केरल के वायनाड की प्राकृतिक सुंदरता, प्राचीन घाटियों, हरे-भरे पेड़-पौधे और चाय के बागानों से घिरा हुआ है केरल होम स्टे ‘अन्नपारा’ है। इस खूबसूरत जगह पर आने वाला हर कोई अपनी सारी परेशानियां भूल बस यहां के प्राकृतिक नजारों में खो जाता है।
इस होमस्टे को ज़फ़र सलीम और उनकी पत्नी रेशमा ज़फ़र चलाते हैं। एक पहाड़ी पर बसा यह सस्टेनेबल होम स्टे कई मायने में खास है। कोझिकोड (कालीकट, पुराना नाम) से यहां ड्राइव करके केवल दो घंटे में पहुंचा जा सकता है। व्यथिरि में स्थित होमस्टे उन लोगों के लिए काफी अच्छा विकल्प है, जो शहरी जीवन की हलचल से दूर, शांति में कुछ समय बिताना चाहते हैं।
करीब 17 साल पहले, ज़फर और रेशमा ने अपने बागान पर 71 साल पुरानी एक इमारत को एक सस्टेनेबल होमस्टे में बदलने का फैसला किया था।
चाय और कॉफी के बागानों के बीच बनी यह इमारत, 1950 के दशक में लेबर क्वार्टर हुआ करती थी। ज़फर और रेशमा ने इस पुरानी जगह को होमस्टे में बदलते हुए काफी सावधानी बरती और इमारत के ग्रामीण आकर्षण को बरकरार रखा है। पिछले दो दशकों से, दुनिया के कई देशों से यहां मेहमान आते हैं और प्रकृति का पूरा आनंद लेते हैं।
कैसे आया सस्टेनेबल होमस्टे का आईडिया?

रेशमा बताती हैं कि ज़फर ने साल 2005 में अपने बागान में लेबरों के पुराने क्वार्टर को होमस्टे में बदलने का फैसला किया। उस समय उन्हें इस आइडिया पर बहुत ज्यादा विश्वास नहीं था। द बेटर इंडिया से बात करते हुए रेशमा ने बताया, “मुझे उस समय इस कॉन्सेप्ट पर बहुत ज्यादा यकीन नहीं था। लेकिन ज़फर इस बात को लेकर काफी स्पष्ट थे कि वह क्या चाहते हैं।”
रेशमा बताती हैं कि ज़फर, इमारत को संरक्षित करने के साथ-साथ, हम अपने मेहमानों को घर जैसा महसूस कराना चाहते थे। इसलिए उन्होंने संपत्ति में ज्यादा बदलाव किए बिना उसकी सुंदरता को बरकरार रखते हुए, जहां तक संभव हो, इस केरल होम स्टे को सस्टेनेबल बनाने की कोशिश की है।
कई पीढ़ियों से ज़फर का परिवार वायनाड में इलायची, चाय और कॉफी की खेती करता आ रहा है। उनके पिता ने 70 के दशक में वृक्षारोपण के लिए जमीन खरीदी थी, जिस पर वर्तमान में होमस्टे है।
ज़फर एक बिजनेसमैन भी हैं। वह कहते हैं कि उनके पिता ने एक कंपनी से ज़मीन खरीदी थी और उसी ज़मीन पर चाय, कॉफी और इलायची उगाते थे। बाद में यह ज़मीन उनके पिता ने ज़फर को सौंप दी। वह बताते हैं, “चूंकि मैं फुलटाइम खेतों में काम करने वाला नहीं हूं, इसलिए मैंने इमारत को बदलकर होमस्टे चलाने का फैसला किया और कोशिश की कि ज़मीन के प्राकृतिक क्षेत्र और पेड़-पौधों को नुकसान न पहुंचे।”
खुद ही तैयार किया केरल होम स्टे ‘अन्नपारा’ का डिज़ाइन
ज़फर ने बताया कि दरअसल यह उनके लिए एक प्रयोग था। वह चाहते थे कि उनके मेहमान आराम से भी रहें और उनका मनोरंजन भी हो। वह कहते हैं, “सौभाग्य से, हम मिनिमलिस्टिक और सस्टेनेबल दोनों तरीकों से इसे हासिल करने में सक्षम थे।”
ज़फर और रेशमा मदुरई में रहते हैं। रेशमा एक आर्ट गैलरी भी चलती हैं। होमस्टे के बारे में बात करते हुए वह बताती हैं कि इसे बनाते समय उन्हें गाइड करने के लिए उनके पास कोई आर्किटेक्ट या डिजाइनर नहीं था। सब कुछ ज़फर ने ही डिजाइन किया था। यहां तक कि होमस्टे में इस्तेमाल होने वाले फर्नीचर भी ज़फर ने ही डिजाइन किए थे।

