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स्वामी दयानंद सरस्वती : वह सन्यासी जिसने धार्मिक कुरीतियों को दरकिनार कर धर्म का एक नया अध्याय लिखा!

By निशा डागर

महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी का जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात में मोराबी के टंकारा गांव में हुआ था। मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण उनका नाम मूलशंकर रखा गया था। आर्य समाज के इस संस्थपक ने ही देश में स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी और लोगों को जोड़ा। 30 अक्टूबर 1883 को अजमेर में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।

जतिंद्रनाथ दास: वह क्रांतिकारी जिसने देश की आज़ादी के लिए जेल में दे दी अपनी जान!

By निशा डागर

कोलकाता के एक साधारण बंगाली परिवार में 27 अक्टूबर 1904 को जन्मे जतिंद्रनाथ दास महज 16 साल की उम्र में ही देश की आजादी के आंदोलन में कूद गए थे। लाहौर षड्यंत्र केस में उन्हें भी भगत सिंह व बाकी साथियों के साथ पकड़ा गया। लाहौर जेल में भाख हड़ताल करते हुए 63वें दिन उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

झांसी की रानी से भी पहले थी एक स्वतंत्रता सेनानी; जानिए उस वीरांगना की अनसुनी कहानी!

By निशा डागर

कर्नाटक के बेलगावी जिले के कित्तूर तालुका में हर साल अक्टूबर के महीने में 'कित्तूर उत्सव' मनाया जाता है। इस साल भी यह उत्सव 23 अक्टूबर, 2018 से 25 अक्टूबर, 2018 तक मनाया जायेगा। इसकी शुरुआत रानी चेन्नम्मा ने की थी। वे भारत की पहली स्वतंत्रता सेनानी थीं जिन्होंने अंग्रेजों को हराया।

दो हिन्दू व मुस्लिम क्रांतिकारियों की दोस्ती का वह किस्सा जो फांसी के फंदे पर खत्म हुआ!

By निशा डागर

अशफाक उल्ला खान 22 अक्टूबर 1900 को ब्रिटिश भारत के उत्तर प्रदेश के जिले शाहजहांपुर में पैदा हुए थे। किशोरावस्था से ही उन्हें उनकी शायरी के चलते लोग पहचानने लगे थे। वे 'हसरत' उपनाम के साथ अपनी शायरी लिखते थे। वे काकोरी कांड के मुख्य क्रांतिकारी थे। उनकी और रामप्रसाद बिस्मिल की दोस्ती जग-जाहिर थी।

भगिनी निवेदिता: वह विदेशी महिला जिसने अपना जीवन भारत को अर्पित कर दिया!

By निशा डागर

भगिनी निवेदिता का भारत से परिचय स्वामी विवेकानन्द के जरिए हुआ था। 28 अक्टूबर, 1867 को जन्मीं निवेदिता का वास्तविक नाम 'मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल' था। एक अंग्रेजी-आइरिश सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, शिक्षक एवं स्वामी विवेकानन्द की शिष्या- मार्गरेट ने 30 साल की उम्र में भारत को ही अपना घर बना लिया।

पेरिन बेन कैप्टेन: दादाभाई नौरोजी की पोती, जिन्होंने आजीवन देश की सेवा की!

By निशा डागर

दादाभाई नौरोजी की पोती पेरिन बेन कैप्टेन एक स्वतंत्रता सेनानी व समाज सुधारक थीं। उनका जन्म 12 अक्टूबर 1888 को गुजरात के कच्छ जिले के मांडवी के एक पारसी परिवार में हुआ था। उन्होंने साल 1919 से गांधीजी के साथ काम करना शुरू किया और राष्ट्रीय स्त्री सभा के गठन में अह्म भूमिका निभाई।

बिहार के इस शहर में 16 अगस्त को भी मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस, जानिए क्यों!

By निशा डागर

भारत 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाता है। हालांकि, बिहार के बक्सर जिले में एक छोटा सा शहर डुमराँव के लोगों के लिए 16 अगस्त को होने वाला उत्सव समान रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे इस दिन साल 1942 में शहीद हुए चार स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते थे ।

जानिए कौन था भारत का सबसे छोटा स्वतंत्रता सेनानी, मात्र 12 साल की उम्र में हुआ शहीद!

By निशा डागर

साल 1926 में उड़ीसा के ढेंकनाल ज़िले के नीलकंठपुर गांव में बाजी राउत का जन्म हुआ। उन्होंने बैष्णव पट्टनायक द्वारा स्थापित प्रजामण्डल संगठन की युवा विंग 'बानर सेना' को ज्वाइन किया। बाजी देश के लिए सबसे कम उम्र में शहीद होने वाला सेनानी था।

बिनोय, बादल, दिनेश : भारत माँ के तीन सपूतों की अमर कहानी!

By निशा डागर

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में द राइटर्स बिल्डिंग में 8 दिसंबर, 1930 को तीन क्रन्तिकारी बिनोय, बादल व दिनेश ने ब्रिटिश अधिकारीयों पर हमला बोल दिया था। उन्होंने उस हमले में कई अंग्रेजों की जान ली। साथ ही, वे खुद भी शहीद हो गए। इस स्वतंत्रता दिवस उन्हें याद कर के सम्मानित करते हैं।

वह अमरिकी, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और भारत के किसानों को सेब उगाना सिखाया!

By निशा डागर

अमेरिका की जाने-माने परिवार का बेटा और स्टॉक्स एंड पैरिश मशीन कंपनी का वारिस होते हुए भी सैम्युल इवान्स स्टॉक्स जूनियर ने अपना  में कोढ़ से पीड़ित मरीजों की सेवा करते हुए बिताया।उन्होंने अंग्रेज़ों के विरुद्ध भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। ये कहानी है सैम्युल स्टॉक्स जूनियर की सत्यानंद स्टॉक्स बनने की।