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16 साल के भटके बेटे को पिता कैसे लाए रास्ते पर, पढ़ें श्रेयस अय्यर की शानदार प्रेरक कहानी

Inspiring Story Of Shreyas Iyer

किसी इंसान के सफल हो जाने पर तो सब साथ आ जाते हैं, लेकिन संघर्षों में, सुख-दुख में, हर समय जो साथ खड़े रहते हैं, वे होते हैं माता-पिता। उनसे अच्छा थेरेपिस्ट, दुनिया में कोई हो ही नहीं सकता। ऐसे ही माता-पिता की कहानियां ,हमारे भारतीय क्रिकेट टीम से भी जुड़ी हैं। फिर चाहे वे बेहतरीन बल्लेबाज़ युवराज सिंह के माता-पिता हों, या युवा खिलाड़ी श्रेयस अय्यर (Shreyas Iyer) के।

कैंसर के दौरान युवराज के अभिभावक उनके साथ रहे, उन्हें मोटिवेट किया। उनके पूरी तरह से उनके ठीक होने के बाद भी, उनके पिता हर मोर्च पर उनके साथ खड़े रहते हैं। उनके लिए आवाज़ उठाते हैं। इससे साफ ज़ाहिर होता है कि बच्चे चाहे जिस मुकाम पर चले जाएं, चाहे जितने भी सफल हो जाएं, माता-पिता के लिए बच्चे ही रहते हैं।

ऐसी ही कहानी है भारतीय क्रिकेटर श्रेयस अय्यर (Shreyas Iyer) की भी। उनके पिता ने हर मुमकिन कोशिश की, कि श्रेयस को हर वह खुशी मिले, जिसके वह हकदार हैं। वह सफलता की उन ऊंचाइयों तक जाएं, जहां तक उनके पंखों की उड़ान है। इन सबके लिए, जो चीज़ सबसे ज़रूरी होती है, वह है सही समय पर लिया गया सही फैसला। फिर चाहे वह फैसला माता-पिता का हो या फिर बच्चों का।

सफलता के लिए मानसिक स्वास्थ्य है ज़रूरी

श्रेयस के पिता, संतोष अय्यर ने एक इंटरव्यू में बताया, “जब श्रेयस चार साल का था, तब हम घर में प्लास्टिक की गेंद से क्रिकेट खेलते थे। फिर भी, वह गेंद को बहुत अच्छे तरह से मिडिल करता था। उसे देखकर मुझे यकीन हो गया कि इस बच्चे में असली प्रतिभा है। इसलिए, उसकी क्षमता और हुनर को निखारने के लिए, हमसे जितना हो सका, हमने किया।”

Family of Shreyas Iyer (Source)

उनकी ट्रेनिंग अच्छी चलने लगी और धीरे-धीरे समय बीतता गया। संतोष अय्यर ने बताया, “एक बार, जब एक कोच ने मुझसे कहा कि आपके बेटे में प्रतिभा तो बहुत है, लेकिन वह अपने रास्ते से भटक गया है। तो मैं थोड़ा चिंतित हो गया। मुझे लगा कि या तो उसे प्यार हो गया है। या फिर वह गलत संगत में पड़ गया है।”

दरअसल, मुंबई के क्रिकेटर श्रेयस (Shreyas Iyer) ने अंडर-16 के दिनों में, अपने प्रदर्शन में गिरावट के दौरान, काफी कम उम्र में बेहद मुश्किल समय का सामना किया। हालांकि, उनके पिता हार मानने को तैयार नहीं थे। उन्होंने अपने बेटे के सभी कोच और मेंटर्स को यह पता लगाने के लिए बुलाया कि आखिर क्या गलत हो रहा है? कहां कमी है? और श्रेयस क्यों इतने परेशान और अशांत रहने लगे हैं?

लेकिन सबसे बात करने के बावजूद, कुछ खास पता नहीं चला। उस समय मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी काफी थी। तब भी, श्रेयस के पिता संतोष ने बिल्कुल सही फैसला किया। उन्होंने, अपने बेटे पर नकेल कसने या हिदायत देने के बजाय, उन्हें एक खेल मनोवैज्ञानिक के पास ले जाने का निर्णय लिया।

फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा

मनोवैज्ञानिक ने भविष्य के इस होनहार क्रिकेटर के साथ काफी समय बिताया। संतोष ने बताया कि आखिरकार साइकॉलजिस्ट ने मुझसे कहा, “आप बेवजह ही चिंता कर रहे थे। अन्य क्रिकेटरों की तरह ही श्रेयस भी, सिर्फ थोड़े मुश्किल दौर से गुजर रहे थे।”
इसके बाद जल्द ही, उन्होंने अपना फॉर्म भी ठीक कर लिया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

