केरल से संबंध रखने वाले सीजो ज़कारिया दुबई में पले-बढ़े। वह अपने परिवार के साथ दुबई में ही बस गए हैं। उनकी पढ़ाई लंदन से हुई है लेकिन इन सबके बावजूद वह साल में एक बार जरूर कुछ दिनों के लिए केरल आते हैं। इस बार जनवरी में वह आए लेकिन लॉकडाउन की वजह से फिर दुबई लौट नहीं सके। ऐसे में उन्होंने समय का सुंदर उपयोग गार्डनिंग में किया और तरह-तरह के पौधे लगाए।
सीजो ने द बेटर इंडिया को बताया कि वह अपने परिवार के साथ साल में एक बार केरल आते हैं। यहां उनके घर के आस-पास काफी ज़मीन है। जहाँ नारियल, कटहल आदि के पेड़ हैं। उन्हें हमेशा इस बात का दुःख रहता था कि वह इनकी सही देखभाल नहीं कर पा रहे हैं।
इस बार, जनवरी 2020 में वह अपने पिता के साथ एक विवाह समारोह में हिस्सा लेने केरल आए थे। जब वह वापस जाने वाले थे, उससे दो दिन पहले ही लॉकडाउन जारी हो गया, जिस वजह से वह लौट नहीं सके। गौरतलब है कि केरल में देश के बाकी हिस्सा से बहुत पहले ही लॉकडाउन हो गया था।
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लेकिन इस मुश्किल घड़ी को सीजो ने अपने शौक को पूरा करने के लिए एक मौके के तौर पर लिया। लॉकडाउन के एक-दो हफ्ते बीतने के बाद उन्होंने महसूस किया कि उन्हें अपने गार्डनिंग के शौक को पूरा करना चाहिए। इसके बाद उन्होंने अपना होम-गार्डन तैयार किया।
सीजो ने पुराने पेड़-पौधों की देखभाल के साथ-साथ कुछ नए पौधे भी लगाए। उन्होंने सब्जी उगाने में एक्सपेरिमेंट किया। वह कहते हैं, "लॉकडाउन में सब्जी मिल तो रही थी पर ताज़ा कुछ भी नहीं था। इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न खुद अपने लिए ताज़ा सब्जी उगाई जाए। वैसे भी मैं स्वस्थ खान-पान को लेकर काफी सजग रहता हूँ।"
सीजो बचपन से ही शाकाहारी रहे हैं। उनका मानना है कि हरी सब्जी में सभी तरह के पोषक तत्व रहते हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने अपने किचन गार्डन में टमाटर, भिंडी, मिर्च, फलियाँ, भारतीय यम, एलीफैंट यम, अदरक, बैंगन, सहजन, करी पत्ता, पुदीना, लाल पालक, आलू, शकरकंद आदि उगाए। इसके अलावा उन्होंने पैशन फ्रूट, निम्बू, पपीता, सीताफल और चीकू के पेड़ भी लगाए हैं।
शुरुआत में उन्होंने किसी को भी अपने इस एक्सपेरिमेंट के बारे में नहीं बताया लेकिन जब उन्हें सफलता मिलने लगी तो उनकी दिलचस्पी गहरी होती गई। उन्होंने जैविक किसानी और केरल की खान-पान की संस्कृति के बारे में पढ़ना शुरू किया।
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उन्होंने स्वस्थ खाने के सिद्धांत के बारे में भी काफी पढ़ा। वह बताते हैं, "तकनीकों से भरे इस जमाने में हम लोग ज़्यादातर फ़ोन और लैपटॉप आदि से घिरे रहते हैं। इन चीजों से निकलने वाली कुछ इलेक्ट्रो-मेगनैटिक किरणें हमारे शरीर में होती है। लेकिन अगर हम नंगे पैर अपने गार्डन में घास पर चलें और पेड़-पौधों के बीच समय बिताएं तो यह सभी हानिकारक किरणें हमारे शरीर से निकल जाती हैं क्योंकि धरती चार्ज फ्री है।"
