सुबह की नींद भगाने और तरोताज़ा महसूस करने के लिए एक कप गर्म चाय से बेहतर शायद ही और कुछ होता है। असम से होने के नाते, मैं स्वाभाविक रूप से चाय पीते हुए बड़ी हुई हूं, लेकिन एक पेशेवर के रूप में, मुझे एहसास हुआ है कि यहां कॉफी का प्रचलन चाय की तुलना में ज़्यादा है।
हालांकि, देश के नार्थ-ईस्ट क्षेत्र से आने वाले सुगंधित चाय के लिए मेरा प्यार हमेशा रहेगा, लेकिन कॉफी का अपना ब्रांड स्थापित करने वाली मेघालय की दसूमर्लिन माजव से बात करने के लिए काफी उत्साहित थी।
दसूमर्लिन शिलॉंग की रहने वाली हैं और ‘स्मोकी फॉल्स ट्राइब कॉफ़ी’ नामक एक कंपनी की संस्थापक हैं। यह कंपनी नवंबर 2015 में शुरू की गई थी। आमतौर पर दसूमर्लिन, दसू के नाम से जाने जाती हैं। कॉफी के साथ इनका विशेष संबंध बचपन से रहा है।
38 वर्षीय दसू बताती हैं कि, उनका पैतृक गांव तिर्ना है और वहीं वह बड़ी हुई हैं। वह बताती हैं, “मुझे याद है, मैं अपनी दादी के साथ कॉफी पीती थी। कॉफी क्षेत्र में खूब उगती थी और हर किसी के घर में कॉफी के कुछ पौधे होते थे। मेरे गांव में लोग ज़्यादा कॉफी पीते थे लेकिन फिर मैंने देखा कि काफी लोग कॉफी की जगह चाय को तरजीह दे रहे हैं। मुझे इस बात से काफी आश्चर्य हुआ कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और फिर मैंने महसूस किया कि मैं इस क्षेत्र में कुछ कर सकती हूं।”
इसी विचार ने दसू को कॉफी के क्षेत्र में कुछ करने के लिए प्रेरित किया और अब वह 300 से ज़्यादा किसानों के नेटवर्क की मदद से एक साल में सात टन से अधिक कॉफी का उत्पादन करती हैं।
इसके अलावा, वह नॉर्थईस्ट में 14 से अधिक कैफे में अपनी कॉफी की आपूर्ति करती है। फ्रांस, न्यूजीलैंड, बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के साथ-साथ भारत के बेंगलुरु, मुंबई, चेन्नई, गुवाहाटी जैसे शहरों के रीटेल स्टोर में भी कॉफी की बिक्री होती है।
उद्यमी के तौर पर उपलब्धि
दिलचस्प बात ये है कि दसू ने बिज़नेस शुरू करने का सोचा भी नहीं था। 2004 में नॉर्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी (NEHU) से बायोकेमेस्ट्री में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने कुछ समय के लिए प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाया।

फिर, 2006-07 में, उन्होंने नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन में काम किया। यह अहमदाबाद में स्थित, ज़मीनी स्तर पर तकनीकी नवाचार को मजबूत करने की पहल है। बाद में उन्होंने एनईएचयू से पीएचडी किया। हालांकि, इससे कोई फायदा नहीं हुआ और उन्हें योजना पूरी तरह से छोड़नी पड़ी।
यह वो समय था जब उन्होंने कॉफी से संबधित कुछ करने का सोचा। दसू कहती हैं वह अपने गांव के किसानों को सशक्त बनाने के बारे में वह काफी दिनों से सोच रही थी। 2009 में उन्होंने ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ नामक एक कॉफी शॉप की स्थापना की और काफी कम मात्रा में कॉफी की सोर्सिंग शुरु की। चूंकि उनके पास कोई उपकरण नहीं थे इसलिए वह इसे पैन में भूनती थी और फिर पीसती थी।