भारतीय बल्लेबाज श्रेयस अय्यर (Shreyas Iyer) ने अपने शानदार प्रदर्शन से लोगों के दिलों में अपनी जगह और उम्दा खिलाड़ियों में अपनी अलग पहचान तो बना ली थी, लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी उम्मीद के अनुसार जगह बनाने के लिए, उन्हें थोड़ा इंतजार करना पड़ा।

साल 2017 में, वनडे में डेब्यू करने के बावजूद, उन्हें पिछले साल विश्व कप के लिए, वह जगह नहीं मिली, जिसके वह हकदार थे। लेकिन पिछले कुछ महीनों में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ शानदार प्रदर्शन के बाद, अय्यर ने खुद अपनी जगह बना ली है।

न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने टेस्ट डेब्यू में, अय्यर ने शतकीय पारी खेलकर, करियर का बेहतरीन आगाज किया है। इसके साथ ही, वह डेब्यू टेस्ट मैच में शतक जड़ने वाले भारत के 16वें बल्लेबाज बन गए हैं। अय्यर ने ग्रीन पार्क स्टेडियम पर, 171 गेंदों में 13 चौकों और दो छक्कों की मदद से 105 रन बनाए।

“मुझे पता था कि एक दिन मुझे चुना जाएगा”

क्रिकबज से बात करते हुए, अय्यर ने चयन नहीं किए जाने के कारण हुई निराशा के बारे में बात की। उन्होंने, अपनी पहचान बनाने के लिए उन्हें क्या बदलाव करने पड़े यह भी बताया। उन्होंने कहा, “जब मैंने दूसरे (घरेलू) सीज़न में 1300 रन बनाए, तो मुझे भारत की टीम में नहीं चुना गया। जबकि, मुझे पूरी उम्मीद थी कि मेरा चयन हो जाएगा। मेरे सामने अन्य खिलाड़ी चुने जा रहे थे। उनका प्रदर्शन मेरे जैसा शानदार नहीं था, फिर भी वह मुझसे आगे निकल रहे थे।”

Shreyash Iyer (Source)

उन्होंने क्रिकबज को बताया, “मुझे लगा कि मुझे जाकर चयनकर्ताओं से पूछना चाहिए कि मुझमें क्या कमी है और मैंने जाकर उनसे पूछा भी। चयनकर्ताओं ने कहा, ‘आप आक्रामक खिलाड़ी हैं। उच्चतम स्तर पर, अगर कोई आपको अच्छी गेंदबाजी करता है, तो आप उस स्तर पर टिके नहीं रह पाएंगे।’
इसके बाद, मैंने सोचा कि चलो वैसे ही खेलते हैं, जैसे वे चाहते हैं और फिर देखते हैं कि इससे क्या फायदा होता है। कुछ समय बाद, मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं अधिक समय तक रुकता हूं, अगर मैं थोड़ा समय लेता हूं, तो ज्यादा अच्छे तरीके से खेल सकता हूं।”

क्रिकबज ने जब उनसे पूछा कि क्या उन्हें चयन न होने पर दुख हुआ? तो अय्यर (Shreyas Iyer) ने ईमानदारी से जवाब देते हुए कहा, “मैं बहुत गुस्से में था, मैं असभ्य था, मैं हमेशा चयन को लेकर चिल्लाता रहता था। फिर मुझे लगा कि इसके बारे में बहुत ज्यादा सोचने का कोई फायदा नहीं है। मैंने अपनी जिंदगी, बल्लेबाजी और अपने क्रिकेट को एंजॉय करना शुरू कर दिया। जब आप खेल का आनंद लेते हैं, तो आप स्कोर करते रहते हैं। मैं बस अपना काम करता रहा, यानी रन बनाता रहा। मुझे पता था कि एक दिन मुझे चुना जाएगा।”

मानसिक तनाव या मानसिक अस्वस्थता को ना करें नज़रअंदाज़

आमतौर पर मानसिक अस्वस्थता को लोग पागलपन समझने लगते हैं। या फिर किसी मनोवैज्ञानिक से मिलने का अर्थ, मेंटल हॉस्पिटल जाना समझा जाता है। लेकिन असल में ऐसा बिल्कुल नहीं होता। मानसिक तनाव या मानसिक अस्वस्थता, सीधे तौर पर आपकी भावनाओं, एहसास और आप क्या महसूस करते हैं, इससे जुड़ा होता है। बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चों या परिवार में कोई भी सदस्य जो थोड़ा अलग सा बर्ताव करने लगा हो, उससे आराम से बात करें, उसकी समस्या को समझें या फिर किसी काउंसलर के पास जाएं।

क्योंकि, सौ बात की एक बात यह है कि ‘एक स्वस्थ मस्तिष्क ही, शरीर को स्वस्थ रख सकता है और एक स्वस्थ शरीर ही सफलता की सीढ़ी चढ़ सकता है।’ तो स्वस्थ रहें और अपनों का ध्यान रखें।

Stay Healthy, Stay Mindful!

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