परिवार के लिए सालों तक चाय बनाने वाली एक सामान्य गृहिणी कोकिला पारेख ने अपने हाथों के स्वाद के दम पर अपने बिज़नेस की शुरुआत की, वह भी 80 की उम्र में। पढ़े उनकी प्रेरक कहानी।
गुजरात की रहनेवाली शिपा ने अपने पति हार्दिक पटेल और भाई-बहनों के साथ छापा नाम से एक सस्टेनेबल क्लोदिंग और एसेसरी ब्रांड शुरू किया है। शिपा का लक्ष्य हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग को पुनर्जीवित करना है।
सतारा (महाराष्ट्र) की सरवत गुलामकादर शहर में अपने हाथों से बनाई नान खटाई और रोट के लिए काफी मशहूर हैं। उन्होंने एक समय पर आत्मनिर्भर बनने और अपनी बेटी को अच्छी परवरिश देने के लिए बेकरी बिज़नेस की शुरुआत की थी।
केरल, कोड़िकोड के दो दोस्त मिधुन और डॉ. सुभाशीष दामोदर, एक सस्टेनेबल जीवन जीने में विश्वास रखते हैं। सालों से वे पर्यावरण के अनुकूल बिज़नेस करने के लिए रिसर्च कर रहे थे और हाल में वे भांग के बीज से मिल्कशेक बना रहे हैं। पढ़े उनके इस अनोखे कैफ़े के बारे में।
भेल पुरी, पानी पुरी, पनीर मसाला, कांदा भजिया – ये सारे नाम पढ़कर आपको ज़रूर लग रहा होगा कि यह भारत में किसी रेस्तरां का मेन्यू है। लेकिन ऐसे लजीज़ खाने का स्वाद आप लंदन के 'Manju's' नाम के एक रेस्तरां में भी उठा सकते हैं, जिसे 85 साल की महिला, मंजू चलाती हैं।
हिमाचल प्रदेश के ऊना गांव में रीवा सूद, ऑर्गेनिक खेती के ज़रिए अपने अनोखे खेत में अश्वगंधा, सर्पगंधा, काली गेहूं, स्टीविया, लेमनग्रास और कई चीजें उगाने के साथ-साथ, महिलाओं को सशक्त बनाने की कोशिश भी कर रही हैं।
मिलिए असम के शिवसागर में रहनेवाले सौरव नाथ से, जो बांस से एक से बढ़कर एक चीज़ें बनाते हैं। वह अपनी स्थानीय कला को यूट्यूब के ज़रिए लोगों तक भी पंहुचा रहे हैं।
अजीत मलकर्णेकर और उनकी पत्नी डोरिस ने गोवा के मोल्लेम नेशनल पार्क में अपनी ज़मीन पर दूधसागर बागान बनाया है। पढ़ें कैसे उन्होंने बंजर जमीन के टुकड़े को एक फलते-फूलते इको-सिस्टम में बदल दिया।