा में फतेहाबाद के रहने वाले शिक्षक प्रमोद गोदारा और उनकी पत्नी, ASI चंद्र कांता पिछले ढाई-तीन सालों से जैविक खेती कर रहे हैं और अपने खेतों पर 'एग्रो-टूरिज्म' को विकसित कर रहे हैं।
केरल के कोल्लम जिले में कोट्टाराकरा के रहने वाले 41 वर्षीय डॉ. हरि मुरलीधरन, पिछले 10 सालों से अपने खेत में लगभग 800 विदेशी प्रजातियों के फलों के पेड़-पौधे उगा रहे हैं। जिनमें सॉनकोय, अलामा, यूगु, बिगनेय आदि शामिल हैं।
झज्जर, हरियाणा में रहने वाले जगपाल सिंह फोगाट और उनकी पत्नी, मुकेश देवी मधुमक्खी पालन और शहद की प्रोसेसिंग कर 'नेचर फ्रेश' के नाम से ग्राहकों तक पहुँचाते हैं।
81 वर्षीय गोपाल भिसे ने ज़िंदगी की थकान को कभी खुद पर हावी होने नहीं दिया। उन्होंने छोटे किसानों के लिए साइकिल से जुताई मशीन बनाई, जिससे उनके जैसे किसानों को हल व बैल का एक सस्ता विकल्प मिल गया।
"जब मैंने किसानी शुरू की थी, तब मैं साइकिल से आता-जाता था। आज मेरे पास 2 कार और 7 मोटरसाइकिल हैं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि पानी बचाने से मेरी ज़िंदगी बदल जाएगी। यह वाकई अनमोल है।"
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में शाहबाद मारकंडा जिले के डगाली गाँव से ताल्लुक रखने वाले करण सीकरी, एक प्रगतिशील किसान और उद्यमी हैं। उन्होंने साल 2004 में सीकरी फार्म्स की शुरुआत की और आज उनका बनाया जैविक खाद हरियाणा के आलावा पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर तक जाता है।
असम से ताल्लुक रखने वाले और ‘सीरियल इनोवेटर’ के नाम से जाने जाने वाले उद्धब भराली को हाल ही में पद्म श्री से नवाज़ा गया है। उन्होंने कृषि के संबंधित बहुत-से जटिल कार्यों को आसान बनाने के लिए लगभग 140 से भी ज़्यादा इनोवेशन किये हैं।
रावेनशॉ यूनिवर्सिटी, कटक से पीएचडी कर रहीं संध्या समरत, उड़ीसा के मलकानगिरी जिले के एक छोटे से गाँव सालिमी से हैं। संध्या ने उड़ीसा सिविल सर्विस परीक्षा 2018 में 91वीं रैंक प्राप्त की है। उनका सपना एक प्रशासनिक अधिकारी बनकर अपने जिले और गाँव में विकास करना है।
राजस्थान के सीकर जिले से ताल्लुक रखने वाले जगदीश प्रसाद पारीक साल 1970 से खेती कर रहे हैं। पारम्परिक खेती के अलावा वे अपने दो हेक्टेयर खेत में अनार, निम्बू, वुड एप्पल, और गुलाब के साथ-साथ फूलगोभी भी उगाते हैं। उनकी गोभी की खेती के लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में शामिल किया गया है।
महाराष्ट्र के सांगली जिले में अष्टा गाँव के डॉ अंकुश चोरमुले अपनी पहल 'होय आम्ही शेतकरी' के जरिये लाखों किसानों से जुड़कर उनकी मदद कर रहे हैं। वे व्हाट्सअप ग्रुप और फेसबुक पेज के माध्यम से किसानों के लिए लाइव विडियो करते हैं। उन्होंने फसलों के लिए हानिकारक फॉल आर्मी वॉर्म पर अपनी रिपोर्ट दी है।