लेकिन दसु को कैफे मैनेज करने में काफी परेशानी आ रही थी और कुछ समय बाद उन्होंने उसे बंद कर दिया। इसके बाद उन्होंने रणनीति पर काम किया और अपना कॉफी व्यवसाय शुरू किया।
शुरूआत में उन्होंने, 1 किलो कॉफी बीन रोस्टर खरीदा और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिचितों को नमूने वितरित करने शुरू कर दिए। जब उसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली, तो उन्होंने 3 लाख रुपये का ऋण लिया और अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए 5 किलो का रोस्टर खरीदा। यह स्मोकी फॉल्स ट्राइब कॉफी की शुरुआत थी और 2016 के मध्य में उन्होंने इसी नाम से एक कॉफी शॉप की स्थापना की।
दसू अच्छी तरह जानती थी कि एक बढ़िया ब्रू, बढ़िया रोस्ट पर निर्भर करता है। और फिर उन्होंने एक और ऋण लिया और एक जर्मन कॉफी रोस्टर खरीदा, जहां वह तापमान को नियंत्रित कर सकती थी, ग्राफ देख सकती थी।
और इसके बाद से दसू ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
किसानों के खेत से कॉफी बीन्स लेना
दसू ने अपने पैतृक गांव, तिर्ना के अलावा अन्य गांव से भी कॉफी बीन्स की सोर्सिंग शुरू की। वह बताती हैं कि किसानों के साथ नेटवर्क स्थापित करने में उनके पिता, डोंडर गिरि नोंग्खलाव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वह बताती हैं, “मेरे पिता खुद इन गांव में जाते और किसानों से मिलते। हमने इस अभ्यास के माध्यम से बहुत सारी खोज भी की है। उन्होंने कई वर्कशॉप भी आयोजित किए और कई किसानों को प्रशिक्षित किया ताकि किसान कॉफी बागान स्थापित कर सकें। अब, हम ऐसे कई किसानों को जानते हैं जो न केवल हमें बल्कि अन्य लोगों को भी आपूर्ति कर रहे हैं।”
स्मोकी फॉल्स ट्राइब कॉफ़ी ने उन पॉकेट्स की पहचान की है जो कॉफी बगानों के उपयुक्त है। उन्होंने किसानों को मुफ्त में बीज वितरित किए ताकि वे काम की शुरूआत कर सकें। वर्तमान में, वे कोंगथोंग, री भोई, खासी हिल्स, जयंतिया हिल्स, गारो हिल्स जैसे क्षेत्रों के किसानों से कॉफी बीन्स मंगा रहे हैं।
आमतौर पर, कॉफी बीन्स किसान ही लाते और छोड़ते हैं लेकिन दूरदराज के गांवों में किसानों के मामले में, दसू को यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि कंपनी से कोई जाकर इसे लाए। इन विभिन्न क्षेत्रों में और कई इलाकों में बिखरे हुए कई किसानों से कॉफी बीन्स इकट्ठा करना कई बार मुश्किल काम हो जाता है।
हालांकि शुरुआत में, वह रोबस्टा किस्म की कॉफी बीन्स की सोर्सिंग करती थी, लेकिन दसू ने जल्द ही महसूस किया कि यह स्वाद में थोड़ा कड़वा था और जनता के बीच अरेबिका किस्म अधिक लोकप्रिय थी। इसलिए, उसने जल्द ही इसमें बदलाव किया।
अधिकांश खरीद मार्च और अप्रैल के महीनों में होती है जब कॉफ बीन्स को काटा जाता है। उन्हें आमतौर पर दो रूपों में कॉफी मिलती है, ड्राइड चेरी और ग्रीन बीन्स। फिर इसे गुवाहाटी की एक प्रोसेसिंग यूनिट में भेजा जाता है। एक बार जब वे बीन्स प्राप्त कर लेते हैं, तो इसे गुणवत्ता और नमी की मात्रा के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है और अंत में उन्हें रोस्ट किया जाता है।
