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आँखें जाने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, 46 वर्षों से बिना किसी मदद चला रहे हैं अपनी दुकान

केरल के पथानमथिट्टा जिले के रहने सुधाकर कुरुप के आँखों की रोशनी 21 वर्ष के उम्र में ही चली गई।

केरल: चलाते हैं इलेक्ट्रिक कार, फिर भी 96% कम हुआ बिजली बिल, जानिए कैसे

By निशा डागर

केरल के रहने वाले डॉ. जोजो जॉन ने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पहले इलेक्ट्रिक कार ली और फिर सोलर सिस्टम लगवाया और आज वह न के बराबर बिजली और पेट्रोल पर खर्च कर रहे हैं!

जानिए कैसे पॉलिथीन बैग से बना सकते हैं घर के लिए टेबल मैट या कारपेट

By निशा डागर

पॉलीबैग से बने इन टेबल मैट को गंदे होने पर धोया जा सकता है और आप इन्हें लम्बे समय तक इस्तेमाल कर सकते हैं!

चौथी कक्षा में छोड़ दिया था स्कूल और आज 83 साल की उम्र में बना दी 4 भाषाओं की डिक्शनरी

By निशा डागर

केरल के रहने वाले 83 वर्षीय नजात्तेला श्रीधरण ने दक्षिण भारत की चार भाषाओं, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम की एक डिक्शनरी तैयार की है!

छत पर ऑर्नामेंटल पौधे उगाकर हर महीने 30,000 रुपये कमातीं हैं यह गृहिणी

By निशा डागर

केरल के एर्नाकुलम में रहने वाली एक गृहिणी सुमी श्यामराज अपने घर की छत पर ओरनामेंटल पौधे उगाती हैं और इसी से वह महीने में 30 हज़ार रुपये से ज्यादा कमा रहीं हैं।

अतिरिक्त कमाई के लिए शुरू किया था इडली बनाने का काम, आज है अपनी फूड कंपनी

केरल की फूड एंटरप्रेन्योर रनिता शाबू ने अपने बिजनेस की शुरुआत 2005 में की थी। इसके तहत वह इडली से लेकर, इडियप्पम, वट्टायप्पम, चक्कायदा, चक्का वट्टायप्पम, नय्यप्पम, उन्नीअप्पम, कोज्हुकत्ती और पलाप्पम जैसे दक्षिण भारतीय व्यंजनों को सर्व करती हैं।

“जरूरतमंदों को पैसे देने के बजाय, खाना देना बेहतर…” मिलिए कोच्चि के इस प्रेरक चायवाले से!

केरल के कोच्चि के रहने वाले ओ.ए. नजर और उनके भाई ओ. ए. शमसुद्दीन, अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए, हर दिन कम से कम 10 लोगों को खाना खिलाते हैं।

खाना पकाते हुए भी यूट्यूब पर पढ़ातीं हैं यह गृहिणी, साल का टर्नओवर है 1 करोड़ रुपये

By निशा डागर

आशा बिनीश अपने यूट्यूब चैनल के ज़रिए कम्पटीशन एग्जाम की कोचिंग देती हैं। मात्र एक-दो छात्रों से शुरू हुआ उनका काम आज 5 हज़ार छात्रों तक पहुँच चुका है।

दुबई की नौकरी छोड़ लौटे अपने वतन, बंजर ज़मीन को उपजाऊ बना शुरू की जैविक खेती

By निशा डागर

केरल के तुम्बुर के रहने वाले टॉम किरण डेविस लगभग 5 साल पहले दुबई में नौकरी छोड़कर अपने देश लौटे और अपने गाँव में खाली और बंजर पड़ी ज़मीन पर जैविक खेती शुरू की!