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हाथ धोने में हो रहा है कई लीटर पानी बर्बाद? जानिए इसे बचाने का सरल उपाय

जानिये कैसे एक छोटे से जुगाड़ से बना सकते हैं Water Saving Toilet और बचा सकते हैं कई लीटर पानी।

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Padma shri subburaman

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, साबुन और पानी से हाथ धोना, कोरोना वायरस को फैलने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है। ‘WHO’ के निर्देशों में बताया गया है कि एक व्यक्ति को साबुन से तक़रीबन 20 सेकेंड तक, हाथों को दोनों तरफ से अच्छे से धोना चाहिए।हालांकि, भारत के कई शहरों और गांवो में पानी की किल्लत है। इसका कारण, उस स्थान का भूजल स्तर और मौसम की स्थिति है। इसके साथ ही, दिन भर अन्य कार्यों के लिए भी पानी की जरूरत पड़ती है। ऐसे में, भविष्य में पानी की गंभीर समस्या हो सकती है। इसलिए जितना संभव हो, पानी बचाना जरूरी है। इस दिशा में भारत को एक कदम और आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं, तमिलनाडु त्रिची के निवासी 71 वर्षीय मराची सुब्बरामण। जिन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में, स्वच्छता से जुड़े कार्यों में सुधार करने के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। वह ‘सोसाइटी फॉर कम्युनिटी ऑर्गनाइजेशन एंड पीपल्स एजुकेशन’ (SCOPE) नामक एक एनजीओ के संस्थापक हैं, जिसके अंतर्गत उन्होंने देशभर में 1.2 लाख शौचालय बनवाए हैं। हाल ही में, उन्होंने अपने घर में जुगाड़ किया है, जो हाथ धोने के बाद बचे, गंदे पानी को शौचालय में फ्लश के रूप में इस्तेमाल करने में मदद करता है (Water Saving Toilet)।

Water Saving Toilets

सुब्बरामण बताते हैं, "लॉकडाउन के दौरान, लोगों ने कोरोना वायरस से बचने के लिए बार-बार हाथ धोना शुरू किया। हालांकि, ऐसा करते समय ज़्यादातर लोगों ने पानी बचाने के बारे में नहीं सोचा। कुछ लोग तो हाथ में साबुन लगा कर, 20 सेकंड के लिए पानी का नल खुला ही छोड़ देते थे। इससे बड़े पैमाने में पानी की बर्बादी हुई।”

वह आगे बताते हैं, “पानी की इस बर्बादी को देखते हुए, मैंने उन तरीकों के बारे में सोचना शुरू किया, जिनसे हम इस पानी का फिर से उपयोग कर सकें।" वह बताते हैं कि उन्होंने जापान के किसी टॉयलेट की फोटो देखी थी, जिसमे वॉशबेसिन टॉयलेट (Water Saving Toilet)। के साथ जुड़ा हुआ था।

द बेटर इंडिया के साथ बात करते हुए उन्होंने बताया कि उन्होंने कैसे अपने घर में इसका एक मॉडल तैयार किया और अन्य लोग भी इसे कैसे तैयार कर सकते हैं।

Reuse of Water

वॉशबेसिन से निकलने वाले गंदे पानी का फिर से उपयोग करने के लिए सुब्बरामण ने एक नया वॉशबेसिन खरीदा और उसे पश्चिमी शैली के शौचालय के ऊपर फिट किया। हालांकि, उनका कहना है कि पुराने वॉशबेसिन को भी इस्तेमाल किया जा सकता है। वह बताते हैं, "इसके लिए बेसिन को शौचालय के फ्लश टैंक से जोड़ना होता है। इसके लिए मैंने एक प्लंबर की मदद से बेसिन के निकास पाइप को फ्लश के ऊपर एक छेद बना कर डाल दिया।"

दोनों को जोड़ने के बाद इन्हें सील करना पड़ता है। जिससे फ्लश के लिए पानी सीधा वॉशबेसिन से आता है। सुब्बरामण कहते हैं, "मैं पिछले छह महीने से, अपने टॉयलेट में इस सिस्टम का उपयोग कर रहा हूँ। यह अच्छी तरह से काम कर रहा है और मुझे लीकेज जैसी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा।

घर में ऐसे लगाएं Water Saving Toilet सिस्टम:

स्टेप 1: सबसे पहले प्लंबर की मदद से, टॉयलेट के फ्लश टैंक के ऊपर ही एक पुराना या नया वॉशबेसिन लगवाएं।

स्टेप 2: फ्लश टैंक के ऊपर, बेसिन की निकासी पाइप जितना चौड़ा एक छेद बनाएं।

स्टेप 3: वॉशबेसिन लगने के बाद, उसकी निकासी पाइप को फ्लश टैंक में डालें।

स्टेप 4: वॉशबेसिन से पानी की सप्लाई शुरू करें और शौचालय वाले वाल्व को बंद कर दें।

स्टेप 5: नल खोल दें और कुछ सेकंड तक पानी जाने दें और सुनिश्चित करें कि किसी तरह का कोई लीकेज तो नहीं है।

सुब्बरामण के अनुसार, तीन या चार बार हाथ धोने के बाद टैंक पूरी तरह से भर जाता है। हाथ धोते समय नल को छूने से बचने के लिए, उन्होंने एक फुट पैडल भी लगाया है। हालांकि, उनका कहना हैं कि यह वैकल्पिक है।

मूल लेख: रोशनी मुथुकुमार

संपादन – प्रीति महावर

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