दसू बताती हैं, “बीन्स को रोस्ट करने के बाद ‘डीगासिंग’ की प्रक्रिया होती है। इसमें बीन्स को 12 से 24 घंटे तक छोड़ा जाता है। इसके बाद हम कॉफी बीन्स को या तो बारीक या मोटा पीसते हैं। कुछ लोग बीन्स ही पसंद करते हैं और विशेष रूप से उसके लिए ऑर्डर देते हैं। इसलिए हम रोस्टेड बीन्स भी पैक करते हैं।”
दसू के प्रयास से क्षेत्र के कई किसानों को मदद मिली है। मेघालय के तुरा में रहने वाले वेफस्टार डेसीरा का उदाहरण देखा जा सकता है। 62 वर्षीय डेसिरा किसान हैं और 20 से अधिक वर्षों से कॉफी के साथ-साथ संतरे, सुपारी, काली मिर्च, और अनानास जैसे अन्य उत्पादों का उत्पादन कर रहे हैं।
वह पहले किसानों में से एक थे जिनसे दसू ने कॉफी मंगाना शुरू किया था। वह बताते हैं, “मैं स्मोकी फॉल्स ट्राइब कॉफी को रोबस्टा और अरेबिका दोनों प्रकार की कॉफी की आपूर्ति करता हूं। वे मुझसे लगभग 1.5 टन कॉफी मंगाते हैं। उनके साथ काम करने में मुझे दो बातें सबसे ज्यादा अच्छी लगती हैं, एक तो वह उचित मूल्य देते हैं और दूसरा ये कि मेघालय में समान बेचने के लिए हमारे पास एक जगह है। कोलकाता और बेंगलुरु तक सामान भेजने में हमें जो लागत लगती है, वो यहां नहीं लगती।”
आसान नहीं प्रबंधन
दसू सिर्फ एक उद्यमी नहीं है, बल्कि एक व्यस्त मां और बेटी है। उसका दिन वास्तव में जल्दी शुरू होता है क्योंकि वह अपने बच्चों को लगभग 6:30 बजे स्कूल छोड़ती है। वह घर वापस आती है और अपने कामों को पूरा करती है। 9:30 बजे, वह अपने घर के करीब स्थित अपनी यूनिट का दौरा करती है।
पिछले साल, दसू को एक बड़ा झटका लगा, जब पता चला कि उनके पिता को कैंसर है। दसू के लिए व्यवसाय और परिवार को मैनेज करना काफी कठिन हो गया। सेहत ठीक नहीं होने के कारण पिता भी काम से दूर रहे।
सौभाग्य से, उनके पिता की सेहत बेहतर हो रही है जो दसू के लिए एक बड़ी राहत है।
एक और चुनौती जो उनके सामने है, वह है कि किसान खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। वह बताती हैं, “भारत में रोबस्टा कॉफी ज़्यादा लोकप्रिय नहीं है। इसलिए, हम उन्हें अरेबिका किस्म विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश करते हैं क्योंकि इससे उन्हें अच्छी रकम मिलेगी और वे कॉफी बोर्ड को भी बेच सकते हैं। लेकिन, चूंकि उन्हें इस विविधता का विशेष ध्यान रखना है, इसलिए वे इसका अभ्यास नहीं करना चाहते हैं।”
लेकिन कौशल और प्रशिक्षण वर्कशॉप के साथ, वे कुछ किसानों को प्रोत्साहित करने में सक्षम रहे हैं और भविष्य में, वे इसे बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। अपनी इस यात्रा के दौरान दसू ने कुछ महत्वपूर्ण सीख प्राप्त किया है जिसे वह छोटे व्यवसाय मालिकों के साथ साझा करना चाहती हैं।
वह कहती हैं, “हमेशा अपनी चुनौतियों का सामना करें और असफल होने से डरें नहीं। हमेशा सरकारी योजनाओं की तलाश में रहें जिनका आप लाभ उठा सकते हैं। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) योजना ने मुझे अपने व्यवसाय के लिए 30 प्रतिशत अनुदान प्राप्त करने में मदद की है। मेरे जैसे छोटे उद्यमी के लिए, यह बहुत फायदेमंद रहा है। इसके अलावा, सुझाव और मदद के लिए खुले रहें।”
