केरल के कोक्कवड गाँव के रहने वाले जोशी मैथ्यूज के पास 0.25 एकड़ जमीन है, जहाँ उन्होंने जैविक खेती और मछली पालन से लेकर मधुमक्खी पालन की सुविधा भी विकसित कर ली है।
केरल के पलक्कड़ जिले में रहने वाले पी. थंकामणि और ए. नारायणन रिटायरमेंट के बाद से अपनी साढ़े सात एकड़ ज़मीन पर 50 तरह के साग-सब्ज़ियाँ और फल उगा रहे हैं!
केरल के कासरगोड के रहने वाले 67 वर्षीय कुंजंबु, पिछले 50 वर्षों से अधिक समय के दौरान 1000 से अधिक सुरंगे बना चुके हैं। जिसके फलस्वरूप आज गाँव के लोगों को पानी के लिए बोरवेल पर कोई निर्भरता नहीं है।
कोच्चि स्थित क्राफ्टवर्क सोलर नाम की कंपनी ने एक ऐसा मशीन तैयार किया है, जिसमें इडली और अन्य उबले हुए खाद्य पदार्थों को सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करते हुए बनाया जा सकता है।
केरल के कोट्टायम की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच त्रावणकोर वास्तुकला के आधार पर बने इस घर में पैसिव कूलिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, जिसके कारण भीषण गर्मी में एसी की जरूरत नहीं पड़ती है।
केरल के अरनमुला के रहने वाले 72 वर्षीय एन.के. कृष्णन नायर अपने खेतों से हर दिन लगभग 15-20 किलो गेंदे का फूल तोड़ते हैं। इन फूलों को बेचकर वह हर महीने करीब 35,000 रुपए कमा लेते हैं।