केरल के तिरुवनंतपुरम निवासी, राजमोहन ने अपने घर की छत पर ग्रो-बैग्स में अंगूर उगाकर इस धारणा को बदल दिया है कि अंगूर केवल पहाड़ी क्षेत्रों में ही उगते हैं।
कोचीन, केरल में रहने वाली दीविया थॉमस ने साल 2008 में पुराने अखबारों से बैग बना कर अपने काम की शुरुआत की थी और आज वह इको-फ्रेंडली बैग के साथ-साथ डिब्बे, कार्ड, पेपर-पेन जैसे उत्पाद भी बना रहीं हैं।
केरल के मलप्पुरम के रहने वाले जमशीर को बचपन से ही खेती और पशुओं से खास लगाव था। इसलिए उन्होंने इंजीनियरिंग करने के बाद भी इसी में अपना कैरियर बनाने का फैसला किया। आज वह आधुनिक तरीके से डेयरी फार्मिंग कर, हर महीने एक लाख रुपये कमा रहे हैं। पढ़िए उनकी प्रेरक कहानी!
केरल के रहने वाले 93 वर्षीय चिदंबरम नायर एक सेवानिवृत्त शिक्षक और जैविक किसान हैं, जो काफी समय से जैविक खेती कर रहे हैं, और अपने घर के लिए लगभग सभी खाने की चीज़े खुद उगाते हैं!
मंजू हरि केरल के पठानमथिट्टा की रहने वाली हैं। लॉकडाउन के दौरान उनके पति की नौकरी चली गई। इसके बाद, मंजू को अपने छोटे से बगीचे से एक नई उम्मीद मिली। जहाँ वह Moss Rose की खेती करती हैं। आज उनके पौधों की माँग पूरे देश में है।