पुराने समय में दादी और नानी, रात को कहानी सुनाने से पहले पान की गिलोरी मुंह में रखा करती थीं और फिर एक के बाद एक मजेदार किस्से सुनने को मिलते थे। वहीं, अगर आज के समय की बात करें तो, शादी या फिर कोई भी समारोह क्यों न हो, मीठे में पान (Betel Leaves or Paan) एक खास स्वाद के साथ आपका इंतजार करता नज़र आ ही जाएगा। दरअसल, पान का यह पत्ता हमारे खान-पान और संस्कृति के ताने-बाने में कुछ इस तरह से रचा बसा है कि इसे नजरअंदाज करना मुश्किल है। इसे हम आज भी वहीं पाते हैं, जहां यह सदियों पहले था।
पांच हजार सालों पुराना इतिहास
पान को संस्कृत के शब्द पर्ना से लिया गया है, जिसका मतलब है पत्ती। पान (Betel Leaves or Paan) का जिक्र भारतीय पौराणिक कथाओं के साथ-साथ आयुर्वेद की औषधियों के रूप में भी किया गया है। जालीदार शिराओं के साथ, दिल के आकार वाले पान के इस पत्ते को कई तरह के धार्मिक समारोहों में भी खास जगह दी जाती है। पांच हजार सालों से इसे रोजाना किसी न किसी रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है।
लेकिन क्या आप जानते हैं स्वाद और होठों को लाल रंग देने के अलावा, पान के पत्ते में सेहत के कई राज़ भी छिपे हैं।
हालांकि बहुत से लोग इसे तंबाकू, सुपारी या फिर कास्टिक या बुझे हुए चूने (Slacked Lime) के साथ खाते हैं, जिसकी वजह से इसे मुंह के कैंसर का कारण माना जाता है। लेकिन इस बात पर हमें ध्यान देना होगा कि इस पत्ते को खाने के और भी कई तरीके हैं, जिनसे हमें फायदा मिलता है। इसके एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी माइक्रोबियल गुण शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।
दिल को रखता है सेहतमंद

पान के पत्तों को थायमिन, नियासिन, राइबोफ्लेविन, विटामिन सी, कैरोटीन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर माना जाता है। लेकिन भारतीय खानपान में इसका इस्तेमाल ज्यादा नहीं किया गया। जिस कारण से पोषक तत्वों की पूरी जानकारी न तो हमें मिल पाई और ना ही हम उसका फायदा उठा पाए।
लेकिन इसके गैर पोषक तत्व भी कम फायदेमंद नहीं हैं। इसके यही फायदे उसे आम से खास बना देते हैं।
इनमें एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-डायबिटिक गुणों के साथ-साथ एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड भी होते हैं। पान के पत्ते, ह्रदय रोग (cardio-vascular disease), हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल को रोकने में भी सहायक माने जाते हैं।
कई आधुनिक अध्ययनों से यह सिद्ध हो चुका है कि इसके पत्तों का लेप, घाव और सूजन के इलाज में काफी कारगर है। वैसे पान के पत्ते (Betel Leaves or Paan) का इस तरह से प्रयोग तो हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली काफी समय पहले से करती आ रही है।
किस्में तय करती हैं फायदा और नुकसान
पान के पत्तों (Betel Leaves or Paan) के फायदे और नुकसान को लेकर काफी असमंजस की स्थिति है। कुछ इसे कई तरह की बीमारियों का कारण मानते हैं, तो कुछ के लिए यह कई मर्जों की दवा है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता के ‘इम्यूनोलॉजी एंड रीजनरेटिव मेडिसिन रिसर्च लेबोरेटरी’ के एना रे बनर्जी के अनुसार, पान के प्रभाव को लेकर लोगों में काफी मतभेद हैं। इसका कारण पान के अलग-अलग किस्मों को एक ही कैटेगरी में रखकर चलना है। वैज्ञानिक कहते हैं कि कुछ किस्में नुकसान पहुंचा सकती हैं, जबकि इसके कई अन्य फायदेमंद भी हैं।
कलकत्ता विश्वविद्यालय और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी के वैज्ञानिकों ने एक शोध किया। जिसमें उन्होंने पान के पत्तों (Betel Leaves or Paan) की नौ किस्मों की जांच की और उन पत्तों की पहचान की जिनमें औषधीय गुण होते हैं।
शोध से मिले परिणामों के अनुसार नौ किस्मों में से पांच में सूजन रोधी गुण पाए गए, जबकि एक पत्ते में सूजन पैदा करने की प्रवृत्ति सामने आई और बाकी के तीन पत्तों में किसी भी तरह के कोई फायदे या नुकसान नज़र नहीं आए।
दर्द से दिलाए राहत

पान का पत्ता (Betel Leaves or Paan) एक उत्कृष्ट एनाल्जेसिक के रूप में भी जाना जाता है, जो शरीर पर लगी किसी चोट या कटने या फिर चकत्ते से होने वाले दर्द से राहत देता है। अगर कभी कटने-फटने या चोट लगने से दर्द हो रहा है, तो पान के कोमल पत्तों का पेस्ट बनाकर चोट या दर्द वाली जगह पर लगाएं। चाहें तो पट्टी बांधकर कुछ समय के लिए उसे छोड़ भी सकते हैं।
अगर सिर दर्द है, तो भी इसका लेप काफी आराम पहुंचाता है। कई प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में शरीर में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए पान के पत्तों के रस को पीने की सलाह दी गई है।
पेट के लिए भी है फायदेमंद
पान का एक और फायदा है, जिसके बारे में अगर बात न करें तो जानकारी अधूरी रह जाएगी। यह आपके वजन को कम करने में भी सहायक है। पान के पत्ते (Betel Leaves or Paan) शरीर के फैट को कम करते हैं और मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखते हैं। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर पान, शरीर से रेडिकल्स को साफ करने के लिए भी जाना जाता है। यह सामान्य PH स्तर को बनाए रखता है और पेट में होने वाली खराबी को कम करने में मदद करता है।
शायद यही वजह है कि देश में कई जगहों पर खाना खाने के बाद पान के पत्तों को चबाया जाता है। इसके कार्मिनेटिव, इंटस्टाईन और एंटी-फ्लैटुलेंट गुण हमारे गट की सेहत में सुधार लाते हैं।
मूल लेखः अनन्या बरुआ
संपादनः अर्चना दुबे
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