Powered by

Latest Stories

Homeखेल

खेल

पिता किसान, पैरों से दिव्यांग पर भारत के लिए ले आए क्रिकेट वर्ल्ड कप!

By मानबी कटोच

महाराष्ट्र के जेजुरी शहर के पास बसे एक छोटे से गाँव नाज़रे सुपे से आने वाले कुणाल ने 2011 में पहली बार क्रिकेट की गेंद देखी थी।

कड़ी मेहनत और जिद के जरिए स्कीइंग में लहराया परचम, पहाड़ की बेटियों के लिए बनीं प्रेरणा-स्रोत

By Sanjay Chauhan

स्कीइंग को हमेशा से ही पुरुषों का खेल माना जाता रहा। लेकिन वंदना ने स्कीइंग में बर्फीली ढलानों पर हैरतअंगेज करतब दिखाकर कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की और इस खेल में पुरुषों के प्रभुत्व को चुनौती देकर महिलाओं के लिए उम्मीदों की नयी राह खोली।

गामा पहलवान: कद कम बता कर जिसे किया टूर्नामेंट से बाहर, उसी ने जीता 'रुस्तम-ए-जहाँ' का ख़िताब!

By निशा डागर

ग़ुलाम मोहम्मद बख़्श उर्फ़ गामा पहलवान, जी हाँ, वही गामा पहलवान जिसने कुश्ती में न सिर्फ़ रुस्तम-ए-हिन्द बल्कि रुस्तम-ए-जहाँ का ख़िताब हासिल किया। वही गामा पहलवान जिसने दम पर आज भी भारत को कुश्ती में विश्व विजेता कहलाने का मुक़ाम हासिल है।

'अच्छे बच्चे बॉक्सिंग नहीं करते', कहकर पिता ने रोक दिया था प्रशिक्षण; आज बेटी ने गोल्ड जीत कर किया नाम रौशन!

By मानबी कटोच

एशियाई खेलों में गोल्ड जीतने वाली हरयाणा की पूजा रानी के पिता उनकी बॉक्सिंग के ख़िलाफ़ थे. पर इस भारतीय खिलाड़ी ने चुपके से प्रशिक्षण किया और भारत का नाम रौशन किया.

मेघना गुंडलपल्ली: इस 20 वर्षीय लड़की के जुनून ने दिलाई 'रिदमिक जिमनास्टिक्स' में देश को पहचान!

By निशा डागर

तेलंगाना के हैदराबाद की रहने वाली 20 वर्षीय मेघना रेड्डी गुंडलपल्ली एक भारतीय रिदमिक जिमनास्ट हैं। साथ ही, साल 2018 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालीफाई करने वाली वे अकेली भारतीय खिलाड़ी थीं। फ़िलहाल, वे इटली में साल 2020 ओलिंपिक के लिए ट्रेनिंग में जुटी हैं।

दिव्यांग आईएएस अफ़सर ने किया भारत का नाम रौशन; पैरा-बैडमिंटन में जीता सिल्वर!

By निशा डागर

सुहास लालिनाकेरे यथिराज, उत्तर-प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) में जिला अधिकारी के पद पर नियुक्त हैं। हालांकि, एक प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ-साथ, सुहास एक बेहतरीन पैरा-एथलीट भी हैं। हाल ही में, उन्होंने पैरा-बैडमिंटन अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रौशन किया है!

दुर्घटना के बाद कभी हाथ और पैर काटने की थी नौबत, आज हैं नेशनल पैरा-एथलेटिक्स के गोल्ड विजेता!

By निशा डागर

बिहार के 24 वर्षीय पैरा- एथलीट शेखर चौरसिया भी उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने हर एक चुनौती से लड़कर अपना रास्ता बनाया है। उन्होंने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित अलग- अलग पैरा-एथलीट चैंपियनशिप में गोल्ड व सिल्वर मेडल जीते हैं।

रानी रामपाल: गरीबी, विरोध और समाज के तानों से लड़कर, बनी भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान!

हरियाणा से ताल्लुक रखने वाली रानी रामपाल, भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान हैं। उनकी कप्तानी में महिला हॉकी टीम को आज वैश्विक स्तर पर जाना जा रहा है। हालांकि, रानी का यहाँ तक का सफ़र बहुत संघर्ष भरा रहा है। पर आज वे खुद सफल होने के साथ-साथ युवा खिलाड़ियों को मौके दे रही हैं।