केरल के त्रिशूर में कंजनी (Kanjani) गाँव के रहने वाले के.सी. सिजोय ने ‘नेत्तूर टेक्निकल ट्रेनिंग फाउंडेशन‘ (NTTF) से ‘टूल ऐंड डाई मेकिंग’ कोर्स किया था और इसके बाद, वह काम करने सऊदी अरब चले गए। कई सालों तक, उन्होंने वहाँ एक बड़ी इंडस्ट्री में सांचे बनाने का काम किया। इसके बाद, साल 2005 में वह भारत वापस लौट आए। उन्होंने अपने आस-पास देखा कि बहुत से लोग, नारियल के सहारे आजीविका चला रहे हैं। कोई नारियल उगाता है, तो कोई नारियल की बिक्री करता है।
इसके साथ ही, नारियल के पानी का भी अच्छा काम है। वह बताते हैं, “मैंने देखा कि जो लोग कच्चे नारियल बेचने का काम करते हैं, उन्हें इसे छीलने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। साथ ही, बहुत से लोगों को पता ही नहीं है कि इसे आकर्षक तरीके से कैसे पेश किया जाए? मैंने इस बारे में शोध किया और देखा कि नारियल को काटने या छीलने के लिए, क्या कोई मशीन उपलब्ध है? कुछ मशीनें हैं लेकिन, ये सिर्फ कच्चे नारियल के लिए ही सही हैं। थोड़े-बहुत पके नारियल, जिनकी बाहरी परत कठोर होती है, उन्हें भी ये मशीनें छील नहीं सकतीं हैं। जबकि, नारियल बेचने वालों को बड़ी मात्रा में नारियल खरीदते समय कुछ पके नारियल भी मिल जाते हैं।”
लगभग 10 सालों के शोध और मेहनत के बाद, सिजोय ने नारियल छीलने वाली एक खास मशीन बनाई। यह मशीन न सिर्फ 40 सेकेंड में एक नारियल को छील देती है, बल्कि इसके हल्के कठोर छिल्कों को भी एक मिलीमीटर के आकार में काट देती है, जिसे चारे के रूप में जानवरों को खिलाया जा सकता है।
किया आविष्कार:
इस मशीन के आविष्कार के लिए सिजोय ने, अपने घर के पास एक पुरानी वर्कशॉप (कार्यशाला) को किराये पर लिया। यहाँ पर उन्होंने कुछ भारी मशीन भी किराये पर लीं। उन्होंने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के स्थानीय केंद्र से वेल्डिंग मशीन किराये पर ली।
उन्होंने अपने ट्रेनिंग कोर्स के ज्ञान और सऊदी अरब में अपने काम के अनुभव का इस्तेमाल करते हुए मशीन का प्रोटोटाइप तैयार किया।
उन्होंने मशीन में एक 500 वाट की मोटर लगाई है। इसके एक सिरे पर एक लीवर लगाया हुआ है, जो नारियल को पकड़ता और छोड़ता है। दूसरे सिरे पर नारियल को घुमाने के लिए, एक घूमने वाला यंत्र लगाया है। साथ ही, नारियल के नीचे एक तेज धार वाला चाकू लगाया गया है, जो ‘घिरनी प्रणाली’ से काम करता है और बाएं से दाएं जाता है। इसके साथ ही, एक और लीवर लगाया गया है जो दो और तेज धार वाले चाकुओं को, नारियल को दोनों तरफ से छीलने के लिए ऊपर-नीचे करता है।
सिजोय बताते हैं कि मशीन में 100 मिलीमीटर की ब्लेड लगाई गई है, जो नारियल की बाहरी परत को सिर्फ 40 सेकेंड में छील देती है। छिले हुए नारियल को मशीन से जुड़े एक कटिंग बोर्ड पर लाया जाता है, जहाँ इसके सिरे और तले को काटा जाता है। अब नारियल बेलनाकार/गोल आकार में ढल जाता है और इसका सिरा व तल, दोनों समतल हो जाते हैं। अब इसे आसानी से कहीं भी रखा जा सकता है और इसे कहीं लेकर, जाने या आने में भी परेशानी नहीं आती है। वह कहते हैं, “इस पूरी प्रक्रिया में नारियल के अंदर की मलाई और पानी को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुँचता है। ग्राहकों को अब बस इसे एक तरफ से तेज धार वाले चाकू से खोलना होता है तथा इसके अंदर से पानी और मलाई को निकालना होता है।”
साल 2015 में अपने प्रोटोटाइप के लिए, सिजोय ने पेटेंट भी फाइल किया था और साल 2017 में उन्हें अपनी मशीन के लिए पेटेंट मिल गया। उन्होंने बिजनेस को ‘कुक्कोस इंडस्ट्रीज’ के नाम से पंजीकृत कराया है। छिले हुए नारियल बेचने के लिए, उन्होंने कई सुपरमार्केट के साथ साझेदारी भी की थी। वह स्थानीय लोगों से नारियल खरीदते थे और सुपरमार्केट को 30 रूपये की दर से छिले हुए नारियल देते थे।
वह कहते हैं, “यह मशीन अच्छे से काम कर रही थी। मैं एक घंटे में 40 से 50 नारियल आसानी से छील पाता था। लेकिन, कुछ महीने बाद मैंने यह बंद कर दिया, ताकि मैं इस मशीन से ज्यादा कमाई कर, इसे बाजार के लिए तैयार कर सकूं।”
तकनीक पर कर रहें हैं काम:
यह मशीन किसी भी आकार के नारियल के लिए अच्छे से काम करे इसलिए, सिजोय ने मशीन में कुछ बदलाव किए हैं। उन्होंने अब इसमें 750 वाट की मोटर लगाई है ताकि इससे एक घंटे में 60 से 80 नारियल छीले जा सकें। वह कहते हैं, “बाजार में अभी व्यावसायिक मॉडल उपलब्ध नहीं है। लेकिन जब मैं सभी बदलाव कर लूंगा तो त्रिशूर जिले में कुछ मशीनें उपलब्ध कराऊंगा। एक साल तक, मैं मशीन के काम को देखूंगा, अगर कोई परेशानी होगी तो इसे ठीक करके, एक आखिरी मॉडल तैयार करूँगा, जिसे देशभर में बेचा जा सके।”
उनके बिजनेस को केरल कृषि विश्वविद्यालय के ‘एग्री-प्रेन्योरशिप ओरिएंटेशन प्रोग्राम’ के अंतर्गत इन्क्यूबेशन (उद्भवन) की सहायता मिली है और फरवरी 2021 की शुरुआत में, उनके स्टार्टअप को टॉप तीन स्टार्टअप में चुना गया है। उन्हें केंद्र सरकार से अपने आविष्कार पर और काम करने के लिए 25 लाख रूपये का अनुदान भी मिला है।
केरल कृषि विश्वविद्यालय में कृषि अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) विभाग के रफ्तार (RAFTAAR) एग्री-बिजनेस इनक्यूबेटर के प्रमुख केपी सुधीर कहते हैं,”बाजार में नारियल छीलने के और भी कई यंत्र मौजूद हैं। लेकिन, सिजोय की मशीन हाई-टेक है और यह नारियल की कठोर खोल को भी छील सकती है।”
मूल लेख: रौशनी मुथुकुमार
संपादन- जी एन झा
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