1951 में बनाए गए क्वार्टर का हर एक कमरा बागान श्रमिकों के परिवार का घर था। जफर बताते हैं, “यहां कुल छह कमरे हैं, जिनमें से प्रत्येक का एरिया करीब 350 वर्ग फुट है। हमने उनमें से पांच को मेहमानों के लिए बनाया है और एक कमरा युटिलिटी के लिए है। उनकी दीवारें पत्थरों से बनी हैं और छत पारंपरिक टाइलों से।” उन्होंने इमारत को होमस्टे बनाने के लिए कम से कम बदलाव और निर्माण कार्य किया है।
ज़फर बताते हैं, “हमें प्रत्येक कमरे के लिए वॉशरूम बनाना था, क्योंकि यहां केवल एक ही वॉशरूम हुआ करता था, जो इमारत से थोड़ी दूर बना था। इसके अलावा, हमने पत्थर की दीवारों को पेंट किया और मिट्टी की टाइलों का उपयोग करके एक बेहतर फर्श बनाया, जो कमरों को ठंडा रखता है।”
इस केरल होम स्टे में मोबाइल से दूर बिताएं कुछ दिन

ज़फर और रेशमा ने बाद में संपत्ति के भीतर एक छोटी सी चट्टान पर दो फैमली सुइट बनाए, जहां से कॉफी बागान और जंगल से ढकी पहाड़ियों का सुंदर नजारा देखा जा सकता है। लगभग 600 वर्गफुट के एरिया के साथ बड़े फैमली सुइट, सस्टेनेबल रूप से बनाए गए थे। यहां की ईंट की दीवारें, पत्थर के खंभे और धूप देने वाली टाइलों की छत इसे और खास बनाती हैं।
उन्होंने इस होम स्टे को बनाते समय यह भी सुनिश्चित किया कि किसी भी क्षेत्र को नुकसान न पहुंचे। होमस्टे के आसपास प्राकृतिक वनस्पतियों को बरकरार रखा। रेशमा कहती हैं, “हमारे पास लैंडस्केप गार्डन या लॉन नहीं है, क्योंकि इसे बनाने के लिए पेड़-पौधे काटने पड़ते। इसलिए, हमने संपत्ति को वैसे ही रखा है। हम चाहते थे कि इसमें बहुत बदलाव किए बिना हमारे मेहमानों को प्रकृति के बीच रहने का एहसास हो।”

वह कहती हैं कि अन्नपारा के पास हिरण और हाथियों का दिखाई देना काफी आम है। डिजिटल डिटॉक्स चाहने वालों के लिए अन्नपारा होमस्टे एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह इलेक्ट्रिक ग्रिड से जुड़े बिना चल रहा है। शांति में खलल डालने के लिए यहां कोई वाईफाई, टीवी, यहां तक कि एक उचित सेल फोन नेटवर्क भी नहीं है।
पारंपरिक तरीकों से बनता है खाना
रेशमा बताती हैं, “हमने इस केरल होम स्टे ‘अन्नपारा’ में कभी बिजली कनेक्शन नहीं लिया। हमारे सभी कमरे इस तरह से बनाए गए हैं कि दिन भर पर्याप्त रोशनी रहती है। इसके अलावा, यहां का मौसम ज्यादातर ठंडा ही रहता है, इसलिए हमारे पास एयर कंडीशनर भी नहीं है। लेकिन, जब अंधेरा हो जाता है, तो हम रोशनी के लिए घरेलू जनरेटर का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, हमारे यहां बेकार लकड़ी के बॉयलर पाइप का उपयोग करके 24×7 गर्म पानी की सुविधा भी है।”
होम स्टे की रसोई में पारंपरिक और घरेलू केरल के व्यंजन परोसे जाते हैं, जिन्हें स्थानीय रूप से प्राप्त ताजी सामग्री का उपयोग करके पकाया जाता है।
रेशमा कहती हैं, “बिजली नहीं होने के कारण हमारे पास रेफ्रिजरेटर या मिक्सर ग्राइंडर नहीं है। इसलिए, चाहे वह सब्जियां हों या मछली, हम उन्हें रोजाना स्थानीय बाजार से ताजा खरीदते हैं और कुछ बचता नहीं है।” उन्होंने बताया कि आज भी होमस्टे में मसाले सिल-बट्टे पर ही पीसे जाते हैं। इससे प्राकृतिक स्वाद और पोषक तत्वों को बनाए रखने में मदद मिलती है। यहां आने वाले मेहमानों को यहां परोसे जाने वाले स्वस्थ और पौष्टिक भोजन काफी पसंद आते हैं।
और क्या हैं सुविधाएं?