दसू की मेहनत को विभिन्न प्लेटफार्मों द्वारा भी मान्यता दी गई है। 2019 में राज्य में उत्पादित स्वदेशी कॉफी को लोकप्रिय बनाने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें मेघालय आन्ट्रप्रनर्शिप रिकॉगनिशन पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
वह कहती हैं, “पिछले साल, मैंने अपना दूसरा उद्यम शुरू करने का फैसला किया, जहाँ मैंने कटहल के बीज से चॉकलेट, कटहल से शाकाहारी मांस, और कटहल के मक्खन जैसे उत्पादों को बनाने के लिए कटहल का प्रसंस्करण शुरू किया है। मैंने इस उद्यम को लॉन्च नहीं किया है, लेकिन मैं इसका विस्तार करने की योजना बना रही हूं।”
वह अब अपने ऑपरेशनों को बढ़ाना चाहती हैं और कॉफी बीन्स की खरीद के लिए और गाँवों को अपनाना चाहती हैं। वह और अधिक वर्कशॉप भी आयोजित करना चाहती है ताकि किसान सीख सकें और इस क्षेत्र में कॉफी के मूल्य को बढ़ाने में मदद कर सकें।
अंत में स्मोकी फॉल्स ट्राइब कॉफी की संस्थापक कहती हैं, “जब मैंने अपना उद्यम शुरू करने का फैसला किया, तो बहुत से लोगों ने मुझे हतोत्साहित किया और उन्होंने सोचा कि बैंक जैसी एक स्थिर नौकरी छोड़ना पागलपन है। यहां तक कि, जब मैंने शुरूआत की, तब भी लोगों ने मुझसे दक्षिण से बीन्स लाने, और प्रोसेसिंग के बाद अपने ब्रांड के नाम से बेचनेकी सलाह दी। लेकिन, इससे किसानों की मदद करने का उद्देश्य पूरा नहीं होता और मैंने इसे उद्देश्य के साथ व्यवसाय शुरू किया था। मेरी सच्ची आकांक्षा ईमानदार होने की है और जब कॉफी की बात है, तो मेघालय को मानचित्र पर रखने में मैं थोड़ा योगदान दे रही हूं।”
रैपिड फायर
* एक उद्यमी जिसकी आप प्रशंसा करती हैं।
उत्तर: असम से हेमप्रभा देवी
* नई तकनीक जो छोटे व्यवसायों के भविष्य को बदल सकती है
उत्तर: इंटरनेट और सोशल मीडिया ने मेरे उत्पादों को सार्वजनिक करने में बहुत मदद की है।
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उत्तर: व्यापार करते समय ईमानदारी
* आपकी पसंदीदा पुस्तक
उत्तर: मैं वास्तव में ज़्यादा पढ़ती नहीं हूं लेकिन मैं अपने बच्चों और पति के साथ समय बिताती हूं
* ख़ाली व़क्त में क्या करती हैं____…
उत्तर: जितना हो सके अपने बच्चों और पिता के साथ समय बिताती हूं
* इस साक्षात्कार से पहले क्या कर रही थीं
उत्तर: यूनिट में सौर निर्जलीकरण स्थापित कर रही थी
* ऐसी चीज़ो जो वे कॉलेज में नहीं पढ़ाते हैं लेकिन व्यवसाय चलाना महत्वपूर्ण है
उत्तर: मुझे लगता है कि कॉलेज में प्रत्येक स्ट्रीम को उद्यमिता की मूल बातें सिखानी चाहिए।
* काम पर किसी को भी रखने से पहले एक सवाल मैं हमेशा लोगों से पूछती हूं
उत्तर: वे व्यवसाय में शामिल होने के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं
* सबसे अच्छी सलाह जो आपको मिली है वह ____…
उत्तर: मेरे पिताजी ने मुझे हमेशा कोशिश करने और सपनों को सच करने के लिए आगे बढ़ने की सीख दी।
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