खुद अपना खाना उगाने के साथ-साथ सीजो ने 'लर्निंग योर रूट्स' के नाम से अपना एक यूट्यूब चैनल और एक ब्लॉग भी शुरू किया है। ब्लॉग पर वह केरल के खाने-पीने के बारे में लिखते हैं और तरह-तरह की सब्जियों को किस तरह से पकाकर खाना चाहिए, इस पर भी लिखते हैं। इन सब टॉपिक्स पर वह वीडियो भी बना रहे हैं। वह फेसबुक पर कई गार्डनिंग ग्रुप्स का हिस्सा भी हैं, जहां वह अपने इस खूबसूरत सफर के बारे में बात करते हैं।
अगर आप खुद जैविक तरीकों से अपना खाना उगा रहे हैं तो आपको बार-बार बीमारियों के लिए डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। ज़रूरी नहीं कि आप हर एक टॉनिक और हर्बल टी आदि बाज़ारों से ही खरीदें। सीजो को कुछ ही दिन पहले पता चला है कि उनके गार्डन में उगने वाले गुलमोहर और निम्बू से हर्बल टी बनाया जा सकता है।
सीजो बताते हैं कि उन्हें अपने गार्डन से नियमित तौर पर कुछ न कुछ मिलता है। इसे वह खुद अपने घर में पकाते हैं और अपने पड़ोसियों में भी बांटते हैं। उनका कहना है कि गार्डनिंग के ज़रिए आप अपने रिश्ते भी मजबूत कर सकते हैं। वह अपने पड़ोसियों के घऱ से तरह-तरह के फूलों के पौधे लेकर लगा रहे हैं।
"उन्हें इन पेड़ों की ज़रूरत नहीं और वह इन्हें अपने गार्डन से निकालना चाहते हैं। इसलिए मैं उनसे ये पेड़ ले लेता हूँ और अपने गार्डन में लगा रहा हूँ। ये सभी मुझसे अक्सर पूछते हैं कि जब हम वापस दुबई चले जाएंगे तो इन फलों को लगाने का क्या फायदा। लेकिन मैं उनसे सिर्फ यही कहता हूँ कि खाने की ज़रूरत सिर्फ हमें नहीं बल्कि जीव-जन्तुओं को भी होती है। पक्षियों से लेकर गिलहरी, चूहे आदि तक सभी को खाना चाहिए। अगर हम खुद भी कुछ नहीं खा रहे हैं तो हमें इन जीवों के लिए गार्डन लगाना चाहिए तभी हम पर्यावरण को बैलेंस करके रख सकते हैं," उन्होंने आगे कहा।
सीजो के आसपास ऐसे बहुत से दोस्त हैं जो इस काम के लिए उनकी सराहना करने की बजाय उनका मजाक बनाते हैं। पर ये सब बातें उनका हौसला कम नहीं करती बल्कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। सीजो कहते हैं कि इससे पहले जब वह लंदन में थे तो अक्सर उन्हें अपनी पहचान बताने में झिझक महसूस होती थी। वह खुद को भारत से नहीं बल्कि दुबई से बताते थे। लेकिन अब उन्हें अपनी मिट्टी की सही पहचान हो रही है, वह मिट्टी जो चाहे तो पूरे विश्व का पेट भर सकती है। उन्हें अपने भारतीय होने पर गर्व होता है और अब वह अपनी संस्कृति से भागने की बजाय इसे सहेजना चाहते हैं।
सीजो कहते हैं कि इस साल ओणम का ख़ास खाना बनाने के लिए उन्होंने सब कुछ अपने गार्डन से लिया है और अपने पड़ोसियों को भी बाँट रहे हैं। वह कहते हैं, “मुझे फिलहाल यह नहीं पता कि कब तक भारत में रहना है क्योंकि मास्टर्स की पढ़ाई के लिए मुझे कनाडा जाना है। लेकिन जब तक भारत में हूँ, तबतक बहुत कुछ नया सीखना है। कम जगह में गार्डनिंग के लिए हाइड्रोपोनीक्स की विधि को सीखना चाहता हूँ, ताकि जहाँ भी रहूँ वहाँ कम जगह में भी खुद अपना खाना उगा सकूं।”
आप सीजो का ब्लॉग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और उनका यूट्यूब चैनल देख सकते हैं!
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