इस केरल होम स्टे की एक और सुंदर और सस्टेनबल विशेषता है, इसका प्राकृतिक स्विमिंग पूल। पास के पहाड़ के झरने से मिनिरल युक्त पानी पूल के माध्यम से बहता है। इसलिए यहां का पानी हमेशा ताजा रहता है। ज़फर बताते हैं कि इसे ताज़ा रखने के लिए क्लोरीन जैसा कोई केमिकल मिलाने की ज़रूरत नहीं पड़ती है।
केमिकल के इस्तमाल के बजाय, हमने करीब 15 से 20 मछलियां पाली हैं, जो पूल में शैवाल को खाते हैं। ज़फर कहते हैं कि उन्होंने वहां जमीन के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की है। इसके अलावा, होमस्टे में बैडमिंटन कोर्ट और एम्फीथिएटर है। घाटी के दृश्य के साथ-साथ, यहां कई झूले और झूलों के साथ लटकता हुआ मचान भी है।
होमस्टे में मेहमानों के लिए कई एक्टिविटीज़ की व्यवस्था भी है, जैसे- चाय और कॉफी के बागानों के सुंदर दृश्य देखते हुए वॉक करना। वॉक करते समय एक नैचुरलिस्ट भी साथ होता है, जो मेहमानों को दृष्टि और ध्वनि से पक्षियों, जानवरों और कीड़ों की पहचान करने में मदद करता है।
यहां आने वाले मेहमान खुली प्रकृति के बीच योगा और मेडिटेशन का आनंद भी ले सकते हैं। ज़फर बताते हैं कि वह मड बाथ की सुविधा भी देते हैं। यह त्वचा से अशुद्धियों को बाहर निकालने के लिए एक थेरेपी है, जो तरोताजा महसूस कराती है। इसके अलावा, शाम के दौरान, मेहमानों के मनोरंजन के लिए एक बॉनफायर और संगीत की व्यवस्था भी है। ज़फर बताते हैं कि यह होमस्टे पेट फ्रेंड्ली भी है।
पेट फ्रेंडली है यह होम स्टे

बेंगलुरु की रहनेवाली विद्या नारायणन, पिछले 10 वर्षों से नियमित तौर पर इस होम स्टे में जाती रही हैं। वह कहती हैं, “हम सबसे पहले 2012 में अन्नपारा होमस्टे में रुके, जब हम वायनाड में एक पेट फ्रेंड्ली होमस्टे की तलाश कर रहे थे। हम तीन-चार परिवारों का एक ग्रूप था।”
वह आगे बताती हैं, “पहली यात्रा ने ही हमें इतना प्रभावित किया कि हम लगभग हर साल इस जगह का दौरा करते रहे हैं। हम पिछले साल केवल महामारी प्रतिबंधों के कारण नहीं जा पाए थे। मैं अपने कई परिवार और दोस्तों को वर्षों से यहां लाती रही हूं और हर किसी को यह काफी पसंद आता है।”
उन्होंने कहा, “यह जगह काफी सुंदर है और वे जो भोजन बनाते हैं, वे स्वादिष्ट और स्वास्थ्य से भरपूर होते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि उनके पास बिजली नहीं है। इससे खुद के लिए अच्छा समय मिल जाता है।”
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मूल लेखः अंजली कृष्णन
संपादनः अर्चना दुबे
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