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घर हो तो ऐसा

नीम, गुड़ और मेथी के इस्तेमाल से राजस्थान की युवा डिज़ाइनर ने बनाया सपनों का आशियाना

सस्टेनेबिलिटी, पारम्परिक आर्किटेक्चर और लोकल कारीगरी का एक दुर्लभ नमूना है राजस्थान के अलवर शहर में बना यह मिट्टी का घर, जो Mud Kothi के नाम से मशहूर है। Sketch Design Studio की फाउंडर और युवा डिज़ाइनर शिप्रा सिंघानिया सांघी ने इसे बनाया है।

सस्टेनेबल और इको-फ्रेंडली अर्थ हाउस ‘ब्रीथ', नीव से लेकर दीवारों तक सबकुछ है प्राकृतिक

बेंगलुरु के बाहरी इलाके कागलीपुरा में 8,000 sq.ft ज़मीन पर बने इस घर का नाम है- ‘Breathe’. जैसा नाम वैसा ही काम; यह सस्टेनेबल घर अपने अनोखे डिज़ाइन के कारण आम घरों के मुकाबले काफ़ी खुला, हवादार और सुकून भरा है।

शहर से आकर बंजर ज़मीन पर बनाया मिट्टी का घर, उगा दिया फूड फॉरेस्ट

आंध्र प्रदेश के श्री सत्य साईं जिले में सालों से बंजर पड़ी 13,900 स्क्वायर फीट की ज़मीन को बेंगलुरु के पुष्पा और किशन कल्याणपुर ने अपने बच्चों के साथ मिलकर केवल 3 महीने की कड़ी मेहनत और कोशिशों से न केवल उपजाऊ बना दिया, बल्कि यहाँ बनाया है 'वृक्षावनम' नाम का एक विशाल और सुन्दर फ़ूड फॉरेस्ट भी, जो आज उनके सस्टेनेबल घर की पहचान बन चुका है।

दो दोस्तों ने जंगल के बीच बनाए मिट्टी के घर व ट्री हाउस, सस्टेनेबल ट्रैवल को दे रहे बढ़ावा

पगडंडी सफारीज़ के को-फाउंडर्स मानव खंडूजा और श्यामेंद्र सिंघारे ने प्रकृति से लगाव और प्यार के चलते साल 1986 में मध्य प्रदेश के पन्ना नेशनल पार्क में कुछ टेंट्स लगाकर इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी और आज यह Pugdundee Safaris Camp एक या दो नहीं, बल्कि हरियाणा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसी 7 अलग-अलग जगहों पर जगलों के बीचो बीच बने हैं।

पहाड़ पर बसे पुश्तैनी घर को बनाया होमस्टे, लोगों को सिखा रहे हैं सस्टेनेबल लिविंग के तरीके

सस्टेनेबल लिविंग को ध्यान में रखकर Bir Terraces को पारंपरिक पहाड़ी तरीके से बनाया गया है। वादियों में बसे इस घर को बनाते समय एक भी पेड़ नहीं काटा गया और इसे बनाने में रीसाइकल्ड लड़की जैसी प्राकृतिक चीज़ों का ही इस्तेमाल किया गया है।

विदेश की नौकरी छोड़ 100 साल पुराने घर को बनाया सस्टेनेबल होमस्टे

लगभग 100 साल पुराने हिमाचली काठ कुनी घर को खूबसूरत होमस्टे में बदलकर फरीदाबाद के रहने वाले देवेश जोशी अपने शहरी मेहमानों के बीच सस्टेनेबल लिविंग और ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा दे रहे हैं। यहाँ आने वाले लोग प्रकृति के बीच वक़्त बिताने के अलावा कई अडवेंचरस एक्टिविटीज़ में भी हिस्सा ले सकते हैं।

किसी ड्रीम होम से कम नहीं है प्राकृतिक और रीसाइकल्ड चीज़ों से बना इस कपल का घर

प्राकृतिक और रीसाइकल्ड चीज़ों से बना 'द गली होम' ख़ास इसलिए भी है, क्योंकि इसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि एक तरफ़ तो कोई शांत समुद्र के खूबसूरत नज़ारों के मज़े ले सकता है; वहीँ दूसरी तरफ़ चेन्नई की गलियों की आम चहल-पहल भी देखी जा सकती है।

शहर के बीच लेकिन भाग-दौड़ से दूर, बिल्कुल घर वाला सुकून देता है खुशियों का यह कैफ़े

बेंगलुरु का सबसे पहला सस्टेनेबल और वीगन कैफ़े है 'हैप्पीनेस कैफ़े', जहां 100% प्लांट बेस्ड और टेस्टी खाने का स्वाद तो मिलता ही है, इसके अलावा इस अनोखे कैफ़े में प्रकृति के करीब रहने का एहसास मेहमानों को कुछ दिन यहीं ठहरने पर मजबूर कर देता है।

एक भी पेड़ काटे बिना, सुंदर पहाड़ी पर बना है यह हिल हाउस

केरल के वायनाड में बसे खूबसूरत सस्टेनेबल घर 'एस्टेट प्लावु' में वुडेन फ्लोर, क्ले के टाइल्स की छत, युकलिप्टस के पिलर्स और पत्थर के रास्तों का नज़ारा देखने को मिलता है। एक भी पेड़ को काटना या पत्थर को हटाना न पड़े इसलिए इस अनोखे घर का डिज़ाइन सबसे अलग बनाया गया, जिसका श्रेय जाता है बेंगलुरु के आर्किटेक्ट जॉर्ज रामापुरम और उनकी टीम को।

ट्री हाउस में रहने से लेकर जैविक खेती तक, जीवन का अलग अनुभव कराता है यह अनोखा फार्मस्टे

ऑर्गेनिक फार्मिंग से लेकर कम्पोस्टिंग तक, सब सीख सकते हैं मंगलुरु के नज़दीक केपु गाँव में बसे इस अनोखे 'वारानाशी फार्मस्टे' में। साथ ही यहाँ आने वाले मेहमान कायाकिंग और स्विमिंग जैसी कई एक्टिविटीज़ में भी भाग ले सकते हैं।